Corporate Health Insurance पर न हो पूरा डिपेंड, हमेशा लें पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस, यहां समझें इसकी जरूरत
ऑफिस की तरह से जब हमें हेल्थ इंश्योरेंस मिलता है तो हम पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लेते हैं। दरअसल हम पूरी तरह से Corporate Health Insurance पर डिपेंड हो जाते हैं। ऐसा हमें बिल्कुल नहीं करना चाहिए। कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस के साथ हमें अपना पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए। हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि आखिर पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस इतना जरूरी क्यों है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) बहुत जरूरी हो गया है। इसकी महत्वपूर्णता देखते हुए अब ऑफिस भी अपने कर्मचारी को हेल्थ इंश्योरेंस देता है। कंपनी द्वारा दिए गए हेल्थ इंश्योरेंस को कॉरपोरेटहेल्थ इंश्योरेंस (Corporate Health Insurance) कहते हैं। जिन लोगों के पास कॉरपोरेटहेल्थ इंश्योरेंस होता है तो वह पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस (Personal Health Insurance) लेना पसंद नहीं करते हैं। उनका मानना है कि जब ऑफिस वालों ने इंश्योरेंस दिया है तो वह अलग से हेल्थ इंश्योरेंस क्यों लें।
यह पूरी तरह से गलत है। अगर आपके पास कॉरपोरेट हेल्थ इंश्योरेंस है तब भी आपको पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए। यह फाइनेंशियली काफी सही रहता है। हम आपको नीचे बताएंगे कि आखिर कॉरपोरेटहेल्थ इंश्योरेंस के साथ पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस क्यों लेना चाहिए।
पर्सनल और कॉरपोरेटइंश्योरेंस फाइनेंशियल सिक्योरिटी और रिस्क मैनेजमेंट के लिए जरूरी होता है। पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस बीमाधारक और परिवारों को अप्रत्याशित जोखिमों से बचाता है। इसके अलावा जोखिम के समय ये मानसिक शांति और स्थिरता को सुनिश्चित करता है। दूसरी तरफ, कॉरपोरेट इंश्योरेंस संभावित वित्तीय घाटे से बचाता है। ये एक तरह से सिक्योरिटी वेब की तरह काम करता है। इसमें कई ऐसी शर्तें भी होती है जिसपर कर्मचारी ध्यान नहीं देता है और जरूरत के समय इन शर्तों के कारण कर्मचारी को कवरेज नहीं मिलता है।
श्री कृष्ण मिश्रा, सीईओ, एफपीएसबी इंडिया
पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस क्यो जरूरी
कई गंभीर बीमारियों के इलाज में लाखों रुपये लग जाते हैं। उदाहरण के तौर पर कोविड-19 में कई लोगों ने इलाज के लिए लाखों रुपये खर्च किये हैं। इन स्थिति में पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस ज्यादा मददगार होता है क्योंकि इसका सम-एश्योर्ड कॉरपोरेट इंश्योरेंस से ज्यादा होता है।
कॉरपोरेट इंश्योरेंस में नो-क्लेम बोनस का फायदा नहीं मिलता है। वहीं, अगर कोई कर्मचारी कॉरपोरेट इंश्योरेंस के साथ पर्सनल इंश्योरेंस लेता है तो उसे नो-क्लेम बोनस का फायदा मिलता है। यह बोनस अगले प्रीमियम के भुगतान को कम करने में मदद करता है।
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जब आप जॉब चेंज करते हैं तो कॉरपोरेट इंश्योरेंस भी बदल जाता है। ऐसे में अगर पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस होता है तो कवरेज की समस्या नहीं होती है। कई कंपनियां सभी बीमारी को एक समय के बाद कवर करती है। इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि जॉब के साथ-साथ पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस होना चाहिए। पर्सनल इंश्योरेंस को हर साल रिन्यू करवाना होता है और इसका लाभ ताउम्र मिलता है।
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