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कोरोना महामारी से सीख सकते हैं वित्तीय अनुशासन के ये सबक, जानिए किन फंड्स में करना चाहिए कितना निवेश

निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता को ध्यान में रखते हुए अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए। आदर्श तौर पर निवेशकों को एसेट क्लास के पुराने प्रदर्शन के आधार की बजाय अपने वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर एसेट का चयन करना चाहिए।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 07:16 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 06:53 AM (IST)
कोरोना महामारी से सीख सकते हैं वित्तीय अनुशासन के ये सबक, जानिए किन फंड्स में करना चाहिए कितना निवेश
कोरोना संकट ने आपातकालीन फंड की जरूरत को रेखांकित किया है।

नई दिल्ली, जुजेर गबाजीवाला। एक पुरानी कहावत है कि एक ही टोकरी में अपने सभी अंडों को नहीं रखना चाहिए। यह बात निवेश के लिए भी सटीक बैठती है। इसका अर्थ है कि आपको एक ही एसेट क्लास में अपना सारा निवेश नहीं करना चाहिए। किसी ने भी इस बात की उम्मीद भी नहीं की होगी कि साल 2015 से जूझ रहे फार्मा फंड महामारी की वजह से 50% से अधिक का रिटर्न देंगे। इसलिए जरूरी है कि निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता को ध्यान में रखते हुए अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए। आदर्श तौर पर निवेशकों को एसेट क्लास के पुराने प्रदर्शन के आधार की बजाय अपने वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर एसेट का चयन करना चाहिए। एक सामान्य नियम के अनुसार, निवेशकों को 80 में से अपनी उम्र को घटाकर  इक्विटी और डेट में निवेश की रणनीति बनानी चाहिए। 

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आपातकालीन फंड है जरूरी

मुश्किल समय कभी बता कर नहीं आता। इस संकट ने आपातकालीन फंड की जरूरत को रेखांकित किया है। यह एक ऐसा बचत फंड होता है, जो सिर्फ मुश्किल समय के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। साल 2008 की मंदी के दौरान लिक्विडिटी का संकट मंडरा रहा था, मगर इस महामारी ने पूरी दुनिया को रोक दिया था। आपातकालीन कोष तैयार होने की वजह से न सिर्फ मुश्किल समय में उसका इस्तेमाल किया जा सकता है, बल्कि यह आपके निवेश की भी फिजूल बिक्री करने से बचाता है। निवेशकों के लिए जरूरी होगा कि वे अपने तीन से छह महीनों के खर्च को आपातकालीन फंड के रूप में रखना चाहिए।

सोने में निवेश है सही

सोने में निवेश करना उचित नजर आता है। इसका पता इसी बात से चल जाता है कि जब भी मुश्किल समय में शेयर बाजार झटके देता है, तो सोने के भाव ऊपर की तरफ बढ़ते रहते हैं।

निवेशकों को सोने को सिर्फ आभूषण के रूप में नहीं देखना चाहिए क्योंकि यह इक्विटी के खराब दौर में रक्षा प्रदान करने का माद्दा रखता है। दोनों ही एसेट श्रेणियों का सह-संबंध काफी कम है और इसी वजह से गोल्ड इक्विटी निवेश के प्रति रक्षा प्रदान करता है। इसमें 5-10% तक निवेश कर सकते हैं।

एक महामारी, पूरी अर्थव्यवस्था पर भारी

मानव इतिहास में कई आपदाएं और बीमारियां आई हैं, जो हवा या पानी से फैली। मगर ऐसी कोई महामारी नहीं आई, जिसने पूरी दुनिया को जस-का-तस खड़ा कर दिया। किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि पूरी दुनिया में तो क्या किसी देश में भी लॉकडाउन  लग सकता है। आज की तारीख में आई महामारी ने स्वास्थ्य आपदा के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी कहर ढाया।

सरकारें अब भी इस दुविधा से जूझ रही हैं कि इस महामारी से पार पाते हुए कैसे आर्थिक गतिविधियों को वापस पटरी पर लाया जाए। यह इस बात पर जोर देता है कि हर शख्स के पास पर्याप्त हेल्थ कवर और बेहतर लाइफस्टाइल की होना चाहिए।

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आय के दूसर स्रोत भी हैं जरूरी

हर शख्स के लिए आय का दूसरा स्रोत होना बेहद जरूरी है। यह कमाई का निष्क्रिय जरिया भी हो सकता है। मई के महीने में बेरोजगारी दर 24.48% थी, जो बताता है कि नौकरी कभी भी जा सकती है। आज लोग यूट्यूब पर सिर्फ वीडियो डालकर पैसा कमा रहे है, जबकि कई लोग ब्लॉग के जरिए भी कमाई करते हैं। आप अपने हुनर या नई स्किल के जरिए अपनी परिवार के लिए आय का दूसरा स्रोत जुटा सकते हैं। अपने लिए आय का दूसरा साधन जुटाने के सबसे बढ़िया तरीकों में से एक है कि आप अपने पैसे का सूझ-बूझ से निवेश करें। इक्विटी, म्यूचुअल फंड, गोल्ड या रीयल एस्टेट जैसे एसेट क्लास में लगातार, नियमित और अनुशासित निवेश करना के एक बढ़िया विकल्प है।

(लेखक वेंचुरा सिक्योरिटीज में डायरेक्टर हैं। प्रकाशित विचार लेखक के निजी है।)


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