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    Adani Wilmar में पूरी हिस्सेदारी क्यों बेच रहा अदाणी ग्रुप, कौन है खरीदार; जानें पूरी डिटेल

    Updated: Mon, 30 Dec 2024 05:40 PM (IST)

    Adani Wilmar stake sale अदाणी ग्रुप अपने FMCG ज्वाइंट वेंचर अदाणी विल्मर से पूरी तरह से बाहर निकल रहा है। ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पास अदाणी विल्मर लिमिटेड में कुल 43.94 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसमें से बड़ा हिस्सा वह अपने मौजूदा साझीदार विल्मर इंटरनेशनल को बेचेगी। बाकी हिस्सेदारी खुले बाजार में बेची जाएगी। आइए जानते हैं इस सौदे की पूरी डिटेल।

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    अदाणी ग्रुप ने यह नहीं बताया कि यह सौदा कितने में हुआ है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। अरबपति गौतम अदाणी का ग्रुप FMCG ज्वाइंट वेंचर अदाणी विल्मर से पूरी तरह बाहर निकल रहा है। अदाणी एंटरप्राइजेज ने एक बयान में कहा कि अदाणी विल्मर की 31.06 प्रतिशत हिस्सेदारी विल्मर इंटरनेशनल को बेची जाएगी। वहीं बाकी 13 प्रतिशत हिस्सेदारी खुले बाजार के जरिए बेची जाएगी, ताकि मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग के नियमों का पालन किया जा सके। अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पास अदाणी विल्मर लिमिटेड में कुल 43.94 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

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    अदाणी ग्रुप ने यह नहीं बताया कि यह सौदा कितने में हुआ है। हालांकि, अनुमान जताया जा रहा है कि इस बिक्री से अदाणी ग्रुप को करीब दो अरब डॉलर मिलेंगे। हिस्सेदारी बिकने के बाद अदाणी ग्रुप की ओर से नामित निदेशक अदाणी विल्मर के बोर्ड से हट जाएंगे। बिक्री प्रक्रिया मार्च 2025 से पहले पूरी होने की उम्मीद है। इस हिस्सेदारी बिक्री को लेकर सिंगापुर की विल्मर इंटरनेशनल और अदाणी समूह के बीच समझौता हो गया है। अदाणी समूह के बाद निकलने के बाद कंपनी का नाम भी बदला जाएगा।

    अदाणी विल्मर का बिजनेस क्या है?

    अदाणी विल्मर की स्थापना 1999 में हुई थी। यह फॉर्च्यून ब्रांड के खाना पकाने के तेल, गेहूं का आटा और अन्य खाद्य उत्पाद बेचती है। अदाणी विल्मर फॉर्च्यून ब्रांड के कुकिंग ऑयल, गेहूं का आटा, दालें, चावल और चीनी बनाती है। इसके 10 राज्यों में 23 प्लांट हैं। अदाणी ग्रुप हिस्सेदारी को बेचने से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल अपने कोर बिजनेस को बढ़ाने के लिए करेगा।

    नवबंर 2024 में अदाणी ग्रुप के फाउंडर गौतम अदाणी और उनके सहयोगियों पर रिश्वत देने के आरोप लगे थे। उसके बाद से यह अदाणी ग्रुप का पहला बड़ा सौदा है। इस सौदे से अदाणी ग्रुप को लिक्विडिटी की समस्या को दूर करने में भी मदद मिलेगी। क्योंकि आशंका जताई जा रही थी कि अमेरिका में मुकदमेबाजी में फंसने के बाद बैंक अदाणी ग्रुप को कर्ज देने से पीछे हट सकते हैं, जिससे उसके पास निवेश के लिए पैसों की कमी हो सकती है।

    विल्मर को पूरा स्टेक क्यों नहीं बेच रहा अदाणी ग्रुप

    अदाणी ग्रुप और विल्मर इंटनेशनल के पास कुल मिलाकर ज्वाइंट वेंचर में 87.87 फीसदी हिस्सेदारी है। मार्केट रेगुलेटर सेबी का नियम है कि सभी बड़ी कंपनियों को लिस्टिंग के तीन साल के भीतर कम से कम 25 फीसदी शेयर जनता के लिए उपलब्ध कराने होंगे। इसका मतलब है कि बड़ी कंपनियों के प्रमोटर 75 फीसदी से अधिक शेयरहोल्डिंग नहीं रख सकते हैं। अडानी विल्मर फरवरी 2022 में स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्ट हुई थी। इसकी शेयरहोल्डिंग को फरवरी 2025 तक वैसे भी कम करना था।

    यही वजह है कि अदाणी ग्रुप 31.06 फीसदी हिस्सेदारी विल्मर इंटरनेशनल को बेच रहा है। वह बाकी 13 प्रतिशत हिस्सेदारी खुले बाजार में बेचेगा, जिससे जनता के पास अदाणी विल्मर के 25 फीसदी शेयर आ जाएंगे।

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