ITR Filing New Feature: ई-फाइलिंग पोर्टल पर शुरू हुई नई सुविधा, अब टैक्सपेयर्स को होगा ये बड़ा फायदा
आयकर विभाग ने ई-फाइलिंग पोर्टल पर नई सुविधा शुरू की है। अब करदाता TP, DRP और रिवीजन ऑर्डर के खिलाफ सुधार (रेक्टिफिकेशन) आवेदन सीधे ऑनलाइन कर सकेंगे। इ ...और पढ़ें

New Feature On ITR E-Filing Portal: आयकरदाताओं को बड़ी राहत देते हुए आयकर विभाग ने अपने ई-फाइलिंग पोर्टल पर एक नई सुविधा शुरू की है। इस नए फीचर के जरिए अब करदाता कुछ खास आयकर आदेशों के खिलाफ रेक्टिफिकेशन (सुधार) के लिए आवेदन सीधे ऑनलाइन कर सकेंगे। इससे पहले यह प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल थी, जिसमें या तो मैन्युअल आवेदन देना पड़ता था या फिर असेसिंग ऑफिसर (AO) के माध्यम से अनुरोध करना होता था।
क्या कहा आयकर विभाग ने?
आयकर विभाग ने जानकारी दी है कि अब TP (ट्रांसफर प्राइसिंग), DRP (डिस्प्यूट रेजोल्यूशन पैनल) और रिवीजन ऑर्डर से जुड़े रेक्टिफिकेशन आवेदन सीधे संबंधित प्राधिकरण को ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से भेजे जा सकते हैं।
- विभाग के अनुसार, करदाता ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाकर
- Services टैब
- Rectification
- Request to AO seeking rectification
- के विकल्प के जरिए यह आवेदन कर सकते हैं।
अब ऑनलाइन होगी रेक्टिफिकेशन प्रक्रिया
चार्टर्ड अकाउंटेंट सुरेश सुराना के मुताबिक, यह अपडेट करदाताओं के लिए एक बड़ा बदलाव है। अब स्पष्ट गलतियों वाले मामलों में सुधार के लिए उन्हें बार-बार ऑफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
उन्होंने बताया कि अब रेक्टिफिकेशन आवेदन सीधे संबंधित टैक्स अथॉरिटी को भेजा जा सकता है, जो मूल आदेश में आवश्यक सुधार कर सकती है। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि पूरी प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और आसान भी बनेगी।
रिवीजन ऑर्डर क्या होते हैं?
रिवीजन ऑर्डर वरिष्ठ आयकर अधिकारियों द्वारा जारी किए जाते हैं। यदि किसी असेसिंग ऑफिसर द्वारा दिया गया आदेश गलत पाया जाता है या विभाग के हितों के खिलाफ होता है, तो उसे संशोधित, बदला या रद्द किया जा सकता है।
धारा 263 के तहत, प्रिंसिपल कमिश्नर या कमिश्नर उस आदेश को संशोधित कर सकते हैं जो विभाग के लिए नुकसानदायक हो।
वहीं, धारा 264 के अंतर्गत कमिश्नर को करदाता को राहत देने का अधिकार होता है, यदि कोई आदेश करदाता के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा हो।
करदाताओं को मिलेगी राहत
इस नई डिजिटल सुविधा से रेक्टिफिकेशन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन हो गई है। इससे न केवल फिजिकल डॉक्युमेंटेशन की जरूरत कम होगी, बल्कि करदाताओं और विभाग दोनों के लिए कामकाज ज्यादा सुचारु और तेज हो जाएगा। कुल मिलाकर, आयकर विभाग का यह कदम डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और अहम पहल माना जा रहा है, जिससे करदाताओं को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

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