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    शेयर चुनने के तीन अचूक तरीके जिससे आपको मिलेंगे अच्छे कमाई वाले स्टॉक, दिग्गज भी करते हैं यूज

    Updated: Sat, 20 Dec 2025 05:22 PM (IST)

    मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल मल्टीबैगर स्टॉक्स पहचानने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने स्टॉक को चुनने के लिए तीन स्टॉक फ ...और पढ़ें

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    भारतीय शेयर बाजार के दिग्गज निवेशकों में शुमार रामदेव अग्रवाल, जो मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन हैं। वह दशकों से मल्टीबैगर स्टॉक्स पहचानने के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में उन्हें स्टॉक को चुनने के लिए तीन ऐसे स्टॉक फिल्टर हैं, जो वे किसी भी कंपनी में पैसा लगाने से पहले जरूर देखना चाहिए। तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।

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    1. शुरुआत में निवेश: अर्ली बर्ड रणनीति

    रामदेव अग्रवाल का मानना है कि किसी अच्छी कंपनी में जितना जल्दी निवेश किया जाए, उतना बेहतर रिटर्न मिल सकता है। उन्होंने उदाहरण इसके लिए बालकृष्ण इंडस्ट्रीज (Balkrishna Industries Share) का निर्णय दिया।

    उनके मुताबिक, जब उन्होंने इस कंपनी में निवेश किया था, तब इसका मार्केट कैप करीब 100 करोड़ रुपये था और शेयर 1 P/E पर मिल रहा था। रिटर्न ऑन इक्विटी 30-40% थी, लेकिन बाजार में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा था। “दो साल में शेयर 100 रुपये से 1,200 रुपये तक पहुंच गया और उन्होंने पूरा निवेश बेच दिया। यहां उनका मुख्य फोकस था P/E रेशियो यानी शेयर की कीमत उसके प्रति शेयर मुनाफे के मुकाबले कितनी है।

    2. सिर्फ ग्रोथ नहीं, कीमत भी मायने रखती है

    रामदेव अग्रवाल मानते हैं कि अच्छी कंपनी भी अगर महंगी हो, तो निवेशक को नुकसान दे सकती है। उन्होंने एशियन पेंट्स (Asian Paints) का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे सही कीमत न मिलने की वजह से वे इस शानदार स्टॉक से कमाई नहीं कर पाए। उनका कहना है कि निवेश में फीयर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO) से बचना चाहिए।

    सही कीमत आंकने के लिए वे PEG रेशियो (Price to Earnings to Growth) देखते हैं। अगर PEG 1 या उससे कम है, तो शेयर की कीमत उसकी ग्रोथ के हिसाब से वाजिब मानी जाती है। PEG रेशियो, P/E के मुकाबले ज्यादा बेहतर संकेत देता है क्योंकि इसमें भविष्य की ग्रोथ भी शामिल होती है।

    3. ROE के साथ कैश फ्लो भी जरूरी

    तीसरा और बेहद अहम फिल्टर है रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) है। रामदेव अग्रवाल के मुताबिक: किसी भी स्टॉक के लिए कम से कम 25% ROE होना चाहिए। लेकिन सिर्फ ROE काफी नहीं है। वे यह भी देखते हैं कि कंपनी अपना पैसा कितनी जल्दी वसूल कर पाती है। अगर किसी कंपनी की ROE तो 25% है, लेकिन ग्राहकों से पैसे वसूलने में 100-120 दिन लगते हैं, तो उस मुनाफे की गुणवत्ता पर सवाल उठता है।

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    (डिस्क्लेमर: यहां शेयरों को लेकर दी गई जानकारी निवेश की राय नहीं है। चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)

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