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भारतीय स्टार्टअप्स कंपनियों ने अब तक 21,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, आगे भी जारी रह सकती है छंटनी

स्टार्टअप्स में छंटनी का दौर एक बार फिर से शुरू हो गया। हाल ही में स्विगी गोमैकेनिक और शेयरचैट से सैकड़ों की संख्या में कर्मचारियों को निकाला गया है। मंदी की आशंका के कारण छंटनी ये सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। (जागरण फाइल फोटो)

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaPublished: Sun, 29 Jan 2023 04:26 PM (IST)Updated: Sun, 29 Jan 2023 04:26 PM (IST)
भारतीय स्टार्टअप्स कंपनियों ने अब तक 21,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, आगे भी जारी रह सकती है छंटनी
over 70 Indian startups show exit door to 21K techies

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। दुनिया में आर्थिक मंदी की आशंका के कारण बड़ी टेक कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर रही है। भारतीय स्टार्टअप्स भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। पिछले तीन-चार महीनों में बड़ी संख्या में कर्मचारियों को नौकरियों से निकाला गया है। इसके साथ ही कहा जा रहा कि आने वाले समय स्टार्टअप्स को नई फंडिंग मिलने में मुश्किलों का सामना पड़ता है। इस कारण कंपनियों से छंटनी का दौर जारी रह सकता है।

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21,000 लोगों ने खोई नौकरी

समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर के कुल 70 से अधिक स्टार्टअप्स में कुल 21,000 लोग नौकरियों से निकाले जा चुके हैं। ये छंटनी बाइजू, ओला, एमपीएल, इनोवेसर, अनएकेडमी, वेदांतु, कार्स24, ओयो, उड़ान जैसी कंपनियों से की गई है।

सबसे ज्यादा कर्मचारी एडटेक सेक्टर से निकाले गए हैं। करीब 16 एडटेक स्टार्टअप्स अब तक 8,000 कर्मचारियों को निकाल चुके हैं। ये कर्मचारी इन कंपनियों के लगभग सभी विभागों से थे।

नए साल में भी कर्मचारियों को निकाल रहे स्टार्टअप्स

2023 में भी स्टार्टअप्स की ओर से लागत को कम करने के लिए कर्मचारियों की छंटनी करना जारी है। जनवरी से अब तक 16 स्टार्टअप्स छंटनी कर चुके हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम स्टार्टअप कंपनी शेयरचैट का था, जिसने करीब 20 प्रतिशत कर्मचारियों की छुट्टी की थी। इस कंपनी में करीब 2,300 कर्मचारी हैं और हाल में हुई छंटनी ने करीब 500 कर्मचारियों को प्रभावित किया है। इसके अलावा हेल्थकेयर स्टार्टअप इनोवेसर ने 245 कर्मचारी, स्विगी ने 380 कर्मचारी, गोमैकेनिक ने 70 प्रतिशत कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है। 

इनोवेसर कोफाउंडर और सीईओ अभिनव शशांक ने नौकरी में कटौती के पीछे का कारण "अनिश्चित आर्थिक माहौल" को बताया गया था।

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