होम लोन पर ब्याज घटा: अपनी EMI कम करें या घटाएं लोन अवधि, जानें RBI की कटौती से कैसे बचेंगे लाखों रुपए?
Home loan interest relief: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को घटाकर 5.25% कर दिया है, जो इस साल की चौथी कटौती है। होम लोन लेने वालों के लिए यह EM ...और पढ़ें
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होम लोन पर ब्याज घटा: अपनी EMI कम करें या घटाएं लोन अवधि, जानें RBI की कटौती से कैसे बचेंगे लाखों रुपए?
RBI repo rate home loan impact: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर इसे 5.25 फीसदी कर दिया है। यह साल 2025 में रेपो रेट में चौथी कटौती है। इस साल अब तक कुल 125 बेसिस पॉइंट की कटौती हो चुकी है, जिससे ब्याज दरों की दिशा बिल्कुल साफ हो गई है। होम लोन (RBI repo rate home loan impact) लेने वालों के लिए यह दौर सिर्फ EMI थोड़ी कम होने का नहीं है, बल्कि सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो लोन की पूरी अवधि में कई लाख रुपए की बचत का मौका भी है।
25 बेसिस पॉइंट कटौती का आपकी EMI पर क्या असर?
अगर किसी ने 50 लाख रुपए का होम लोन 20 साल के लिए लिया है और ब्याज दर 7.50 फीसदी है, तो उसकी EMI करीब 40,280 रुपए बनती है। रेट घटकर 7.25 फीसदी होने के बाद EMI घटकर करीब 39,520 रुपए रह जाती है। यानी हर महीने करीब 760 रुपए की बचत।
पूरे 20 साल में सिर्फ इस एक कटौती से कुल EMI भुगतान में करीब 1.8 लाख रुपए की कमी आती है। अगर उधारकर्ता EMI कम कराने की बजाय EMI को पहले जितना ही रखता है, तो लोन की अवधि घट जाती है (lower home loan EMIs India) और ब्याज में बचत बढ़कर करीब 4 लाख रुपए तक पहुंच जाती है। आज यह फर्क छोटा लग सकता है, लेकिन समय के साथ यह चुपचाप बड़ा फायदा देता है।
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2025 की सभी कटौतियों का कुल कितना असर पड़ेगा?
असली तस्वीर साल भर की कटौतियों में दिखती है। 2025 की शुरुआत में जिस 50 लाख रुपए के लोन पर ब्याज 8.5 फीसदी था, वह अब करीब 7.25 फीसदी पर आ गया है। अगर EMI घटने दी जाए, तो हर महीने करीब 3,800 से 3,900 रुपए की बचत होती है। 20 साल में यह बचत ब्याज के रूप में करीब 9.3 लाख रुपए तक पहुंचती है।
लेकिन अगर EMI वही रखी जाए, तो नतीजा और बेहतर होता है। लोन की अवधि करीब 40 से 45 महीने, यानी तीन साल से ज्यादा कम हो जाती है और ब्याज में बचत बढ़कर करीब 18 लाख रुपए हो जाती है। गिरती दरों का असली फायदा अनुशासित उधारकर्ताओं को यहीं मिलता है।
क्या बैंक तुरंत रेट कट का फायदा देंगे?
ज्यादातर सरकारी बैंक पहले ही करीब 7.50 फीसदी से होम लोन दे रहे थे। प्राइवेट बैंक आमतौर पर 7.90 फीसदी या उससे ऊपर थे। जो लोन सीधे रेपो रेट से लिंक हैं, उनमें रेट जल्दी बदलता है- कभी तुरंत, तो कभी मासिक या तिमाही आधार पर। मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेडिंग (MCLR) से जुड़े लोन में ज्यादा समय लगता है, कई बार पूरा एक क्वार्टर भी। इसलिए उधारकर्ताओं को 30 से 60 दिन के भीतर अपना नया रिपेमेंट शेड्यूल जरूर चेक करना चाहिए।
EMI कम कराएं या लोन अवधि घटाएं, क्या बेहतर है? (loan tenure vs EMI savings)
EMI कम होने से महीने का खर्च आसान लगता है, लेकिन वित्तीय रूप से यह अक्सर सबसे अच्छा विकल्प नहीं होता। लोन के शुरुआती सालों में EMI का बड़ा हिस्सा ब्याज होता है। ऐसे में लोन अवधि घटाने से ब्याज में कहीं ज्यादा बचत होती है। जिनकी आय स्थिर है, उनके लिए EMI लगभग वही रखकर अवधि घटाना ज्यादा फायदेमंद रहता है।
क्या अभी रीफाइनेंसिंग पर विचार करें?
अगर आपका होम लोन रेट अभी भी बाजार दर से 50 बेसिस पॉइंट या उससे ज्यादा ऊपर है, तो रीफाइनेंसिंग पर विचार करना चाहिए। ज्यादातर मामलों में ब्याज में होने वाली बचत, प्रोसेसिंग फीस और स्विचिंग कॉस्ट से कहीं ज्यादा होती है।
आगे क्या करें होम लोन ग्राहक?
देखें कि आपका बैंक रेट कट का फायदा कितनी जल्दी देता है। नया लोन शेड्यूल ध्यान से जांचें। जरूरत पड़ने पर प्री-पेमेंट करें और लोन अवधि घटाएं। अगर बैंक फायदा देने में सुस्ती दिखाए, तो लोन स्विच करने से न हिचकें। गिरती ब्याज दरों के दौर में फायदा उन्हें ही मिलता है, जो कदम उठाते हैं।
(लेखक- आदिल शेट्टी BankBazaar.com के फाउंडर-सीईओ हैं।)

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