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    Gratuity Calculation : ग्रेच्युटी पर बढ़ी टैक्स छूट की लिमिट, आपको कैसे मिलेगा इसका लाभ, समझिए पूरा हिसाब

    Updated: Tue, 12 Mar 2024 03:29 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट की लिमिट को 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया है। ग्रेच्युटी की रकम आमतौर पर रिटायरमेंट के बाद दी जाती है। लेकिन अगर आप पांच साल की सर्विस के बाद नौकरी छोड़ते हैं तो भी आपको ग्रेच्युटी की रकम मिल जाएगी। आइए जानते हैं कि ग्रेच्युटी क्या होती है और इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है।

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    सरकार ने Gratuity पर टैक्स छूट की लिमिट बढ़ा दी है।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र ने पिछले दिनों डियरनेस अलाउंस (DA) और डियरनेस रिलीफ (DR) में चार फीसदी का इजाफा करके सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ा तोहफा दिया। सरकार ने ग्रेच्युटी पर टैक्स छूट ( tax exemption limit on gratuity) की लिमिट भी बढ़ाई है, जिसे बड़ी राहत माना जा रहा है।

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    आइए जानते हैं कि ग्रेच्युटी क्या होती है, इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है और इसके तहत कितनी रकम मिलती है।

    क्या होती है ग्रेच्युटी (Gratuity)

    आसान शब्दों में कहें, तो ग्रेच्युटी का मतलब है- वफादारी का इनाम। यह उन कर्मचारियों को मिलती है, जो लंबे वक्त लगातार एक ही संस्थान में काम करते हैं। अगर कोई शख्स सरकारी सेवा में है, या फिर 10 या इससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी में काम करता है, तो वह एक तय अवधि के बाद वह पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत ग्रेच्युटी का हकदार हो जाता है।

    अभी ग्रेच्युटी के लिए कम से कम पांच साल तक एक ही संस्थान में सेवा देने की शर्त है। हालांकि, इसे कम करके एक साल तक करने की बात कही जा रही है। केंद्र के न्यू वेज कोड में इस पर चर्चा हुई है। अगर ऐसा होता है, तो सरकारी या निजी संस्थानों में काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों को बड़ा लाभ होगा।

    यह भी पढ़ें : 7th Pay Commission: केंद्र सरकार ने बढ़ाया HRA! आपके शहर में क्या है इसकी लिमिट; चेक करें लिस्ट

    ग्रेच्युटी कब मिलती है?

    अमूमन ग्रेच्युटी का भुगतान रिटायरमेंट के बाद किया जाता है। लेकिन, अगर आप लगातार पांच साल की सेवा पूरी करने के बाद नौकरी छोड़ते या बदलते हैं, तो भी आपको ग्रेच्युटी की रकम मिल जाएगी। सर्विस के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने या दिव्यांग होने पर यह शर्त लागू नहीं होती।

    अगर कोई कर्मचारी लापरवाही या गलती से संस्थान की संपत्ति का नुकसान करता है और उसे निकाल दिया जाता है, तो संस्थान उसकी ग्रेच्युटी में से अपने नुकसान की भरपाई कर सकती है।

    कैसे कैलकुलेट की जाती है ग्रेच्युटी?

    ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने का फॉर्मूला है,

    कुल ग्रेच्युटी = (आखिरी बेसिक मंथली सैलरी) x (15/26) x (नौकरी के साल)।

    मिसाल के लिए, आपने 2019 में नौकरी शुरू की और 2024 में रिजाइन दे दिया। रिजाइन के वक्त आपकी बेसिक मंथली सैलरी 50 हजार रुपये थी। तो आपकी ग्रेच्युटी की रकम ऐसे पता चलेगी।

    50,000 x (15/26) x 5 = 1,44,230 रुपये

    यहां गौर करने वाली बात यह है कि फरवरी को छोड़कर साल के बाकी सभी महीने 30 या 31 दिन के होते हैं। लेकिन, पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत चार साप्ताहिक छुट्टियों को वर्किंग डेज को 26 दिन तय किया गया है।

    अगर कंपनी ग्रेच्युटी देने से मना करे तो?

    अगर आपने पांच साल तक काम किया और कोई अनैतिक या गैरकानूनी काम नहीं किया है, तो कंपनी को हर हाल में आपकी ग्रेच्युटी की रकम देनी होगी। अगर कंपनी मना करती है, तो उसके खिलाफ कानूनी नोटिस भेजा जा सकता है।   

    कंपनी फिर भी ना माने, तो आप जिला श्रम आयुक्त के पास जाकर शिकायत कर सकते हैं। अगर फैसला आपके पक्ष में आता है, तो कंपनी को ग्रेच्युटी के साथ ही जुर्माना और ब्याज भी देना होगा।

    ग्रेच्युटी में कितनी मिलती है टैक्स छूट?

    पहले टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की लिमिट 20 लाख रुपये था। लेकिन, सरकार ने अपने हालिया तोहफे में इसे बढ़ाकर 25 लाख कर दिया है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भी सरकार ने इस लिमिट को 10 से 20 लाख रुपये की थी।

    यह सीमा कर्मचारी के पूरे कामकाजी जीवन वाली ग्रेच्युटी पर लागू होती है। आपको चाहे जितनी बार भी ग्रेच्युटी मिले, लेकिन ग्रेच्युटी छूट की सीमा 25 लाख रुपये ही बनी रहेगी।