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    UP MLAs-Minister Salary Hike: 9 साल बाद बढ़ी मंत्री-विधायकों की सैलरी, 40% का इंक्रीमेंट; जानें किसे होगा कितना फायदा?

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 01:40 PM (IST)

    यूपी के मंत्रियों विधायकों और विधान परिषद सदस्यों की सैलरी और भत्तों में बड़ा बदलाव हुआ है। विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने विधेयक पास किया जिसे सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से पास कर दिया। उन्होंने बताया कि पिछली बार सैलरी में इजाफा 9 साल पहले हुआ था अब 40% तक बढ़ोतरी की गई है। नई सैलरी 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगी।

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    9 साल बाद बढ़ी मंत्री-विधायकों की सैलरी, 40% तक इंक्रीमेंट।

    नई दिल्ली| यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) ने मंत्रियों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों की सैलरी और भत्तों (up mla ministers salary hike) में बड़ा बदलाव किया है। विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन यानी गुरुवार (14 अगस्त को) संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने "उत्तर प्रदेश राज्य विधानमंडल सदस्य एवं मंत्री वेतन-भत्ता (संशोधन) विधेयक, 2025" पेश किया।

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    जिसे सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से पास कर दिया। मंत्री खन्ना ने बताया कि पिछली बार सैलरी में इजाफा 9 साल पहले हुआ था, इसलिए अब 40% तक बढ़ोतरी की गई है। नई सैलरी 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगी।

    सैलरी में क्या-क्या हुई बढ़ोतरी?

    मद वर्तमान बढ़ोतरी के बाद
    बेसिक सैलरी (MLA/MLC) 25,000 35,000
    बेसिक सैलरी (मंत्री) 40,000 50,000
    निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 50,000 70,000
    रेलवे कूपन 4.25 लाख 5 लाख रुपए
    दैनिक भत्ता 2,000 2,500
    लोक सेवा भत्ता 1,500 2,000
    सचिव भत्ता 20,000 30,000
    चिकित्सा भत्ता 30,000 45,000
    टेलीफोन भत्ता 6,000 9,000

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    पेंशन और सुविधाओं में भी बदलाव

    पूर्व विधान परिषद सदस्यों को 6 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद हर महीने 2,000 रुपए अतिरिक्त पेंशन मिलेगी, जो हर साल बढ़ेगी। परिवार पेंशन 25,000 रुपए से बढ़ाकर 30,000 रुपए कर दी गई है।

    पूर्व विधायकों को पहले सालाना 1 लाख रुपए के रेलवे कूपन मिलते थे, जिसे अब 1.5 लाख रुपए कर दिया गया है। इनमें से 50,000 रुपए नकद लेकर रेल या हवाई यात्रा की जा सकती है और बाकी रकम पेट्रोल-डीजल या निजी वाहन के खर्च में इस्तेमाल होगी। बची हुई राशि बाद में कैश में बदली जा सकेगी।

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    विशेष समिति की सिफारिश पर बढ़ोतरी

    ये सभी बढ़ोतरी एक विशेष समिति की सिफारिश पर की गई है। सरकार का कहना है कि महंगाई और बढ़ते खर्च को देखते हुए यह कदम जरूरी था। यह फैसला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोग इसे जनप्रतिनिधियों के लिए जरूरी बता रहे हैं, तो कुछ सवाल उठा रहे हैं कि जनता की भलाई के लिए ऐसे कदम कब उठेंगे।