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    Resale vs new flat: फ्लैट की लाइफ कितनी, कौन-कौन से खर्च, किस पर आसानी से मिल जाता है लोन? एक्सपर्ट से समझें

    अपना घर खरीदते वक्त सबसे बड़ा सवाल होता है- नया फ्लैट लें या रीसेल फ्लैट? जानिए दोनों के फायदे-नुकसान खर्चे लोन सुविधाएं और resale value जैसे अहम पहलुओं पर क्लियर गाइड। पहली बार घर खरीदने वालों के लिए यह जानकारी मददगार साबित होगी और सही फैसला लेने में आसानी होगी।

    By Ankit Kumar Katiyar Edited By: Ankit Kumar Katiyar Updated: Sun, 24 Aug 2025 06:50 PM (IST)
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    रीसेल फ्लैट खरीदते समय कुछ कानूनी और स्ट्रक्चरल जांच बेहद जरूरी है।

    नई दिल्ली | Resale flat vs new flat: हर किसी का सपना होता है अपना घर। लेकिन जब सामने दो ऑप्शन हों- नया फ्लैट या फिर रीसेल फ्लैट, तो कन्फ्यूजन और भी बढ़ जाता है। नया घर मतलब एकदम फ्रेश, मॉडर्न और अपनी पसंद से सजाने-संवारने का मौका। जबकि रीसेल फ्लैट अक्सर प्राइम लोकेशन पर, रेडी-टू-शिफ्ट और बजट-फ्रेंडली भी साबित हो सकता है।

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    पहली बार खरीदने वालों के लिए ये फैसला और मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन सा ऑप्शन ज़्यादा स्मार्ट है और दोनों में कौन-कौन से खर्चे सामने आ सकते हैं? इस बारे में बता रहे हैं स्क्वायर यार्ड्स के सेल्स डायरेक्टर एंड प्रिंसिपल पार्टनर सुहास पैठणकर। तो चलिए सिर्फ 8 प्वाइंट में समझते हैं फायदे वाली बात।

    1. पहला घर खरीदने वालों के लिए क्या है सही? 

    पिछले कुछ सालों में सेकंड हैंड और नए फ्लैट की कीमतों का अंतर काफी कम हो गया है। कई अच्छे लोकेशन वाले पुराने फ्लैट अब नए प्रोजेक्ट्स जितने ही ठीक रख-रखाव वाले हैं। सेकंड हैंड फ्लैट का फायदा यह है कि ये अक्सर सस्ते होते हैं, GST से मुक्त होते हैं और तुरंत कब्जा मिल जाता है। लेकिन इसमें पूरी राशि पहले चुकानी पड़ती है, जो पहली बार खरीदने वालों के लिए मुश्किल हो सकता है।

    नए फ्लैट थोड़े महंगे होते हैं और अगर निर्माणाधीन हैं तो उन पर GST भी लगता है। लेकिन ये नए फ्लैट आधुनिक सुविधाओं, शानदार निर्माण गुणवत्ता और लचीले भुगतान विकल्पों के साथ आते हैं। दोनों ही विकल्पों के अपने फायदे हैं, और सही विकल्प आपके व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है।

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    2. रीसेल फ्लैट खरीदते समय किन दस्तावेजों की जांच करें?

    रीसेल फ्लैट खरीदते समय कुछ कानूनी और स्ट्रक्चरल जांच बेहद जरूरी है, ताकि बाद में कोई धोखाधड़ी या विवाद न हो।

    • मालिकाना हक- यह दिखाता है कि बेचने वाला सच में फ्लैट का मालिक है और बेचने का अधिकार रखता है।
    • बिक्री दस्तावेज़- यह दस्तावेज़ आधिकारिक रूप से मालिकाना हक आपके नाम ट्रांसफर करता है। इसे रजिस्ट्रेशन ऑफिस में रजिस्टर करना जरूरी है।
    • ऋणमुक्त प्रमाण- यह बताता है कि फ्लैट पर कोई कानूनी बकाया या लोन नहीं है।
    • अधिभोग या निवास प्रमाण पत्र (Occupancy & Completion Certificates)- स्थानीय प्राधिकरण से पुष्टि कि बिल्डिंग सुरक्षित और रहने योग्य है।
    • नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC)- बिल्डर, सोसाइटी और बैंक से यह सुनिश्चित करें कि सभी बकाया निपट चुके हैं और कोई आपत्ति नहीं है।
    • प्रॉपर्टी टैक्स एंड यूटीलिटी बिल- यह जांचें कि सभी टैक्स और बिल समय पर चुकाए गए हैं।

    इन दस्तावेजों की जांच करके आप बिना चिंता के फ्लैट खरीद सकते हैं।

    3. क्या नए फ्लैट सुविधाओं और क्वालिटी में बेहतर होते हैं?

