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    LIC जल्द कर सकती है अपनी प्लानिंग में बदलाव, बीमा कानून में संशोधन के बाद ये होगी कंपनी की रणनीति

    By Siddharth PriyadarshiEdited By:
    Updated: Mon, 26 Dec 2022 10:12 AM (IST)

    वर्तमान में 24 जीवन बीमा कंपनियां और 31 गैर-जीवन या सामान्य बीमा कंपनियां हैं। बीमा कानून में संशोधन के बाद एलआईसी अपनी प्लानिंग में बड़ा बदलाव कर सकती है। इसको देखते हुए निवेशकों के लिए कुछ अहम मौके बन सकते हैं।

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    LIC may think for composite license after Insurance Laws Amendment Bill

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC संसद में बीमा कानून (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद समग्र यानी कम्पोजिट लाइसेंस पर विचार कर सकती है। प्रस्तावित विधेयक के अनुसार एक आवेदक किसी भी श्रेणी या प्रकार के बीमा व्यवसाय के एक या एक से अधिक वर्गों/उप-श्रेणियों के पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकता है।

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    कम्पोजिट लाइसेंस बीमाकर्ताओं को एक ही इकाई के माध्यम से सामान्य और स्वास्थ्य बीमा, दोनों प्रदान कराने की अनुमति देगा। हालांकि पुनर्बीमा में लगी कंपनियां बीमा व्यवसाय के किसी अन्य वर्ग में अपना रिजस्ट्रेशन नहीं करा सकतीं।

    हर तरह की बीमा सुविधाएं देगी एलआईसी

    एलआईसी जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 को ध्यान में रखते हुए समग्र लाइसेंस और विधेयक के पारित होने से उत्पन्न होने वाले अन्य मुद्दों पर व्यापक तरीके से विचार करेगी। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बीमा अधिनियम 1938 और बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 में प्रस्तावित संशोधनों के साथ विधेयक को अगले महीने से शुरू होने वाले आगामी बजट सत्र में संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है।

    क्या है प्रस्तावित संशोधन

    बीमा कानून में प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, पॉलिसीधारकों को रिटर्न में सुधार लाने, बीमा बाजार में अधिक खिलाड़ियों के प्रवेश को सुगम बनाने, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और बीमा उद्योग की दक्षता बढ़ाने पर विचार करेगा।

    अगर कंपोजिट इंश्योरेंस रजिस्ट्रेशन का प्रस्ताव पास हो जाता है तो इन कंपनियों के लिए सॉल्वेंसी मार्जिन और कैपिटल रिक्वायरमेंट में बदलाव होगा। प्रस्तावित संशोधन में कहा गया है कि संचालन के आकार और पैमाने, बीमा व्यवसाय के वर्ग या उप-वर्ग और बीमाकर्ता की श्रेणी या प्रकार को ध्यान में रखते हुए भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा न्यूनतम चुकता पूंजी निर्धारित की जानी चाहिए। मौजूदा कानून के मुताबिक मौजूदा सॉल्वेंसी रेशियो 150 फीसदी है, जबकि पेड अप कैपिटल 100 करोड़ रुपये है। वित्त मंत्रालय ने हाल ही में बीमा सेक्टर का विस्तार करने, दक्षता में सुधार करने और नए-नए उत्पाद पेश करने के लिए न्यूनतम पूंजी की सीमा में कमी सहित बीमा कानून में कई बदलावों की पेशकश की है।

    क्या है बीमा सेक्टर की तस्वीर

    2021-22 के दौरान भारत में बीमा की पहुंच 4.2 प्रतिशत थी। एक साल पहले भी यह लगभग इतना ही था, हालंकि भारत में बीमा घनत्व 2020-21 में 78 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2021-22 में 91 अमेरिकी डॉलर हो गया। बीमा सघनता के स्तर में वर्ष 2010-11 में 2001-02 में 11.5 अमेरिकी डॉलर से लगातार 64.4 अमेरिकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई है।

    वर्तमान में 24 जीवन बीमा कंपनियां और 31 गैर-जीवन या सामान्य बीमा कंपनियां हैं, जिनमें कृषि बीमा कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड और ईसीजीसी लिमिटेड कंपनियां भी हैं। 2015 में विदेशी निवेश कैप को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के लिए बीमा अधिनियम में संशोधन किया गया था।

    (एजेंसी इनपुट के साथ)

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