PMO से संभावित राहत की खबर पर भागने वाले Vi Share पर निवेशकों को फिर मिला झटका, सीधे 10 फीसदी टूटे शेयर
वोडाफोन आइडिया (Vi Share Price) के शेयरों में आज 10% तक की गिरावट आई जबकि कल 7.5% की तेजी देखी गई थी। सरकार द्वारा एजीआर पर राहत देने से इनकार करने के बाद शेयरों में बिकवाली हो रही है। कंपनी को 31 मार्च 2026 तक एजीआर चुकाने से छूट मिली है लेकिन अब छह किश्तों में देनदारी चुकानी पड़ सकती है।
नई दिल्ली। आज मंगलवार को वोडाफोन आइडिया (Vi Share Price) का शेयर 10 फीसदी तक टूट गया है, जबकि कल सोमवार को इसमें 7.5 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली थी। दरअसल पहले ऐसी चर्चा थी कि सरकार वीआई को एजीआर (Adjusted Gross Revenue) पर राहत दे सकती है। इस रिपोर्ट के चलते वीआई का शेयर ऊपर चढ़ रहा था।
मगर अब केंद्र सरकार ने वीआई को एजीआर पर और राहत देने से मना कर दिया है, जिसके चलते आज इसके शेयरों में बिकवाली दिख रही है। करीब 12 बजे कंपनी का शेयर BSE पर 0.67 रु या 9.05 फीसदी की गिरावट के साथ 6.73 रु पर है।
6 किश्तों में चुकाना होगा बकाया AGR
वीआई को फिलहाल 31 मार्च 2026 तक बकाया एजीआर चुकाने से छूट मिली हुई है। पर सरकार के अब और राहत न देने के फैसले से कंपनी को इस अवधि के बाद छह समान किस्तों में इस देनदारी को चुकाना शुरू करना पड़ सकता है।
आज वोडाफोन आइडिया का शेयर बीएसई पर 10% गिरकर 6.66 रुपये के अपने दिन के सबसे निचले स्तर पर आ गया था। बता दें कि सरकार ने स्पष्ट किया कि कंपनी के लिए उसके बकाया एजीआर के मामले में कोई अतिरिक्त राहत पर विचार नहीं किया जा रहा है। सरकार का यह बयान कंपनी की फाइनेंशियल सेहत को लेकर चल रही चिंताओं के बीच आया है।
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क्या है पूरा मामला
पिछली मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रधानमंत्री ऑफिस (पीएमओ) को दूरसंचार विभाग (DoT) से कर्ज में डूबी वीआई के लिए कुछ राहत देने का प्रस्ताव मिला था, जिसमें बकाया राशि (AGR) के भुगतान पर दो साल की और छूट शामिल थी। वहीं अन्य प्रस्तावों में हर साल छोटी-छोटी पेमेंट और एजीआर पेमेंट पर पेनल्टी और ब्याज में छूट देने की बात भी शामिल थी।
कितना बकाया है एजीआर
जून 2025 तिमाही के अंत तक वोडाफोन आइडिया की एजीआर देनदारी लगभग 83,400 करोड़ रुपये है। इसमें ब्याज और जुर्माना अलग से है। गौरतलब है कि भारती एयरटेल, बीएसएनएल और एमटीएनएल के साथ वीआई ने भी दूरसंचार विभाग की एजीआर परिभाषा को चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2019 के फैसले ने विभाग की परिभाषा को बरकरार रखा और बकाया राशि का पूरा भुगतान अनिवार्य कर दिया।
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(डिस्क्लेमर: यहां शेयर की जानकारी दी गयी है, निवेश की सलाह नहीं। जागरण बिजनेस निवेश की सलाह नहीं दे रहा है। स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)
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