छत्तीसगढ़: 'शक के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती...' गांजा तस्करी मामले में पकड़े गए शख्स को हाईकोर्ट से राहत
Chhattisgarh High Court News छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 15 साल पुराने ड्रग केस में आरोपी को दोषमुक्त कर दिया है। आरोपी के घर से 165 किलो गांजा बरामद हुआ था और NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने सबूतों के अभाव और जब्ती प्रक्रिया में कमियों के चलते स्पेशल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। साथ ही आरोपी को बरी कर दिया गया है।

जेएनएन, बिलासपुर। 15 साल पुराने ड्रग केस में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया है। आरोपी के घर पर 165 किलो गांजा बरामद किया गया था, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ NDPS एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। वहीं, अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इसपर फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट ने 2011 में स्पेशल कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए आरोपी को बरी कर दिया है। अदालत का कहना है कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत नहीं मिला है।
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हाईकोर्ट का फैसला
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दो जजों की बेंच जस्टिस संजय एस अग्रवाल और जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल ने मामले पर फैसला सुनाया। हाईकोर्ट के अनुसार, जब्ती की प्रक्रिया में कई कमियां पाई गई हैं। ज्यादातर गवाह अपने बयान से मुकर गए हैं। ऐसे में केवल शक के आधार पर किसी को सजा नहीं जा सकती है।
क्या था पूरा मामला?
बता दें कि 22 मार्च 2010 को बलौदा थाने के सब-इंस्पेक्टर डीएल मिश्रा को विष्णु कुमार सोनी के घर पर बड़ी मात्रा में गांजा होने की सूचना मिली थी। इस दौरान पुलिस ने विष्णु के घर पर छापा मारा और 8 बोरियों में 165 किलो गांजा बरामद किया गया। इसके अलावा 15,240 रुपए की नकदी और तौलनेकी मशीन भी बरामद की गई थी। पुलिस ने विष्णु के खिलाफ NDPS एक्ट की धारा 20(बी)(2)(सी) के तहत मामला दर्ज किया था।
स्पेशल कोर्ट ने किया था रिहा
5 मार्च 2011 को स्पेशल कोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाया। इस दौरान सबूतों के अभाव में विष्णु को बरी कर दिया गया था। इस दौरान कई गवाह भी पुलिस की कहानी को झूठा करार देते हुए बयान से मुकर गए। साथ ही पंचनामे में भी कई गड़बड़ियां पाई गई थीं। वहीं, अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी स्पेशल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर दिया है।
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