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फिक्की ने कहा- आइबीसी लागू होने के बाद से वसूली प्रक्रिया तेज हुई

उद्योग संगठन फिक्की का कहना है कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के अस्तित्व में आने के बाद फंसे कर्ज (एनपीए) की वसूली प्रक्रिया में खासी तेजी आई है।

By NiteshEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 10:58 AM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 10:58 AM (IST)
फिक्की ने कहा- आइबीसी लागू होने के बाद से वसूली प्रक्रिया तेज हुई

नई दिल्ली, (बिजनेस डेस्क)। उद्योग संगठन फिक्की का कहना है कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के अस्तित्व में आने के बाद फंसे कर्ज (एनपीए) की वसूली प्रक्रिया में खासी तेजी आई है। इस बारे में फिक्की के एक सर्वे में शामिल होने वाले बैंकों का मानना था कि आइबीसी लागू होने के बाद कंपनी के प्रमोटर भी डिफॉल्ट होने के शुरुआती दिनों में ही समाधान के लिए सामने आने लगे हैं। फिक्की-आइबीए सर्वे में शिरकत करने वाले बैंकों में से 22 का मानना था कि आइबीए के तहत समाधान के लिए 270 दिनों की मौजूदा समय-सीमा को नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।

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सर्वे का कहना है, ‘आइबीसी अभी विकास के चरण में है। फिर भी इसके आने के बाद एनपीए के समाधान की प्रक्रिया तेज हुई है और कई मामलों में यह बेहद सफल रहा है। हालांकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर में तेजी आने के बावजूद बैंक कर्ज देने से कतरा रहे हैं। राजकोषीय खर्च और कच्चे तेल का दाम बढ़ने के चलते उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) महंगाई भी बढ़ने की आशंका बरकरार है।’

सर्वे में हिस्सा लेने वाले बैंकों में से 67 फीसद उत्तरदाताओं का कहना था कि उन्होंने कर्ज देने की शर्तो को काफी मजबूत कर दिया है। आधे से ज्यादा (55 फीसद) उत्तरदाताओं ने इस वर्ष की पहली छमाही यानी जनवरी-जून के दौरान एमसीएलआर दरों में 20 आधार अंक तक की बढ़ोतरी की है। वहीं, 27 फीसद उत्तरदाताओं ने एमसीएलआर में 30 फीसद से ज्यादा का इजाफा किया है। ज्यादातर उत्तरदाताओं ने यह भी कहा कि गैरकानूनी लेनदेन और साइबर सुरक्षा संबंधी चुनौतियों में बढ़ोतरी हुई है।


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