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    बाजार के लिए खतरे की घंटी! FIIs ने बनाया डेढ़ लाख करोड़ रुपये की बिकवाली का रिकॉर्ड, 4 वजह से निकाल रहे पैसा

    FIIs Heavy Selloff 2025 में शेयर मार्केट से एफआईआई की बिकवाली रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच चुकी है और भी साल खत्म होने में 4 महीने बाकी हैं। 4 खास वजह के चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं और दूसरे इमर्जिंग मार्केट में निवेश कर रहे हैं। एनालिस्ट का मानना है कि अमेरिका चीन और यूरोप जैसे बाज़ार सस्ते वैल्युएशन और बेहतर रिटर्न ऑफर कर रहे हैं।

    By Chandrashekhar Gupta Edited By: Chandrashekhar Gupta Updated: Thu, 14 Aug 2025 12:08 PM (IST)
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    2025 में सेकेंडरी मार्केट से एफआईआई की बिकवाली रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है।

    नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ महीनों से लगातार बिकवाली का दौर देखने को मिल रहा है, खासकर जुलाई के महीने में तो विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) मार्केट में शुद्ध बिकवाल रहे हैं। इस साल की शुरुआत बाजार में गिरावट के साथ हुई लेकिन मार्च के महीने से बाजार लगातार चढ़े, लेकिन जुलाई और अगस्त में भारी बिकवाली हुई है। हैरानी की बात है कि 2025 में सेकेंडरी मार्केट से एफआईआई की बिकवाली रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच चुकी है, और भी साल खत्म होने में 4 महीने बाकी हैं।

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    एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने द्वितीयक बाजार में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली की है, जो पूर्व के सभी वार्षिक रिकॉर्ड से ज्यादा है।

    क्या है भारी बिकवाली की वजह

    पिछले कुछ सालों में खासकर कोरोना महामारी के बाद भारतीय शेयर बाजार तेजी से चढ़े और विदेशी निवेशकों ने मार्केट में जमकर पैसा लगाया। सवाल है कि अब ऐसा क्या हो गया कि अचानक से एफआईआई बाजार से भारी संख्या में पैसा निकाल रहे हैं। दरअसल, यह बिकवाली स्लो कॉर्पोरेट अर्निंग (कंपनियों की कमजोर आय), कमजोर वैल्युएशन, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और अनिश्चितता, साथ ही अन्य विदेशी बाजारों में अधिक आकर्षक अवसरों के कारण आर रही है। ऐसे में विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकालकर दूसरे इमर्जिंग मार्केट में पैसा लगा रहे हैं।

    इन बाजारों पर FIIs की नजर

    मार्केट एनालिस्ट का मानना है कि अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे बाज़ार सस्ते वैल्युएशन और बेहतर रिटर्न ऑफर कर रहे हैं। हालाँकि, भारत सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है, लेकिन मौजूदा माहौल ने पोर्टफोलियो मैनेजर्स को "बाय और होल्ड" के नजरिये से हटकर स्ट्रैटेजिक एसेट एलोकेशन पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया है, ऐसे में भारत अब विदेशी निवेशकों का पसंदीदा दांव नहीं रहा।

    IPO में पैसा लगाना ज्यादा पसंद

    2025 में अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो उसके ग्लोबल पीयर की तुलना में काफी कम है। क्योंकि, इसी अवधि में अमेरिकी इंडेक्स एसएंडपी 500 और नैस्डैक में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, यूरोप के एफटीएसई 100, सीएसी और डीएएक्स में 20 प्रतिशत से ज्यादा चढ़े हैं। वहीं, एशिया में जापान का निक्केई 18 प्रतिशत तो हांगकांग का हैंगसेंग और चीन का सीएसआई 300 क्रमशः 29 प्रतिशत और 10 प्रतिशत बढ़े हैं।

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    खास बात है कि भारतीय शेयर मार्केट से भारी संख्या में पैसा निकालने के बावजूद, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) प्राइमरी मार्केट में अब सक्रिय रहे हैं, और आईपीओ में पैसा लगा रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि आईपीओ लिस्टिंग पर 15-20 प्रतिशत रिटर्न दे रहे हैं, जिससे शॉर्ट टर्म बेनेफिट को लेकर ग्लोबल फंड आकर्षित हो रहे हैं।