    नए फ्लैट्स आम तौर पर जिम, स्विमिंग पूल, गार्डन, क्लब हाउस और आधुनिक सुरक्षा सिस्टम जैसी सुविधाओं के साथ आते हैं। पुराने फ्लैट्स में ये सुविधाएं कम या न के बराबर हो सकती हैं, और रख-रखाव की जरूरत ज्यादा होती है। लेकिन यह भी सच है कि अच्छे रख-रखाव वाले सेकंड हैंड फ्लैट्स में भी कई आधुनिक सुविधाएं हो सकती हैं।

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    4. नेगोशिएशन किसमें आसान है, नया घर या रीसेल फ्लैट?

    कीमत पर बातचीत की बात करें तो सेकंड हैंड फ्लैट ज्यादा लचीले होते हैं, क्योंकि इन्हें व्यक्तिगत मालिक बेचते हैं। इलाके के समान फ्लैट्स की कीमत जानकर और जरूरत पड़ने वाले मरम्मत की जानकारी देकर आप बेहतर डील पा सकते हैं। नए फ्लैट्स में डेवलपर्स कीमत तय करते हैं, इसलिए वहां ज्यादा बातचीत की गुंजाइश नहीं होती।

    5. फ्लैट की लाइफ कितनी और बाद में हक का क्या होता है?

    एक फ्लैट की लाइफ आमतौर पर 50 साल से अधिक होती है, लेकिन यह निर्माण गुणवत्ता और रख-रखाव पर निर्भर करता है। लेकिन मालिकाना हक हमेशा के लिए आपका रहता है। क्योंकि फ्लैट खरीदते समय आप जमीन का Undivided Share (UDS) भी खरीदते हैं।

    जब बिल्डिंग पुरानी हो जाए और उसे गिराने का समय आए, तो सोसाइटी आमतौर पर रीडेवलपमेंट एग्रीमेंट (redevelopment agreement) करती है। इसमें डेवलपर नई बिल्डिंग बनाता है और आपको नया फ्लैट मिलता है। इस तरह आपका हक जमीन की कीमत से जुड़ा रहता है, बिल्डिंग की depreciating value से नहीं।

    6. रीसेल फ्लैट में रख-रखाव व मरम्मत के खर्चे क्या होते हैं?

    • सेकंड हैंड फ्लैट खरीदते समय आपको रख-रखाव और मरम्मत के खर्च का अंदाज़ा रखना चाहिए। इसमें शामिल हैं:
    • मासिक चार्ज- सुरक्षा, कम्यूनिटी क्षेत्र, बिजली-पानी
    • वार्षिक योगदान- बड़े मरम्मत और रख-रखाव के लिए
    • पार्किंग शुल्क, प्रॉपर्टी टैक्स
    • कभी-कभी छोटे-मोटे रेनोवेशन खर्च

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    7.  होम लोन लेना किस पर आसान है, नया या रीसेल फ्लैट?

    सेकंड हैंड फ्लैट में घर लेने वाले को सब कुछ स्वयं करना पड़ता है, जैसे- मालिक की जांच, दस्तावेज़, लोन आदि। लेकिन यह आसान होता है क्योंकि फ्लैट तैयार होता है। नए फ्लैट्स में डेवलपर ज्यादातर काम संभालते हैं। लोन की शर्तें लगभग समान रहती हैं, लेकिन नए फ्लैट्स में पैसे निर्माण के स्टेज के हिसाब से मिलते हैं।

    8. पांच-दस साल बाद किसकी रीसेल वैल्यू बेहतर होती है?

    सेकंड हैंड फ्लैट के आसपास परिपक्व परिवेश (mature surroundings) और रेडी कनेक्टिविटी होती है, और usable space भी ज्यादा मिलता है। नए फ्लैट्स आधुनिक सुविधाओं और बेहतर निर्माण के साथ आते हैं, लेकिन शुरू में बिल्डर प्रीमियम के कारण कीमत थोड़ी घट सकती है।

    नए निर्माणाधीन फ्लैट पर GST लगता है, जबकि सेकंड हैंड फ्लैट exempt होता है। रीसेल वैल्यू (resale value) का फैसला बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है।

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