Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    COVID-19 युग के बाद टियर-2 और टियर-3 शहरों के अंदर रियल एस्टेट में होगी जोरदार प्रगति, ये हैं कारण

    By Pawan JayaswalEdited By:
    Updated: Fri, 18 Sep 2020 02:02 PM (IST)

    टियर 2 और 3 शहरों में जमीन की कम लागत आवासीय इकाइयों और किराये के लिए अधिक किफायती मूल्य निर्धारण के लिए रिटेल प्रोजेक्ट के मामले में यह शहर अधिक अनुकूल पड़ते हैं। PC Pexels

    COVID-19 युग के बाद टियर-2 और टियर-3 शहरों के अंदर रियल एस्टेट में होगी जोरदार प्रगति, ये हैं कारण

    नई दिल्‍ली, आनंद सिंघानिया। जहां समूचा विश्व अभी भी कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहा है, वहीं रियल एस्टेट क्षेत्र सहित अधिकांश क्षेत्रों को एक बड़ा झटका लगा है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7 फीसदी का योगदान देने वाले अचल संपत्ति के कारोबार ने लॉकडाउन के चलते हाल के महीनों में खरीदारों के व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलाव देखा है। एक बड़ा बदलाव जो सामने आया है, वह यह कि टीयर 2 और 3 शहरों में संपत्तियों की बढ़ती प्राथमिकता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह बदलाव विभिन्न कारकों द्वारा संचालित है, जिसमें खरीद का सामर्थ्य, किराये पर रहने की बजाय अपने घर का मालिक बनने को प्राथमिकता, प्रमुख शहरों के बाहरी इलाके में प्रतिष्ठित डेवलपर्स से बढ़ती परियोजनाओं की संख्या, होम लोन की ब्याज दरों में गिरावट, वर्क फ्रॉम होम का नया कल्चर और शहरों की तुलना में अधिक हरियाली और स्वच्छता से भरा परिवेश।

    अफोर्डेबिलिटी एक और महत्वपूर्ण कारक है जो टियर 2 और 3 शहरों की ओर पलड़े को झुका रहा है। एक औसत मिडिलक्लास परिवार के लिए, जीवन यापन की उच्च लागत के साथ महानगरों में अपना घर बनाना कभी पूरा न होने वाले ख्वाब सरीखा है। टियर 2 और 3 शहरों में जमीन की कम लागत, आवासीय इकाइयों और किराये के लिए अधिक किफायती मूल्य निर्धारण के लिए रिटेल प्रोजेक्ट के मामले में यह शहर अधिक अनुकूल पड़ते हैं। टियर 1 शहरों की तुलना में, लोग टियर 2 और 3 शहरों में बड़े घरों में रहने का खर्च उठाने में सक्षम हैं।

    नॉन-मेट्रो और नॉन-प्राइम मेट्रो शहरों में अचल संपत्ति के बाजारों के लिए प्रमुख प्रोत्साहन किफायती आवास के लिए सरकार के प्रोत्साहन से आया है। आरबीआई द्वारा घोषित रेपो रेट कटौती ने होम लोन की ब्याज दरों में कमी ला दी है। एचएफसी को आवंटित राहत पैकेज छोटे बाजारों में अचल संपत्ति क्षेत्र के उत्थान के लिए उठाया गया एक और कदम है। एक और कारक जिसने छोटे शहरों के लिए रूझान बढ़ाया है, वह यह है कि बुनियादी ढांचे और जीवनशैली में अंतराल सिकुड़ रहा है, व्यवसाय बढ़ गए हैं, प्रवासी पेशेवरों को आकर्षित कर रहे हैं, एक नई संस्कृति का निर्माण कर रहे हैं जो अधिक बहुसांस्कृतिक और शहरी है और अंततः लोगों को महानगरों से शहरों में वापस ला रही है।

    सरकार ने छोटे शहरों में एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की शुरुआत की है, जिसने औद्योगिकीकरण और विनिर्माण केंद्रों की स्थापना में योगदान दिया है। टियर 2 और 3 शहर इंजीनियरिंग, कपड़ा, फार्मा और पूंजीगत सामान जैसे कई उद्योगों की मेजबानी कर रहे हैं, वहीं छोटे शहरों में कम दामों पर लागत कुशल श्रम, कम निश्चित लागत / ओवरहेड्स की उपलब्धता, उच्च डिस्पोजेबल आय वाले परिवार इन शहरों की खासियत बन रहे हैं।

    हाउसिंग कमर्शियल सेगमेंट के साथ, रिवर्स माइग्रेशन निवेशकों को इन छोटे शहरों में जाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जहां ऑफिस और रिटेल स्पेस सहित कमर्शियल स्पेस की मांग उन्हें अच्छा रिटर्न दिलवा सकती है। जब तक अंतर्राष्ट्रीय यात्रा सुरक्षित नहीं हो जाती, तब तक भारत लौट रहे प्रवासी भारतीय भी यहां रहेंगे। इन छोटे शहरों में रहने के लिए आ रहे नए लोगों को उन्नत जीवन शैली की आवश्यकताओं के कारण ऐसे आवासीय प्रोजेक्ट लुभाएंगे।

    सरकार द्वारा 'वोकल फॉर लोकल' अभियान छोटे शहरों में उद्योगों और विनिर्माण संयंत्रों को और अधिक बढ़ावा देगा। यह उनकी आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ाने में उनकी मदद करेगा, इस प्रकार सीधे उनकी वृद्धि को प्रभावित करेगा। बेहतर जीवन और मनोरंजन की आवश्यकता पूरी होगी और व्यवसायों का स्तर बढ़ेगा। इन सब कारणों के चलते टीयर 2 और 3 शहरों में कोविड-19 युग के बाद भारत के रियल एस्टेट ग्रोथ में एक नए अध्याय की शुरूआत होगी।

    (लेखक CREDAI MSME Wing के चेयरमैन हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)