किराएदारों के लिए अलर्ट! रेंट एग्रीमेंट के इन नियमों को नजरअंदाज किया तो हो सकता है भारी नुकसान, जानें कैसे बचें?
Rent Agreement Rules Awareness आमतौर पर लोग जल्दबाजी में रेंट एग्रीमेंट साइन कर देते हैं वो भी बिना उसकी बारीकी से शर्तों को पढ़े जो बाद में भारी पड़ जाती हैं। साथ ही भारी जुर्माना लीगल पचड़े या फिर बिना मर्जी लंबे समय तक घर में रहने जैसी दिक्कतें सामने आती रहती हैं।

नई दिल्ली| Rent Agreement Rules Awareness : क्या आप किराए के घर-फ्लैट में रहते हैं? अगर हां, तो यह खबर आपके लिए है। क्योंकि, आमतौर पर लोग जल्दबाजी में रेंट एग्रीमेंट (rent agreement risks) साइन कर देते हैं, वो भी बिना उसकी बारीकी से शर्तों को पढ़े, जो बाद में भारी पड़ जाती हैं।
साथ ही, भारी जुर्माना, लीगल पचड़े या फिर बिना मर्जी लंबे समय तक घर में रहने जैसी दिक्कतें सामने आती रहती हैं। इस खबर में हम आपको उन अहम शर्तों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें जानना और बारीकी से समझना हर किराएदार के लिए जरूरी है।
बारीकी से पढ़ना क्यों जरूरी है Rent Agreement?
कानूनी एक्सपर्ट बताते हैं कि किराएदार अक्सर लॉक-इन पीरियड, किराया बढ़ोतरी और मेंटिनेंस जैसी अहम शर्तों को नजरअंदाज कर देते हैं। यही बाद में बड़े विवाद या नुकसान की वजह बनती हैं। उदाहरण के लिए मान लीजिए अगर एग्रीमेंट में 12 महीने का लॉक-इन है और आप 6 महीने में ही ट्रांसफर के कारण घर छोड़ते हैं तो मकान मालिक बाकी 6 महीने का किराया मांग सकता है या पूरा डिपॉजिट जब्त कर सकता है।
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डिपॉजिट और रेंट बढ़ोतरी को ध्यान में रखें
अगर आप किराएदार हैं तो सिक्योरिटी डिपॉजिट में कटौती भी बड़ा झटका दे सकती है। कानूनी विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर एग्रीमेंट में सामान्य टूट-फूट जैसी ढीली-ढाली शर्तें हैं, तो मकान मालिक इसका फायदा उठा सकता है।
उहादरण के लिए मान लीजिए कि आपका किराया 25 हजार रुपए प्रति महीना है और आपने 50 हजार रुपए सिक्योरिटी डिपॉजिट दिया है। घर छोड़ते वक्त मकान मालिक 10 हजार रुपए पेंटिंग, 5 हजार रुपए सफाई और 3 हजार रुपए छोटी-मोटी मरम्मत के लिए काट लेता है। भले ही कोई बड़ा नुकसान ना हुआ हो। नतीजा? आपको सिर्फ 32,000 रुपए ही मिलेंगे।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर कॉन्ट्रैक्ट में कटौती की शर्तें साफ नहीं हैं, तो किराएदार इसका विरोध भी आसानी से नहीं कर सकते। किराए में बढ़ोतरी भी ध्यान देने वाली बात है। 10% सालाना बढ़ोतरी का मतलब है कि 25,000 रुपए का किराया तीसरे साल तक 30,250 रुपए हो जाएगा। ज्यादातर किराएदार इसका बजट तक नहीं बनाते हैं।
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Rent Agreement में किन शर्तों से बचें?
- लॉक-इन पीरियड: जिस दौरान किराएदार और मालिक दोनों एग्रीमेंट (tenant legal protection) के नियमों में बंधे होते हैं। जिसमें तय समय से पहले घर छोड़ने पर किराएदार को 6 महीने का रेंट भरना पड़ सकता है या फिर जुर्माना देना पड़ सकता है। वहीं मकान मालिक चाहकर भी समय से पहले घर खाली नहीं करवा सकता है।
 - नोटिस पीरियड: एग्रीमेंट खत्म करने के लिए पहले से एक या दो महीने पहले जानकारी देना।
 - मेंटिनेंस और रिपेयर: कभी-कभी एग्रीमेंट में स्ट्रक्चरल रिपेयर और सोसायटी चार्जेज की जिम्मेदारी भी किराएदार पर डाल दी जाती है। इसलिए एग्रीमेंट में यह ध्यान देने वाली बात होती है।
 - सबलेटिंग क्लॉज: क्या आप किसी और को घर में रख सकते हैं? क्योंकि, दोस्तों या परिवार को ठहराना भी एग्रीमेंट का उल्लंघन माना जा सकता है।
 - टेर्मिनेशन क्लॉज: एग्रीमेंट कैसे और कब खत्म किया जा सकता है?
 - इंडेम्निटी क्लॉज: नुकसान होने पर हर्जाना देने की जुम्मेदारी किसकी होगी।
 
क्या करें अगर मकान मालिक अनुचित शर्तें लागू करे?
एकतरफा और अनुचित शर्तों को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। हालांकि, कानून विशेषज्ञों की मानें तो अगर एग्रीमेंट सही तरीके से पढ़े बिना साइन किया गया है तो कोर्ट भी मदद नहीं कर सकता। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि रेंट एग्रीमेंट को सिर्फ औपचारिकता ना समझें। क्योंकि, थोड़ी सी सावधानी और कानूनी जांच आपको बाद में हजारों रुपए और सिरदर्द से बचा सकती है।

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