Union Budget 2019: जानें क्या है एक्सपर्ट की राय, किसको मिला कितना फायदा
हम आपको एक्सपर्ट डॉ. रवि सिंह से बजट 2019 को लेकर हुई बातचीत की अहम जानकारी दे रहे हैं। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के रिसर्च हेड डॉ. रवि सिंह जो कि इकोनॉमी पर काफी पकड़ रखते हैं।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। Union Budget 2019: 5 जुलाई को देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2019 पेश किया, जिसमें कई बड़ी घोषणाएं हुईं और कई योजनाओं को लॉन्च किया गया है। यहां हम आपको एक्सपर्ट डॉ. रवि सिंह से बजट 2019 को लेकर हुई बातचीत की अहम जानकारी दे रहे हैं। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के रिसर्च हेड डॉ. रवि सिंह जो कि इकोनॉमी पर काफी पकड़ रखते हैं, उन्होंने बजट को लेकर अपनी राय रखी।
आम आदमी को क्या मिला इस सवाल पर क्या कहा?
इसके सवाल पर उन्होंने कहा कि यूनियन बजट में अंतरिम बजट की कई योजनाओं को चालू रखा गया है, जिसके चलते इस बजट में आम आदमी के लिए नई योजनाओं की घोषणा नहीं गई।
पेट्रोल-डीजल पर सेस बढ़ा इस सवाल पर क्या कहा?
उन्होंने कहा कि सरकार को देश के विकास के लिए फंड की जरूरत है, आर्थिक मंदी से बचने के लिए और देश के विकास के लिए फंड की जरूरत है, जिसके चलते सेस बढ़ाया गया है। किसानों की बात की जाए तो उसमें उन्हें काफी फायदे दिए गए हैं, गांवों के विकास की काफी बात की गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत रोजाना 135 किमी की सड़क बन रही है और 256 जिलों के आधुनिकरण की बात हो तो इसमें सभी प्रकार से गांवों को ही फायदा हो रहा है।
मार्केट क्यों डाउन हुआ इस सवाल पर क्या हुआ?
पूरे बाजार की बात की जाए तो सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया। बजट में बैंकों के लिए 70 हजार करोड़ रुपये और एनबीएफसी के लिए मदद की बात की है, लेकिन इससे मार्केट को कोई खास फायदा मिलता नजर नहीं आया।
रोजगार के सवाल पर क्या कहा?
MSME के लिए 350 करोड़ रुपये और 2 फीसद टैक्स कम किया है। दो तरीको के निवेश की बात की गई है, जिसमें घरेलू निवेश और दूसरा विदेशी होगा। निवेश से देश में रोजगार बढ़ेगा और देश की प्रगति में काफी योगदान मिलेगा।
मोदी सरकार 2.0 को अंक देने के सवाल पर क्या कहा?
एक्सपर्ट ने मोदी सरकार 2.0 के पहले यूनियन बजट को 10 में से 8 अंक दिए। गोल्ड इंडस्ट्री को काफी फर्क पड़ेगा, क्योंकि कस्टम ड्यूटी को बढ़ाकर 12.5 फीसद कर दिया गया है। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टेक्स को अगर कम किया जाता तो स्टॉक मार्केट में निवेश बढ़ता और सरकार को फायदा होता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।