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    वेडिंग इंश्योरेंस का बढ़ रहा चलन, बढ़ते खर्च और जोखिमों के बीच ये कितना जरूरी?

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 07:43 PM (IST)

    भारत में शादियां अब बड़े इवेंट बन चुकी हैं, जिनका औसत खर्च ₹39.5 लाख तक पहुंच गया है। बढ़ते वित्तीय जोखिमों के बीच वेडिंग इंश्योरेंस एक नया विकल्प बनक ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। भारत में शादियां अब सिर्फ एक पारिवारिक आयोजन नहीं रहीं, बल्कि कई दिनों तक चलने वाला बड़ा इवेंट बन चुकी हैं। लग्जरी वेन्यू, थीम डेकोर, डेस्टिनेशन वेडिंग, सैकड़ों मेहमान और भव्य इंतजाम इन सबने शादी के खर्च को तेजी से बढ़ा दिया है। जैसे-जैसे शादियों का स्तर ऊंचा हो रहा है, वैसे-वैसे उससे जुड़ा वित्तीय जोखिम भी बढ़ रहा है। इसी बीच एक नया विकल्प धीरे-धीरे चर्चा में आ रहा है, जिसका नाम वेडिंग इंश्योरेंस है।

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    शादी का औसत खर्च 40 लाख के करीब

    वेडमीगुड (WedMeGood) की 5वीं एनुअल वेडिंग रिपोर्ट 2025 के मुताबिक, भारत में एक शादी का औसत खर्च अब करीब 39.5 लाख रुपये हो गया है। डेस्टिनेशन वेडिंग का खर्च इससे भी ज्यादा, लगभग 58 लाख रुपये तक पहुंच चुका है। शहरों की बात करें तो जयपुर में शादी का औसत बजट 73 लाख रुपये, दिल्ली में 38 लाख, बेंगलुरु और हैदराबाद में करीब 37 लाख और मुंबई में लगभग 35 लाख रुपये है। साल 2025 में शादी पर होने वाला खर्च 8 फीसदी सालाना की दर से बढ़ा है।

    एक छोटी परेशानी, बड़ा नुकसान

    इतना बड़ा बजट होने के बावजूद, अधिकतर शादियां बिना किसी वित्तीय सुरक्षा के प्लान की जाती हैं। अचानक मेडिकल इमरजेंसी, खराब मौसम, वेन्यू से जुड़ी समस्या या किसी वेंडर का आखिरी समय पर मना कर देने जैसी ऐसी कोई भी घटना महीनों की तैयारी और लाखों रुपये की बुकिंग पर पानी फेर सकती है।

    टैक्सोलॉजी इंडिया ने जताई चिंता

    टैक्स एडवाइजरी प्लेटफॉर्म Taxology India ने इस मुद्दे की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा है कि आज की महंगी और जटिल शादियों में इंश्योरेंस एक सुरक्षा कवच बन सकता है। हालांकि, प्लेटफॉर्म ने यह भी चेतावनी दी है कि वेडिंग इंश्योरेंस में जागरूकता कम है और कई तरह की शर्तें व एक्सक्लूजन होते हैं, इसलिए पॉलिसी लेने से पहले उसके नियम और कवरेज को अच्छी तरह समझना जरूरी है।

    कर्ज लेकर हो रही हैं शादियां

    रिपोर्ट के मुताबिक, शादी के खर्च का दबाव अब साफ दिखने लगा है। करीब 15.2 फीसदी परिवार शादी के लिए लोन ले रहे हैं, जिसकी औसत रकम 15.5 लाख रुपये है। यह पैसा वेन्यू, ज्वेलरी, डेकोर और कैटरिंग जैसे खर्चों पर जाता है। स्थानीय शादियों में औसतन 420 मेहमान, जबकि डेस्टिनेशन वेडिंग में करीब 280 मेहमान शामिल होते हैं। इसके अलावा प्री-वेडिंग ट्रिप और हनीमून पर भी औसतन 3.41 लाख रुपये खर्च हो जाते हैं।

    क्या कवर करता है वेडिंग इंश्योरेंस?

    • वेडिंग इंश्योरेंस इन जोखिमों से राहत देने का एक विकल्प हो सकता है।
    • 10 लाख रुपये के कवर के लिए प्रीमियम करीब 7,000 रुपये से शुरू होता है।
    • वहीं 1 करोड़ रुपये तक के कवर के लिए प्रीमियम 55,000 रुपये तक जा सकता है (GST अलग)।

    पॉलिसी आमतौर पर शादी के रद्द या टलने, संपत्ति को नुकसान, पर्सनल एक्सीडेंट और थर्ड पार्टी लाइबिलिटी जैसे जोखिमों को कवर करती है। कुछ प्लान शादी के कपड़े, ज्वेलरी, गिफ्ट और अन्य कीमती सामान की सुरक्षा भी देते हैं।

    किन बातों का रखें ध्यान?

    हालांकि, वेडिंग इंश्योरेंस कोई खुला चेक नहीं है। पॉलिसी में कई शर्तें होती हैं। जिनमें अगर ज्वेलरी लापरवाही से छोड़ी गई हो, अनरजिस्टर्ड वेंडर से काम लिया गया हो, गाड़ी तय जगह से बाहर खड़ी हो, या समय पर नुकसान की रिपोर्ट न की जाए तो क्लेम खारिज भी हो सकता है।

    स्वेच्छा से शादी रद्द करना, लापरवाही या बीमित वेन्यू से बाहर हुई घटनाएं आमतौर पर कवर नहीं होतीं।

    सोच-समझकर लें फैसला

    बेटी की शादी जिंदगी के सबसे अहम पलों में से एक होती है। बढ़ते खर्च और जोखिमों के दौर में वेडिंग इंश्योरेंस एक समझदारी भरा कदम हो सकता है, बशर्ते पॉलिसी को पूरी तरह समझकर और जरूरत के हिसाब से चुना जाए।

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