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    जानिए क्या होता है एक्सचेंज रेट और इसके प्रकार

    By Surbhi JainEdited By:
    Updated: Mon, 11 Jun 2018 10:55 AM (IST)

    फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय होता है। एक्सचेंज रेट दो प्रकार के हो सकते हैं

    नई दिल्ली (हरिकिशन शर्मा)। जिस मूल्य (दर) पर एक देश की मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा से बदली जाती है उसे ‘एक्सचेंज रेट’ कहते हैं। अधिकांश देशों में एक्सचेंज रेट को दशमलव के बाद चार अंकों तक लिखते हैं। उदाहरण के लिए आठ जून, 2018 को एक डॉलर का मूल्य 67.5228 रुपये था। किसी भी देश की करेंसी का मूल्य बाजार में उसकी मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। जैसे एक सामान्य व्यापारी सामान की खरीद-फरोख्त करता है, वैसे ही फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय होता है। एक्सचेंज रेट दो प्रकार के हो सकते हैं- स्पॉट रेट यानी आज के दिन विदेशी मुद्रा का मूल्य और फॉरवर्ड रेट यानी भविष्य में किसी तारीख के लिए एक्सचेंज रेट।

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    असल में एक्सचेंज रेट में दो करेंसी होती हैं- बेस करेंसी और काउंटर करेंसी। इसे दो तरह से व्यक्त करते हैं। पहला तरीका, जिसमें बेस करेंसी किसी अन्य देश की होती है जैसे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत। इसमें डॉलर बेस करेंसी है, जबकि रुपया काउंटर करेंसी। दूसरा तरीका, जिसमें घरेलू मुद्रा बेस करेंसी होती है और विदेशी मुद्रा काउंटर करेंसी। वैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिकांशत: एक्सचेंज रेट व्यक्त करते समय डॉलर को बेस करेंसी के तौर पर माना जाता है।

    फ्लोटिंग या फिक्स्ड रेट एक्सचेंज रेट फ्लोटिंग या फिक्स्ड होते हैं। फ्लोटिंग एक्सचेंज का मतलब यह है कि करेंसी का मूल्य बाजार के रुख पर तय हो रहा है और समय-समय पर इसमें उतार-चढ़ाव आ रहा है। कुछ देशों में सरकार एक्सचेंज रेट तय करती है, जिसे फिक्स्ड एक्सचेंज रेट कहते हैं। उदाहरण के लिए सऊदी अरब की मुद्रा रियाल, जिसकी कीमत वहां की सरकार तय करती है।

    रियल एक्सचेंज रेट: किसी भी करेंसी का रियल एक्सचेंज रेट, नॉमिनल एक्सचेंज रेट से भिन्न होता है। अक्सर आपने अखबार में पढ़ा होगा कि चीन ने अपनी करेंसी युआन को अंडरवैल्यू करके रखा है। इसका मतलब यह है कि युआन का जितना मूल्य होना चाहिए, उतना नहीं है। इसे समझने के लिए हम रियल एक्सचेंज रेट की मदद लेते हैं। इससे पता चलता है कि किसी देश की करेंसी का वास्तविक मूल्य क्या है। उदाहरण के लिए एक डॉलर की कीमत 6.8 युआन है। इस तरह डॉलर-युआन का नॉमिनल एक्सचेंज रेट 1/6.8 यानी 0.147 हुआ। मान लीजिए चीन में एक बर्गर की कीमत 20 युआन जबकि अमेरिका में 5.30 डॉलर है। इस तरह चीन में डॉलर में एक बर्गर की कीमत 20 गुणा 0.147 यानी 2.94 डॉलर होगी। चूंकि अमेरिका में एक बर्गर की कीमत 5.30 डॉलर है, इसलिए युआन और डॉलर का रियल एक्सचेंज रेट 2.94/5.3 यानी 0.55 होगा। इस तरह रियल एक्सचेंज रेट एक से नीचे आया। जिसका मतलब है कि डॉलर के मुकाबले युआन करीब 45 प्रतिशत अंडरवैल्यूड है। आदर्श स्थिति में रियल एक्सचेंज रेट एक होना चाहिए।

    एक्सचेंज रेट में उतार-चढ़ाव का असर: किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर एक्सचेंज रेट में उतार-चढ़ाव का गंभीर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए अगर डॉलर के मुकाबले रुपये का एक्सचेंज रेट कमजोर हो रहा है यानी रुपये की कीमत गिर रही है तो इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पाद सस्ते हो जाएंगे और निर्यातकों को जो डॉलर प्राप्त होंगे उसके बदले यहां उन्हें अधिक रुपये मिलेंगे। हालांकि जो आयातक हैं, उन्हें कोई वस्तु आयात करने के लिए अधिक राशि का भुगताना करना पड़ेगा। दूसरी ओर अगर डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होता है, तो इससे आयातकों को लाभ होगा।