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    Chhattisgarh: घोषणा पत्र के सभी वादे नहीं हुए पूरे, राहुल गांधी समेत 13 केे खिलाफ न्यायालय में परिवाद दायर

    By Dinesh Kumar ChauhanEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Sun, 24 Sep 2023 04:44 AM (IST)

    अधिवक्ता अशोक शर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था। जिससे प्रदेश का हर वर्ष प्रभावित हुआ था। उन्होंने बताया कि घोषणा पत्र में किए गए वादे कपट एवं छलपूर्ण थे। जिनपर विश्वास कर के प्रदेश के मतदाताओं ने कांग्रेस के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया था। जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी।

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    राहुल गांधी समेत 13 केे खिलाफ न्यायालय में परिवाद दायर (file photo)

    भिलाई, जेएनएनः छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले एक बड़ा घटनाक्रम होने जा रहा है। पिछले चुनाव में जिस घोषणा पत्र के आधार पर कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई थी, उस घोषणा पत्र को ही आधार बनाकर कांग्रेस नेताओं के खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर की गई है।

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    अधिवक्ता अशोक शर्मा ने दायर किया परिवाद

    चुनाव के समय कांग्रेस ने घोषणा पत्र में जो वादे किए गए थे, उनमें से अधिकांश पूर्ण नहीं हुए हैं। जिन्हें लेकर अधिवक्ता अशोक शर्मा ने दुर्ग न्यायालय में जेएमएफसी कोर्ट में परिवाद दायर किया है।

    इसमें घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष टीएस सिंहदेव, राहुल गांधी, मोहम्मद अकबर, रविंद्र चौबे, शिव कुमार डहरिया, उमेश पटेल, डा. प्रेम सिंह टेकाम, धनेंद्र साहू, फूलो देवी नेताम, शैलेष पांडेय, अरुण वोरा और जयराम रमेश कुल 13 लोगों को पार्टी बनाया गया है।

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    इन सभी 13 नेताओं के विरुद्ध छल (धारा 415), धोखाधड़ी (धारा 420), षडयंत्र (धारा 120 बी) और समान आशय (धारा 34) के तहत प्राथमिकी करने के लिए थाने को निर्देशित करने का निवेदन किया है। 25 सितंबर को न्यायालय में इस परिवाद पर सुनवाई होनी है। जहां याचिकाकर्ता अधिवक्ता अपना तर्क प्रस्तुत करेंगे।

    अधिवक्ता अशोक शर्मा ने बताया कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था। जिससे प्रदेश का हर वर्ष प्रभावित हुआ था। उन्होंने बताया कि घोषणा पत्र में किए गए वादे कपट एवं छलपूर्ण थे। जिनपर विश्वास कर के प्रदेश के मतदाताओं ने कांग्रेस के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया था।

    जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी। घोषणा पत्र में ये भी दावा किया गया था कि सरकार बनने के 10 बाद से पांच साल के भीतर सभी वादों को पूर्ण किया जाएगा। टीएस सिंह देव इस घोषणा पत्र समिति के संयोजक थे। वहीं मोहम्मद अकबर, रविंद्र चौबे, शिव कुमार डहरिया, उमेश पटेल, डा. प्रेम सिंह टेकाम, धनेंद्र साहू, फूलो देवी नेताम, शैलेष पांडेय और अरुण वोरा घोषणा पत्र समिति के सदस्य थे।

    राहुल गांधी और जयराम रमेश ने इस घोषणा पत्र को प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया में प्रसारित कर इस षडयंत्र में अपनी सहभागिता निभाई थी। इसलिए उन्हें भी इस मामले में आरोपित बनाने के उन्हें भी पार्टी बनाया गया है। 25 सितंबर जेएमएफसी पुनीत राम गुरुपंच के न्यायालय में अधिवक्ता अशोक शर्मा अपना तर्क प्रस्तुत करेंगे।

    घोषणा पत्र किए गए ये वादे नहीं हुए पूरे

    :- राज्य में पूर्ण शराबबंदी की जाएगी।

    :- छात्राओं को नर्सरी से पोस्ट ग्रेजुएट तक निश्शुल्क शिक्षा दी जाएगी।

    :- 10 लाख बेरोजगार युवाओं को सामुदायिक विकास और समाजसेवी गतिविधियों में भाग लेने पर न्यूनतम प्रतिमाह 2500 रुपये दिए जाएंगे।

    :- गरीब परिवारों नियंत्रित दर पर तेल, दाल, नमक, चीनी और मिट्टी का तेल दिए जाएंगे।

    :- शहरी क्षेत्र के आवासीय परिवारों को दो कमरों का मकान देंगे।

    :- भूमिहीन कब्जाधारी परिवारों को नियत अवधि के भीतर पट्टा देंगे।

    :- शिक्षाकर्मियों को दो वर्ष पूर्ण करने पर नियमित किया जाएगा।

    :- 60 से अधिक आयु के नागरिकों को एक हजार और 75 साल से अधिक नागरिकों को 1500 रुपये प्रतिमाह पेंशन दिया जाएगा।

    :- महिला स्व सहायता समूहों का कर्ज माफ किया जाएगा।

    :- पांच वर्ष में सिंचित क्षेत्र को दोगुना करने व सिंचाई शुल्क को समाप्त कर पुरानी बकाया राशि को माफ की जाएगी।

    :- प्रदेश में 200 फूड पार्क स्थापित करने तथा प्रत्येक ब्लाक में कम से कम एक फूड पार्क स्थापित करेंगे।

    :- सभी तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के शासकीय कर्मचारियों को क्रमोन्नति एवं पदोन्नति एवं वार स्तरीय उच्चतर वेतनमान दिया जाएगा।

    :- शहरी व ग्रामीण आवास का प्रविधान व भूमि दिया जाएगा।

    :- वेतन विसंगतियों को दूर किया जाएगा।

    :- पत्रकार, वकीलों व चिकित्सकों के लिए सुरक्षा कानून बनाया जाएगा।