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    बैंकों का फंसा कर्ज बढ़ेगा, RBI की आशंका; केंद्रीय बैंक ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में NPA को लेकर क्या कहा?

    आरबीआई का कहना है कि मार्च 2026 में यह बढ़कर तीन प्रतिशत हो सकता है। आरबीआई ने संभावित जोखिमों के आधार पर कुल अग्रिम के अनुपात में सकल एनपीए का स्तर बढ़कर अगले दो वर्षों के भीतर 5.3 प्रतिशत तक हो जाने की बात कही है। एफएसआर की यह रिपोर्ट पहली बार आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में जारी की गई है।

    By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Tue, 31 Dec 2024 06:58 AM (IST)
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    वाणिज्यिक बैंकों में फंसे कर्जे 12 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आ गया है: आरबीआई।(फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अभी भारत के वाणिज्यिक बैंकों में फंसे कर्जे यानी नॉन- परफार्मिंग एसेट्स (एनपीए) का स्तर निश्चित तौर पर 12 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आ गया है, लेकिन यह स्थिति जल्द बदल सकती है। इस बात की आशंका आरबीआई ने सोमवार को जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर), दिसंबर 2024 में जताई है।

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    फंसे कर्ज का स्तर 2026 में तीन प्रतिशत हो सकता है: आरबीआई

     यह बात आरबीआई ने वाणिज्यिक बैंक के लाइसेंस पर काम करने वाले 46 सरकारी और निजी बैंकों की रिकार्ड के आधार पर कही है। वैसे अभी (सितंबर, 2024) फंसे कर्ज का स्तर (कुल अग्रिम के मुकाबले ) 2.6 प्रतिशत है, जो पिछले 12 सालों के सबसे न्यूनतम स्तर पर है।

    हालांकि, आरबीआई का कहना है कि मार्च, 2026 में यह बढ़कर तीन प्रतिशत हो सकता है। आरबीआई ने संभावित जोखिमों के आधार पर कुल अग्रिम के अनुपात में सकल एनपीए का स्तर बढ़कर अगले दो वर्षों के भीतर 5.3 प्रतिशत तक हो जाने की बात कही है।

    भारतीय इकोनॉमी के लिए वर्ष 2025 अच्छा होगा: आरबीआई प्रमुख

    एफएसआर की यह रिपोर्ट पहली बार आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के नेतृत्व में जारी की गई है। आरबीआई प्रमुख मल्होत्रा ने इसमें उम्मीद जताई है कि भारतीय इकोनमी के लिए अगला वर्ष यानी 2025 काफी बेहतर रहेगा। उन्होंने इसकी प्रस्तावना में लिखा है, 'वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सुधरेगी।

     अब हमारी कोशिश होगी कि देश में वित्तीय स्थिरता को बनाए रखा जाए ताकि तेज आर्थिक विकास दर की राह पर भारतीय इकोनॉमी बढ़ सके। अगले वर्ष के लिए उपभोक्ताओं और कारोबारी जगत का आत्मविश्वास काफी मजबूत है।

    कॉरपोरेट जगत का वित्तीय प्रदर्शन जितना बेहतर रहा है उसे देखते हुए वर्ष 2025 में निवेश भी बढ़ने की संभावना है। बता दें कि विकास दर में नरमी के मुद्दे को उठाते हुए वित्त मंत्रालय ने अपनी नवंबर मासिक रिपोर्ट में चिंता जताते हुए कहा था कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि पहली छमाही में मंदी के पीछे आरबीआई की नीतियां भी जिम्मेदार हैं। दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई थी।

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