क्या होता है बायबैक? अपने ही शेयर क्यों खरीदती हैं कंपनियां? आसान भाषा में समझें
शेयर बायबैक में (What is a share buyback) में कंपनी अपने ही शेयर वापस खरीदती है। कंपनियां ऐसा कई कारणों से करती हैं जैसे कि ज्यादा कैश होना टैक्स को बचाना नियंत्रण बनाए रखना या शेयर की कीमत को बढ़ाना। इससे कंपनी की इमेज अच्छी होती है और निवेशकों का भरोसा बढ़ता है। बायबैक से ईपीएस (EPS) पर भी सकारात्मक असर पड़ता है जिससे निवेशकों को फायदा होता है।

नई दिल्ली। इस समय भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी Infosys Buyback की चर्चा है। कंपनी ने पिछले कारोबारी दिन शुक्रवार, 12 सितंबर को अपना अब तक का सबसे बड़ा शेयर बायबैक ऑफर (Infosys Share Buyback Offer) घोषित किया है।
ऐसे में हम आपको शेयर बायबैक क्या होता (What is a share buyback) है? कंपनी इसे क्यों जारी करती हैं इसके बारे में बताएंगे।
ये कुछ इस तरह है जैसे कोई कंपनी अपने ही बनाए हुए “सोने के सिक्के” वापस खरीदने का फैसला करें। क्योंकि उसे लगता है कि ये सिक्के बाजार में जितने में बिक रहे हैं, उससे कहीं ज्यादा कीमती हैं! बस कुछ ऐसा ही शेयर बायबैक भी होता है।
जब कोई कंपनी अपने ही शेयरों को फिर से खरीदती है, बिल्कुल उसी आत्मविश्वास के साथ जैसे कोई कलाकार अपनी सबसे बेहतरीन पेंटिंग को दोबारा खरीदना चाहे।
ये कदम न सिर्फ कंपनी के आत्मविश्वास को दिखाता है, बल्कि मौजूदा निवेशकों के लिए एक संकेत भी होता है कि उनके पास बढ़िया प्लान है, रिसोर्स हैं और खुद के भविष्य पर भरोसा भी है।
दूसरे शब्दो में कहें तो शेयर बायबैक (Share Buyback) या शेयर पुनः खरीद एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कोई कंपनी अपने ही जारी किए गए शेयरों को मौजूदा शेयरहोल्डर्स से वापस खरीदती है।
यह खरीद कंपनी ओपन मार्केट बाजार से सीधे या टेंडर ऑफर (एक निश्चित समय में शेयर वापस बेचने का प्रस्ताव) के जरिए कर सकती है।
इस दौरान, कंपनी आमतौर पर शेयर की जो कीमत ऑफर करती है, वह बाजार में चल रही कीमत से ज्यादा होती है। इससे मौजूदा निवेशकों को फायदा होता है।
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शेयर बायबैक क्यों किया जाता है?
कंपनियां कई कारणों से अपने शेयर वापस खरीद सकती हैं
1. कंपनी के पास ज्यादा कैश होता है लेकिन निवेश के अच्छे प्रोजेक्ट्स नहीं होते।
अगर कंपनी के पास ज्यादा पैसा है और उसे कोई अच्छा प्रोजेक्ट नहीं दिख रहा जिसमें वह निवेश कर सके, तो वह उस पैसे का इस्तेमाल अपने शेयर वापस खरीदने में कर सकती है। इससे कैश का बेहतर इस्तेमाल होता है और शेयरहोल्डर्स को भी रिवार्ड मिलता है।
2. टैक्स के लिहाज से फायदेमंद
डिविडेंड देने की बजाय शेयर बायबैक ज्यादा टैक्स-इफिशिएंट होता है। डिविडेंड पर तीन स्तरों पर टैक्स लगता है, जबकि बायबैक पर आम तौर पर कम टैक्स बोझ होता है।
3. कंपनी पर नियंत्रण बनाए रखना
अगर किसी कंपनी में बहुत ज्यादा शेयरहोल्डर्स हो जाते हैं, तो फैसले लेना मुश्किल हो सकता है। इसलिए कंपनी बायबैक करके अपने शेयरों को कम करती है ताकि नियंत्रण बनाए रखा जा सके और बोर्ड के पास ज्यादा वोटिंग पावर रहे।
4. शेयर की कीमत कम आंकी गई हो तो
अगर कंपनी को लगता है कि उसके शेयर बाज़ार में कम कीमत पर ट्रेड हो रहे हैं यानी उनकी वैल्यू कम आंकी जा रही है, तो वो शेयर वापस खरीदकर यह संकेत देती है कि उसे अपनी फाइनेंशियल हेल्थ और फ्यूचर ग्रोथ पर भरोसा है।
5. निवेशकों को रिवार्ड देने का तरीका
यह डिविडेंड की तरह ही निवेशकों को रिवार्ड देने का दूसरा तरीका है। शेयर बायबैक से शेयर की मांग बढ़ती है, जिससे उसकी कीमत बढ़ सकती है।
शेयर बायबैक का असर
EPS (Earnings Per Share) पर असर
जब कंपनी अपने कुछ शेयर वापस खरीद लेती है, तो बाज़ार में कुल शेयरों की संख्या घट जाती है। लेकिन कंपनी की कमाई (Net Income) वही रहती है, जिससे EPS बढ़ जाती है, जो निवेशकों के लिए अच्छा संकेत है।
फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स पर असर
बायबैक करने से कंपनी के पास जो कैश होता है, वो कम हो जाता है। इसका असर कंपनी के बैलेंस शीट पर पड़ता है। कुल एसेट्स घटते हैं और शेयरहोल्डर्स की इक्विटी कम होती है।
ROE (Return on Equity) और ROA (Return on Assets) जैसे रेशियो बेहतर दिखते हैं।
कंपनी की इमेज पर असर
जब कोई कंपनी अपने ही शेयर वापस खरीदती है, तो यह बाजार में एक पॉजिटिव संकेत देता है कि कंपनी को अपने भविष्य पर भरोसा है। इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ता है और शेयर की वैल्यू में भी इजाफा हो सकता है।
एक कंपनी बायबैक क्यों करती है?
शेयर बायबैक क्या दिखाता है?
निवेशक अक्सर यह मानते हैं कि शेयर बायबैक का मतलब है कि कंपनी के फ्यूचर में कुछ अच्छा होने वाला है, जैसे किसी बड़ी कंपनी का अधिग्रहण (acquisition), नया प्रोडक्ट लॉन्च, कंपनी की ग्रोथ बढ़ने वाली है।
कई बार जब शेयर की वैल्यू बहुत गिर जाती है, तब भी कंपनियां बायबैक करती हैं ताकि शेयर की कीमत को और गिरने से रोका जा सके।
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