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    FD और RD को लेकर न हों कंफ्यूज, दो मिनट में जानिए दोनों में अंतर

    By Lakshya KumarEdited By:
    Updated: Wed, 16 Mar 2022 01:49 PM (IST)

    फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में आपको एक बार पैसा जमा करना होता है जबकि रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) में किस्तों में निवेश किया जाता है। लेकिन यह दोनों ही सुरक्षित रिटर्न के लिए जाने जाते हैं। निवेश करने के दौरान ही आपको पता होता है कि कितना रिटर्न मिलेगा।

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    FD और RD को लेकर न हों कंफ्यूज, दो मिनट में जानिए दोनों में अंतर

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। हर व्यक्ति के लिए बचत करना जरूरी होता है। सभी को बचत करनी चाहिए। हालांकि, यह बचत सिर्फ ऐसे नहीं करनी चाहिए कि आपने कुछ पैसा उठाकर किसी अलमारी या तिजोरी में रख दिया। अगर आप ऐसा करते हैं तो यह बचत करने का अच्छा तरीका नहीं है। बचत करने का सही तरीका यह है कि आप अपने बचाए गए पैसों पर ब्याज भी अर्जित करें। इसके लिए बाजार में तमाम तरह के प्रोडक्ट हैं, जिनमें निवेश करके आप बचत कर सकते हैं। हालांकि, बाजार में मौजूद कई प्रोडक्ट्स ऐसे हैं, जिनमें निवेश करने पर रिटर्न से जुड़ा खतरा रहता है।

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    शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपका निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन रहता है। लेकिन, अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट या रिकरिंग डिपॉजिट में निवेश करते हैं तो यह रिटर्न के लिहाज से सुरक्षित निवेश माना जाता है। ऐसे में अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) या रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) को लेकर कन्फ्यूज हैं तो चलिए इनके अंतर के बारे में आपको जानकारी देती हैं।

    एफडी और आरडी में अंतर

    एफडी और आरडी में सबसे बड़ा अंतर है कि एफडी में एकमुश्त पैसा जमा किया जाता है जबकि आरडी में ऐसा नहीं है। आरडी में किश्तों में पैसा जमा किया जाता है। अगर आपके पास एकमुश्त पैसा है, जिसे आप निवेश करना चाहते हैं तो ऐसे में आप सुरक्षित रिटर्न के लिए एफडी को विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, अगर आपको थोड़ा-थोड़ा पैसा किस्तों में जमा करना है तो आप इसके लिए आरडी का विकल्प चुन सकते हैं। इससे आपको पैसा भी जमा हो जाएगा और जमा पैसों पर आपको ब्याज भी मिलेगा।

    एफडी में 7 दिन से लेकर 10 साल तक का टेन्योर ऑफर किया जाता है जबकि आरडी में 6 महीने से 10 साल तक की अवधि में निवेश करने का विकल्प होता है। तुलनात्मक रूप से फिलहाल एफडी के मुकाबले आरडी में ज्यादा इंटरेस्ट रेट मिलता है। आरडी में ब्याज तिमाही या फिर मासिक आधार पर जबकि एफडी में मेच्योर होने पर ब्याज मिलता है।