क्या होता है Main Board और SME IPO में अंतर? पैसा लगाने से पहले जान लें काम की बात
Mainboard vs SME IPOs: आजकल आईपीओ निवेश का एक लोकप्रिय माध्यम है। जब कोई प्राइवेट कंपनी पहली बार शेयर बाजार में प्रवेश करती है, तो वह आईपीओ के माध्यम से ही करती है। आईपीओ दो प्रकार के होते हैं: मेनबोर्ड और एसएमई आईपीओ। मेनबोर्ड आईपीओ बड़ी कंपनियों के लिए होता है, जबकि एसएमई आईपीओ छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए होता है। दोनों में पात्रता, आकार और निवेशकों के मामले में अंतर होता है।

क्या होता है Main Board और SME IPO में अंतर? पैसा लगाने से पहले जान लें काम की बात
नई दिल्ली। Mainboard Vs SME IPO: एक समय था जब आईपीओ के बारे में बहुत कम लोग ही जानते थे। लेकिन आज के समय में आईपीओ पैसा कमाने का एक जरिया बनता जा रहा है। जब भी कोई कंपनी शेयर बाजार में एंट्री लेती है तो वह आईपीओ के जरिए ही बाजार में आती है। यानी पहली बार जब कंपनी शेयर मार्केट में एंट्री मारती है और जिन्हें भी उस दौरान शेयर मिलते हैं वह आईपीओ ही होता है। आपने बहुत से लोगों से सुना होगा कि मुझे यह आईपीओ मिल गया और मुझे यह आईपीओ नहीं मिला। लेकिन आईपीओ भी दो प्रकार के होते हैं और इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को होती है। आज हम आपको आईपीओ को उन्हीं दो प्रकार के बारे में बताएंगे।
क्या होता है IPO?
IPO का फुल फॉर्म इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) होता है। यह वह प्रोसेस है जिसके जरिए एक प्राइवेट कंपनी पहली बार अपने शेयर पब्लिक को ऑफर करती है, जिससे वह कई तरह के इन्वेस्टर्स से कैपिटल जुटा पाती है। यह इवेंट कंपनी के प्राइवेट ओनरशिप से पब्लिकली ट्रेडेड एंटिटी बनने की शुरुआत होती है, जहां उसके शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होते हैं।
IPO से जुटाए गए फंड का इस्तेमाल कई कामों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि ऑपरेशंस को बढ़ाना, कर्ज चुकाना, या नए प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट करना। IPO इन्वेस्टर्स के लिए ज़रूरी होते हैं क्योंकि वे कंपनी के मार्केट में एंट्री पॉइंट पर शेयर खरीदने का मौका देते हैं, जिससे भविष्य में ग्रोथ से फायदा हो सकता है। हालांकि, IPO इन्वेस्टमेंट में रिस्क भी होते हैं, जिसमें मार्केट में उतार-चढ़ाव और कंपनी के परफॉर्मेंस की अनिश्चितताएं शामिल हैं।
क्या होता है Mainboard और SME IPO में अंतर?
मेनबोर्ड IPO बड़े कंपनियों के लिए होता है जो SEBI और संबंधित स्टॉक एक्सचेंज (NSE और BSE) द्वारा तय किए गए खास एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा करती हैं। जो कंपनियां मेनबोर्ड IPO चुनती हैं, वे आम तौर पर बड़ी कॉर्पोरेशन होती हैं जिनका मार्केट कैपिटलाइजेशन ज्यादा होता है, अक्सर ₹500 करोड़ से ज्यादा।
SME IPOs छोटे और मीडियम एंटरप्राइजेज के लिए डिजाइन किए गए हैं जिन्हें स्केल करने के लिए फंड की जरूरत होती है, लेकिन वे मेनबोर्ड लिस्टिंग की सख्त रेगुलेटरी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते हैं। NSE (NSE Emerge) और BSE (BSE SME) पर SME प्लेटफॉर्म इन बिजनेस को काफी आसान नियमों के साथ पब्लिक होने की इजाजत देता है।
| Mainbaord Vs SME IPO | ||
| फैक्टर | मेनबोर्ड IPO | SME IPO |
| कंपनी की साइज | बड़े पैमाने की कंपनियां | लघु और मध्यम उद्यम |
| स्टॉक एक्सचेंज | एनएसई और बीएसई | एनएसई इमर्ज और बीएसई एसएमई |
| न्यूनतम पोस्ट-इश्यू चुकता पूंजी | 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक | 1 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये के बीच |
| आईपीओ आकार | आमतौर पर 25 करोड़ रुपये से अधिक | 2-3 करोड़ रुपये तक कम हो सकता है |
| निवेशक पात्रता | संस्थागत, खुदरा और एचएनआई निवेशकों द्वारा व्यापक रूप से भाग लिया गया | ज्यादातर खुदरा और एचएनआई निवेशक |
| न्यूनतम आवेदन आकार | खुदरा निवेशकों के लिए ₹10,000 से ₹15,000 तक की न्यूनतम राशि | बड़े लॉट आकार के कारण आमतौर पर ₹2,00,000 या अधिक |
| निवेशक आवश्यकताएँ | न्यूनतम 1,000 निवेशकों की आवश्यकता है | न्यूनतम 50 निवेशकों की आवश्यकता है |
| रिपोर्टिंग समयसीमा | वित्तीय रिपोर्ट हर 3 महीने में प्रस्तुत की जानी चाहिए | वित्तीय रिपोर्ट हर 6 महीने में प्रस्तुत की जानी चाहिए |
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"शेयर और IPO से जुड़े अपने सवाल आप हमें business@jagrannewmedia.com पर भेज सकते हैं।"
(डिस्क्लेमर: यहां शेयरों और IPO को लेकर दी गई जानकारी निवेश की राय नहीं है। चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए निवेश करने से पहले किसी सर्टिफाइड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से परामर्श जरूर करें।)

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