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    Mutual Fund में भी हैं कई तरह के रिस्क, निवेश करने से पहले इन बातों का जरूर रखें ध्यान

    By Gaurav KumarEdited By: Gaurav Kumar
    Updated: Wed, 25 Oct 2023 08:30 PM (IST)

    Mutual Fund Risk म्यूचुअल फंड बाजार जोखिमों के अधीन होता है। निवेशक मिडस्मॉल या लार्ज कैप म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं और फिर म्यूचुअल फंड कंपनी उस पैसे को आगे निवेश करके आपके मुनाफा देती है। हालांकि म्यूचुअल फंड में भी कई तरह के जोखिम होते हैं जिन्हें आपको निवेश करने से पहले समझना चाहिए। चलिए जानते हैं कौन-कौन से हैं रिस्क। पढ़िए पूरी खबर।

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    म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले इन रिस्क को समझ लें।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। ज्यादातर लोग अपने निवेश की शुरुआत म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) से करते हैं। हालांकि म्यूचुअल फंड भी बाजार जोखिमों के अधीन होता है लेकिन यह निवेशक को बाजार में सीधा पैसा लगाने की अनुमति नहीं देता।

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    निवेशक किसी मिड कैप या स्मॉल कैप या लॉर्ज कैप म्यूचुअल फंड में पैसा निवेश करते हैं और फिर वो कंपनी आगे पैसा निवेश कर आपको मुनाफा देते है। यही कारण है कि लोग शेयर बाजार की तुलना में म्यूचुअल फंड ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। हालांकि म्यूचुअल फंड में भी हैं कई तरह के रिस्क होते हैं जिसे आपको निवेश करने से पहले समझना चाहिए।

    क्या-क्या होते हैं रिस्क?

    मार्केट रिस्क

    जैसे की हमने आपको बताया की म्यूचुअल फंड भी बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए बाजार के चढ़ने या घटने से आपके म्यूचुअल फंड पर भी इसका असर पड़ता है। चूंकी म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेशकों के पैसों को विभिन्न प्रकार की वित्तीय प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं, जिनमें इक्विटी, बॉन्ड और अन्य उपकरण शामिल हैं इसलिए मार्केट का रिस्क हमेशा रहता है।

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    विभिन्न प्रकार की वित्तीय प्रतिभूतियों में निवेश करने से आपका पोर्टफोलियों मजबूत होता है और आपके पैसे डूबने की उम्मीद कम होती है।

    लिक्विडिटी रिस्क

    लिक्विडिटी रिस्क का सामना लॉक-इन अवधि वाले म्यूचुअल फंड को करना पड़ता है जैसे कि इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम। यह रिस्क तब होता है जब निवेशकों को बिना नुकसान उठाए अपने निवेश को भुनाना मुश्किल लगता है। जब बाजार में पर्याप्त खरीदार नहीं हों तो निवेश बेचना मुश्किल हो जाता है।

    इंटरेस्ट रेट रिस्क

    डेट (Debt) म्यूचुअल फंड को आमतौर पर इस रिस्क का सामना करना पड़ता है। व्यापर की भाषा में जैसे डिमांड और सप्लाई होता है वैसे ही इंटरेस्ट रेट, उधार देने वालों के पास क्रेडिट की उपलब्धता और उधार लेने वालों की मांग पर निर्भर करता है।

    क्रेडिट रिस्क

    इसका सरल सा मतलब यह है कि, म्यूचुअल फंड स्कीम का जारीकर्ता (issuer) आपको उतना ब्याज का भुगतान नहीं कर पाए जितना उसने वादा किया था तो इस स्थिति में क्रेडिट रिस्क की स्थिति बनती है।

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    रेटिंग एजेंसियां ​​आमतौर पर इन कारकों के आधार पर निवेश संभालने वाली कंपनियों को ग्रेड देती हैं। इसलिए आपने गौर किया होगा कि अच्छी रेटिंग वाली कंपनियां कम भुगतान करती हैं।