बीमा में होगी UPI जैसी व्यवस्था, 2047 से पहले देश के हर नागरिक को इंश्योरेंस देने का लक्ष्य
2047 में भारत के आजादी के 100 साल पूरा होंगे उससे पहले भारत में सभी नागरिकों को बीमा देने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण बीमा में यूपीआई जैसी व्यवस्था देने की तैयारी कर रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन: भारत अगले दो दशकों में दुनिया का सबसे बड़ा बाजार बन सकता है। क्योंकि बीमा क्षेत्र की नियामक एजेंसी भारतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (IRDAI) का कहना है कि वर्ष 2047 से पहले ही भारत के हर नागरिक के पास बीमा हो सकता है।
बीमा में यूपीआइ जैसी व्यवस्था
IRDAI के चेयरमैन देबासीष पांडे ने बताया कि 2047 से पहले भारत के हर नागरिक के पास बीमा होने के लिए कई स्तरों पर कदम उठाये जा रहे हैं जैसे यूपीआइ जैसी एक व्यवस्था विकसित करने पर भी काम चल रहा है जो किसी भी व्यक्ति के लिए बीमा पालिसी करवाने को काफी आसान बना देगा। अगर IRDAI की यह योजना सफल होती है तो भारत में बीमा कारोबार भी अगले दो दशकों में कई गुणा बढ़ेगा।
80 फीसदी लोगों के पास बीमा नहीं
देश के 80 फीसद आबादी के पास अभी भी कोई बीमा उत्पाद नहीं है। सीआइआइ के सालाना समारोह को संबोधित करते हुए IRDAI चेयरमैन पांडे ने बताया कि नियामक एजेंसी के तौर पर बीमा क्षेत्र में कई तरह से सुधार की तैयारी है और कुछ सुधारों को लेकर प्रस्ताव केंद्र सरकार को भी भेजे गये हैं।
बीमा अधिनियम में भी नये संशोधन का प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें एक प्रस्ताव बीमा के विभिन्न वर्गों और बीमा के हिसाब से देश की भौगोलिक परिभाषा में बदलाव से जुड़ा हुआ है। साथ ही बीमा वितरक एजेंसियों को लाइसें¨सग की स्वीकृति को भी आसान बनाया जा रहा है ताकि उन्हें लाइसेंस रिनीवल के लिए ज्यादा भाग-दौड़ नहीं करनी पड़े।
बीमा कंपनियों को मिलेगी ये मंजूरी
बीमा कंपनियों को दूसरे कई तरह के संबंधित उत्पाद (वैल्यू एडेड सर्विसेज) देने की भी इजाजत देने की तैयारी है। उन्होंने यूपीए जैसी व्यवस्था में बीमा क्षेत्र में शुरू करने के बारे में बताया और कहा कि बीमा सुगम, बीमा विस्तार और बीमा वाहक जैसी सुविधाओं में इसकी शुरुआत हो सकती है।
बनाई जाएगी राज्य स्तरीय योजना
IRDAI चेयरमैन ने एक और भावी योजना की जानकारी दी जिसके तहत हर राज्य में आम नागरिकों को आसानी से बीमा पॉलिसियों को उपलब्ध कराने के लिए एक राज्य स्तरीय योजना बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि तकनीक पूरे बीमा उद्योग में कई तरह के बदलाव ला रहा है और आने वाले दिनों में कई तरह के बदलाव और करेगा।
आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग जैसे नये सेक्टर का बीमा क्षेत्र पर असर साफ दिखाई देने लगा है। इंसुरेंसटेक और फिनटेक को भी ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जा रहा है। पांडे ने कहा कि भारत में दुनिया की 20 फीसद आबादी रहती है और यहां बीमा कंपनियों के लिए अपार संभावनाएं हैं।
दूसरी तरफ भारत में बीमा की प्रसार काफी कम है। नियामक एजेंसी पहले बीमा का प्रसार के अनुपात को अलगे पांच से सात वर्षों में दो गुना करना चाहती है और फिर वर्ष 2047 तक हर व्यक्ति को बीमा उत्पाद दिलाने के लिए प्रयासरत है।