Insurance Policy: क्या है भारत में इंश्योरेंस का इतिहास, कब और कैसे हुई इसकी शुरुआत
बीमा आपको और आपके प्रियजनों को व्यापक वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। इसके अलावा आप अपनी संपत्ति और संपत्ति की सुरक्षा के लिए बीमा कवर का विकल्प चुनते हैं। भारत में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की बीमा पॉलिसियों को समझना और उन्हें चुनना जरूरी है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क: बीमा एक शब्द है, जिसे सुनकर आपका डर दूर हो जाता है। यूं कहें कि बीमा कंपनियों ने आपके डर को ही बिजनेस बना लिया है। आप भी अपनी जिंदगी में सुरक्षित महसूस करना चाहते होंगे। ऐसे में बीमा के जरिए आपका और बीमा कंपनियों, दोनों का ही फायदा है।
जीवन में कोई अप्रत्याशित स्थिति आपके परिवार की खुशहाली को भंग कर सकती है। ऐसे परिदृश्यों के लिए, भारत में विभिन्न प्रकार की जीवन, स्वास्थ्य और सामान्य बीमा पॉलिसी उपलब्ध हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा कि भारत में इंश्योरेंस की शुरुआत कब हुई थी और देश में कितने तरह के बीमा मौजूद हैं। आइए सरल शब्दों में इन सवालों के उत्तर जानते हैं।
कैसे हुई शुरुआत
भारत में बीमा का इतिहास बहुत पुराना है। इसका उल्लेख मनु (मनुस्मृति), याज्ञवल्क्य (धर्मशास्त्र) और कौटिल्य (अर्थशास्त्र) के लेखन में मिलता है। प्राचीन भारतीय इतिहास ने समुद्री व्यापार ऋण और वाहक अनुबंधों के रूप में बीमा के शुरुआती निशानों को संरक्षित रखा है।
भारत में बीमा, समय के साथ विकसित हुआ है। देश में बीमा की शुरुआत अन्य देशों, खासकर इंग्लैंड से काफी प्रभावित होकर हुई है।
भारत में सबसे पहली बीमा कंपनी ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस थी। इसे वर्ष 1818 में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में स्थापित किया गया था। यह कंपनी हालांकि 1834 में डूब गई।
करीब पांच साल के बाद वर्ष 1823 में देश को दूसरी बीमा कंपनी, बॉम्बे लाइफ़ एश्योरेंस कंपनी मिली। इसके बाद वर्ष 1829 में मद्रास इक्वेटिव गारंटर कंपनी की शुरुआत हुई।
1914 में, भारत सरकार ने भारत में बीमा कंपनियों के रिटर्न प्रकाशित करना शुरू किया। भारतीय जीवन बीमा कंपनी अधिनियम, 1912 जीवन व्यवसाय को विनियमित करने वाला पहला वैधानिक उपाय था।
1956 में आई LIC
19 जनवरी, 1956 को जीवन बीमा क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण करते हुए एक अध्यादेश जारी किया गया और उसी वर्ष जीवन बीमा निगम अस्तित्व में आया। एलआईसी ने 154 भारतीय, 16 गैर-भारतीय बीमाकर्ताओं के साथ-साथ 75 प्रोविडेंट सोसायटियों, 245 भारतीय और विदेशी बीमाकर्ताओं को समाहित किया।
एलआईसी का 90 के दशक के अंत तक एकाधिकार था, जब बीमा क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए फिर से खोल दिया गया था।
कितने तरह के होते है इंश्योरेंस
आपने अभी तक न जाने कितने तरह के बीमा के बारे में सुना होगा, लेकिन आपको बता दें कि मुख्यत: दो ही प्रकार के बीमा होते है- पहला जनरल इंश्योरेंस और दूसरा लाइफ इंश्योरेंस।
जनरल इंश्योरेंस
जनरल बीमा पॉलिसियां , बीमा के प्रकारों में से एक हैं जो पॉलिसीधारक की मृत्यु के अलावा अन्य नुकसान के लिए सुनिश्चित राशि के रूप में कवरेज प्रदान करती हैं।
कुल मिलाकर, जनरल बीमा में विभिन्न प्रकार की बीमा पॉलिसी शामिल होती हैं जैसे बाइक, कार, घर, स्वास्थ्य इत्यादि। ये देनदारियों के कारण होने वाले नुकसान के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती हैं।
जनरल इंश्योरेंस में ही आपको स्वास्थ्य बीमा, मोटर बीमा, गृह बीमा, अग्नि बीमा, यात्रा बीमा मिलते हैं।
लाइफ इंश्योरेंस
जीवन बीमा योजनाएं पॉलिसीधारक की मृत्यु या विकलांगता जैसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के लिए कवरेज प्रदान करती हैं। वित्तीय सुरक्षा के अलावा, विभिन्न प्रकार की जीवन बीमा पॉलिसी हैं, जो पॉलिसीधारकों को विभिन्न इक्विटी और डेट फंड विकल्पों में नियमित योगदान के माध्यम से अपनी बचत को अधिकतम करने की अनुमति देती हैं।
लाइफ इंश्योरेंस में ही आपको टर्म लाइफ इंश्योरेंस, संपूर्ण जीवन बीमा, बंदोबस्ती योजनाएं, यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, चाइल्ड प्लान, पेंशन योजनाएं मिलती हैं।