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    FPI Inflow: विदेशी निवेशक शेयर बाजार में जमकर कर रहे बिकवाली, अब तक निकाले 15,000 करोड़

    By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav Shalya
    Updated: Sun, 15 Jan 2023 02:12 PM (IST)

    FPI Inflow भारतीय बाजारों को लेकर विदेशी निवेशकों का नकारात्मक रुख बना हुआ है। अब तक के कारोबारी सत्रों में एफपीआई करीब 15000 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। जानकारों के मुताबिक आने वाले समय में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।

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    FPI Selling Data January 2023 (Jagran File Photo)

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। 2023 के शुरुआती दो हफ्तों में शेयर बाजार से विदेशी निवेशकों की रुख बिकवाली वाला रहा है। इस दौरान फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने भारतीय बाजारों में करीब 15,000 करोड़ रुपये की निकासी की है। ये बिकवाली ऐसे समय पर की है, जब दुनिया में मंदी की आशंका बनी हुई है।

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    डिपॉजिटरी की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2-13 जनवरी की अवधि के बीच एफपीआई की ओर से भारतीय शेयर बाजार में 15,068 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई है। इन 10 करोबारी सत्रों में केवल दो बार ही विदेशी निवेशकों द्वारा सकारात्मक रुझान देखा गया है।

    नवंबर और दिसंबर में था सकारात्मक प्रवाह

    इससे पहले के महीने नवंबर और दिसंबर में विदेशी निवेशकों की ओर से सकारात्मक प्रवाह देखा गया था। एफपीआई ने दिसंबर में 11,119 करोड़ रुपये और नवंबर में 36,239 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। वहीं, 2022 में भारत समेत दुनिया के बड़े केंद्रीय बैंकों की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी, रूस- यूक्रेन युद्ध और अन्य कारणों के चलते एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों से 1.21 लाख करोड़ रुपये निकाले थे।

    उतार-चढ़ाव जारी रहेगा

    कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) के प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि आने वाले वाले समय में एफपीआई का प्रवाह अस्थिर रहने की उम्मीद है। भले ही दुनिया और भारत में महंगाई नीचे आ रही हो।

    वहीं, जियोजित फाइनेंशियल के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई भारत में बिकवाली कर रहे हैं और चीन, हांगकांग और दक्षिण कोरिया जैसे सस्ते बाजारों में पैसा लगा रहे हैं, जहां मूल्यांकन काफी कम है। आगे कहा कि इससे बाजार में गिरावट आने की संभावना नहीं है, क्योंकि घरेलू संस्थागत निवेशक लगातार खरीदारी कर रहे हैं।

    भारत के अलावा एफपीआई की ओर से किया जाने वाले निवेश का प्रवाह इंडेनेशिया में नकारात्मक रहा था। वहीं, यह फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड के लिए सकारात्मक था।

    (एजेंसी इनपुट के साथ)

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