National Pension System: एनपीएस में निवेश कर तैयार करें बड़ा रिटायरमेंट फंड, जानिए कैसे करता है काम
National Pension System म्युचुअल फंड की तरह ही मैनेज होता है। इसमें तीन तरह से निवेश होता है। पहला इक्विटी दूसरा कॉरपोरेट बॉन्ड और तीसरा गवर्नमेंट सिक्युरिटीज।
नई दिल्ली, बिजनेज डेस्क। किसी भी व्यक्ति के लिए अपना रिटायरमेंट फंड तैयार करने के लिए सही आयु में सेविंग शुरू करना बहुत जरूरी होता है। रिटायरमेंट के बाद व्यक्ति पहले की भांति पुरुषार्थ करने में समर्थ नहीं होता, इसलिए उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संचय किये गए धन की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में रिटायरमेंट फंड का होना बहुत जरूरी है। व्यक्ति जितनी कम आयु में रिटायरमेंट फंड के लिए सेविंग शुरू करेगा, उतना ही बड़ा फंड वह तैयार कर पाएगा। रिटायरमेंट फंड तैयार के लिए NPS यानी नेशनल पेंशन सिस्टम काफी लोकप्रिय विकल्प है। आइए जानते हैं कि यह कैसे काम करता है और इसके क्या फायदे हैं।
नेशनल पेंशन सिस्टम म्युचुअल फंड की तरह ही मैनेज होता है। इस कारण इससे काफी बेहतर रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। NPS सरकारी और निजी दोनों सेक्टर के कर्मचारियों के लिए है। इस रिटायरमेंट फंड स्कीम में ग्राहक को अपनी नौकरी के दौरान हर महीने कुछ राशि जमा करानी होती है। रिटायरमेंट के बाद निवेशक तैयार हुए फंड का एक हिस्सा निकाल सकते हैं और शेष राशि से नियमित आय के लिए एनुइटी ले सकते हैं।
इस योजना में 18 से 60 साल तक की आयु के लोग शामिल हो सकते हैं। एनपीएस के तहत देश के लगभग सभी सरकारी और निजी बैंकों में जाकर अकाउंट खुलवाया जा सकता है। ग्राहक एनपीएस अकाउंट जितनी कम आयु में खुलवा सकें, उतना ही बेहतर है। अगर किसी कर्मचारी की रिटायरमेंट की आयु 60 साल है, तो उसे 30 से 35 साल की आयु में ही एनपीएस अकाउंट खुलवा लेना चाहिए।
जानिए कैसे काम करता है यह सिस्टम
नेशनल पेंशन सिस्टम म्युचुअल फंड की तरह ही मैनेज होता है। इसमें तीन तरह से निवेश होता है। पहला इक्विटी, दूसरा कॉरपोरेट बॉन्ड और तीसरा गवर्नमेंट सिक्युरिटीज। निवेशक को अपना निवेश तय करने के लिए एसेट अलोकेशन और ऑटो च्वाइस दोनों ही ऑप्शन मिलते हैं। ऑटो च्वाइस में शुरुआत में इक्विटी में 50 फीसद हिस्सा जाता है और यह समय के साथ घटता जाता है। उधर एसेट अलोकेशन में निवेशक 75 फीसद तक इक्विटी में निवेश कर सकता है।
ना करें प्री-मैच्योर निकासी
नेशनल पेंशन सिस्टम में वैसे तो प्री-मैच्योर विड्रॉल की अनुमति नहीं होती है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में इसके लिए छूट दी हुई है। एनपीएस अकाउंट शुरू होने के तीन साल बाद जितना फंड जमा हुआ है, उसमें से कंपनी के फंड के अलावा राशि के 25 फीसद की निकासी की जा सकती है। निवेशक नया बिजनेस शुरू करने, बच्चों की पढ़ाई, लिस्टेड बीमारी, घर खरीदने या बनाने व शादी आदि के लिए ही प्री-मैच्योर निकासी कर सकते हैं। प्री मैच्योर निकासी पांच-पांच साल के अंतर में केवल तीन बार ही की जा सकती है।