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    घर बनाने से लेकर बागवानी तक, Jewar Airport के 20 किमी दायरे में नियम सख्त; निवेश से पहले जान लें फायदे-नुकसान!

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 08:55 PM (IST)

    जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के 20 किलोमीटर के दायरे में आने वाली हर बिल्डिंग चाहे वो रिहायशी हो कमर्शियल टेलीकॉम टॉवर हो या फिर पेड़ की बागवानी सब पर ऊंचाई की पाबंदी लागू होगी। खासकर एयरपोर्ट के फनल एरिया में नियम और भी कड़े हैं यहां बिल्डिंग की अनुमति सिर्फ रनवे से दूरी के 2% तक की ऊंचाई पर ही मिल पाएगी। इसलिए निवेश से पहले फायदे-नुकसान जान लीजिए।

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    घर बनाने से लेकर बागवानी तक, Jewar Airport के 20 किमी दायरे में नियम सख्त।

    नई दिल्ली| दिल्ली-एनसीआर में रहने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है। क्योंकि, आज से 40 दिन बाद नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Jewar Airport) लंबे इंतजार के बाद शुरू होने जा रहा है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने बताया है कि एयरपोर्ट का उद्घाटन 30 अक्टूबर 2025 को होगा, जिसके 45 दिन बाद यानी साल के अंत तक फ्लाइट्स उड़ानें भरने लगेंगी।

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    खास बात यह है कि एयरपोर्ट के शुरू होते ही आसपास प्रॉपर्टी की डिमांड बढ़ने लगी है। हालांकि, जेवर एयरपोर्ट पहले ही यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA height restrictions) ने कड़े नियम लागू कर दिए हैं, जिन्हें आपका जानना बेहद जरूरी है। साथ ही आपको इसके फायदे और नुकसान भी पता होने चाहिए। ओरम ग्रुप के फाउंडर प्रदीप मिश्रा ने इस बारे में एक-एक बारीकी बताई। तो चलिए समझते हैं: 

    20 किमी के दायरे में कंस्ट्रक्शन पर सख्त पाबंदियां 

    एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) की गाइडलाइंस के तहत अब एयरपोर्ट (Jewar Airport construction norms) से 20 किलोमीटर के दायरे में बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन पर सख्त पाबंदियां होंगी। इसका सीधा असर दिल्ली-एनसीआर, खासकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में निवेश करने वालों पर पड़ेगा। एएआई (AAI NOC requirement) ने इसके लिए कलर-कोडेड जोनिंग मैप जारी किया है, जिसमें हर इलाके के हिसाब से बिल्डिंग की ऊंचाई तय की गई है। 

    यह भी पढ़ें- नोएडा में डेवलपर्स खड़ी कर सकेंगे गगनचुंबी इमारतें, हाइट लिमिट खत्म होने से क्या होंगे फायदे-नुकसान? एक्सपर्ट से समझें

    15 मीटर से ऊंची बिल्डिंगों के लिए मंजूरी अनिवार्य

    15 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाली किसी भी बिल्डिंग को बनाने से पहले NOCAS पोर्टल के जरिए अनिवार्य मंजूरी लेनी होगी। वहीं, एयरपोर्ट से 10 किलोमीटर के दायरे में बिना अनुमति के कोई भी निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित है।

    टॉवर से लेकर पेड़ों की बागवानी पर भी पाबंदी

    20 किलोमीटर के भीतर आने वाली हर बिल्डिंग, चाहे वो रिहायशी हो, कमर्शियल, टेलीकॉम टॉवर हो या फिर पेड़ की बागवानी, सब पर ऊंचाई की पाबंदी लागू होगी। खासकर एयरपोर्ट के फनल एरिया में नियम और भी कड़े हैं, यहां बिल्डिंग की अनुमति सिर्फ रनवे से दूरी के 2% तक की ऊंचाई पर ही मिल पाएगी।

    इसके उलट, 20 किलोमीटर से बाहर वाले इलाके में यूपी बिल्डिंग बायलॉज 2025 लागू होंगे। यहां 45 मीटर से चौड़ी सड़कों पर असीमित FAR की छूट है और ऊंचाई की कोई पाबंदी नहीं होगी, जिससे इन इलाकों में निवेश के मौके ज्यादा आकर्षक बन गए हैं।

    जेवर एयरपोर्ट बनने के 5 फायदे

    1. सबसे बड़ा फायदा सुरक्षा का है। ये नियम बर्ड हिट, बिल्डिंग टकराव और रडार इंटरफेरेंस रोकेंगे, जिससे एयरपोर्ट संचालन सुरक्षित रहेगा।
    2. प्रॉपर्टी वैल्यू बढ़ेगी, क्योंकि नई बिल्डिंग आसानी से नहीं बन पाएगी, जिससे पुरानी वैध बिल्डिंग की कीमत अपने आप प्रीमियम लेवल पर पहुंच जाएगी।
    3. केवल क्वालिटी डेवलपमेंट होगा क्योंकि हर प्रोजेक्ट को NOC लेना अनिवार्य होगा। इससे अवैध कॉलोनियों का खतरा कम होगा।
    4. सरकार की आमदनी बढ़ेगी, NOC फीस, क्लियरेंस चार्ज और रेगुलेशन से राजस्व आएगा और प्लानिंग भी बेहतर होगी।
    5. इलाके का इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से सुधरेगा क्योंकि सरकार अधिकृत प्रोजेक्ट्स के लिए सड़क, बिजली और कनेक्टिविटी पर फोकस करेगी।

    जेवर एयरपोर्ट बनने के 5 नुकसान

    1. जमीन मालिकों को नुकसान होगा, क्योंकि वे अपनी पूरी जमीन का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। हाई-राइज प्रोजेक्ट्स रुक सकते हैं।
    2. खरीदारों और निवेशकों में कंफ्यूजन रहेगा, क्योंकि कलर-कोडेड मैप और NOC प्रोसेस समझना मुश्किल है।
    3. डेवलपर्स के खर्चे बढ़ेंगे। NOC फीस, सर्वे और लंबी अप्रूवल प्रोसेस प्रोजेक्ट महंगे बना देगी।
    4. 20 किलोमीटर के अंदर और बाहर के इलाकों में असमानता होगी। बाहर वालों को असीमित FAR की छूट मिलेगी जबकि अंदर वालों पर पाबंदियां रहेंगी।
    5. लागू करने में दिक्कतें आएंगी। AAI गाइडलाइंस, YEIDA अप्रूवल और तकनीकी सर्वे की जटिलता से समय और पैसा दोनों खर्च होंगे।

    यानी जेवर एयरपोर्ट निवेशकों के लिए सुनहरा मौका तो है, लेकिन 20 किलोमीटर की रेंज में आने वाली प्रॉपर्टी पर निवेश करने से पहले हर नियम को समझना जरूरी है। वरना भविष्य में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।