88 के पार पहुंचा रुपया! अमेरिका के भारी टैरिफ से अन्य मुद्राएं भी कमजोर, वित्त मंत्री ने दी ये सफाई
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार रुपये पर नजर रख रही है क्योंकि डालर के मुकाबले कई अन्य मुद्राएं भी कमजोर हुई हैं। रुपये में गिरावट का मुख्य कारण डालर की मजबूती है अन्य मुद्राओं के मुकाबले नहीं। शुक्रवार को रुपया 88.09 के स्तर पर बंद हुआ जो इंट्रा-डे में 88.38 के निचले स्तर तक पहुंचा था।

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि सरकार रुपये पर नजर बनाए हुए हैं और हाल के दिनों में रुपये के अलावा कई अन्य मुद्राएं भी अमेरिकी डालर के मुकाबले कमजोर हुई हैं। उन्होंने कहा कि रुपये की गिरावट मुख्य रूप से डालर के मुकाबले है, न कि अन्य मुद्राओं के मुकाबले।
इसका कारण यह भी है कि वैश्विक स्तर पर डालर मजबूत हुआ है।एक साक्षात्कार में वित्त मंत्री ने बताया कि यह केवल रुपये और डालर के बीच का मामला नहीं है, बल्कि कई अन्य मुद्राओं का भी डालर के मुकाबले यही हाल है। इसलिए हम इस पर अच्छी नजर रख रहे हैं।
शुक्रवार को रुपये इंट्रा-डे में 88.38 के सर्वकालिक निचले स्तर तक पहुंचा था। हालांकि, अंत में यह डालर के मुकाबले 88.09 के स्तर पर बंद हुआ था। यह गिरावट अमेरिकी टैरिफ से जुड़ी चिंताओं के कारण आई थी। हालांकि, आरबीआइ के हस्तक्षेप के बाद रुपये में सुधार हुआ था।
अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं के आयात पर 50 प्रतिशत का भारी-भरकम शुल्क लगाया है, जो 27 अगस्त से प्रभावी है। यह दुनियाभर के देशों पर लगाए गए शुल्कों में सबसे ज्यादा है। इन शुल्कों में रूस से कच्चा तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का जुर्माना भी शामिल है। इस शुल्क से भारत के कपड़ा व वस्त्र, रत्न एवं आभूषण, झींगा, चमड़ा और जूते, पशु उत्पाद, रसायन, तथा विद्युत एवं यांत्रिक मशीनरी उत्पादों के प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है।
फार्मा, ऊर्जा उत्पाद और इलेक्ट्रानिक सामान जैसे क्षेत्र इन शुल्कों के दायरे से बाहर हैं। 2024-25 में भारत के 437.42 अरब डालर के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका की कीरब 20 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
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