डी-ऑयल्ड राइस ब्रान का हो सकेगा निर्यात, कब से लागू होगा आदेश, कितने करोड़ का है बाजार
भारत ने तेल रहित चावल की भूसी की निर्यात नीति (De Oiled Rice Bran export policy) में बदलाव किया है। इसके निर्यात पर पिछले साल प्रतिबंध लगाया गया था जिसे अब हटा लिया गया है। नया आदेश तत्काल लागू हो गया है। प्रतिबंध लगाए जाने से पहले भारत मुख्य रूप से एशियाई देशों को हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये का डी-ऑयल्ड राइस ब्रान का निर्यात करता था।

सरकार ने पशु आहार उद्योग में इस्तेमाल होने वाले तेल रहित चावल की भूसी (de-oiled rice bran export) पर लगे निर्यात प्रतिबंध को हटाने की घोषणा की है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना (DGFT notification) में कहा कि तेल रहित चावल की भूसी की निर्यात नीति को ‘प्रतिबंधित’ से ‘मुक्त’ में संशोधित किया जाता है। यह संशोधन तत्काल प्रभावी हो गया है।
डी-ऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर पिछले साल प्रतिबंध लगाया गया था। चावल की भूसी से तेल निकालने के बाद बचे हुए अवशेष को डी-ऑयल्ड राइस ब्रान कहते हैं। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से पशु चारे (cattle feed) में किया जाता है।
खाद्य तेल उद्योग की बॉडी सॉलवेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने कुछ दिनों पहले सरकार से घरेलू प्रोसेसर्स को बचाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए डी-ऑयल्ड राइस ब्रान निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया था।
पूर्वी भारत के एक्सट्रैक्टर्स और किसानों को लाभ
सरकार के कदम का स्वागत करते हुए एसोसिएशन ने कहा कि इससे चावल मिलिंग और सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन उद्योग लाभान्वित होंगे। विशेष रूप से पूर्वी भारत के एक्सट्रैक्टर्स को निर्यात का लाभ मिलेगा। एसईए के अनुसार सरकार के इस कदम से किसानों और प्रोसेसर्स को चावल की भूसी के बाइ-प्रोडक्ट की बेहतर कीमत प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे चावल की भूसी के प्रसंस्करण को बढ़ावा मिलेगा और आयात के विकल्प के रूप में राइस ब्रान ऑयल का उत्पादन बढ़ेगा। भारत हाल तक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डी-ऑयल्ड राइस ब्रान एक विश्वसनीय सप्लायर था। पिछले साल इसके निर्यात पर रोक लगा दी गई थी।
एसईए के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता ने एक बयान में कहा, “एक बार फिर, इससे भारत के कृषि-प्रसंस्करण निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और ग्लोबल फीड बाजार में एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में देश की प्रतिष्ठा मजबूत होगी।”
भारत करता था 1000 करोड़ रुपये का निर्यात
प्रतिबंध से पहले भारत हर साल पांच से छह लाख टन डी-ऑयल्ड राइस ब्रान का निर्यात करता था। यह निर्यात लगभग 1,000 करोड़ रुपये का था। मुख्य रूप से वियतनाम, थाईलैंड और अन्य एशियाई देश इसे भारत से खरीदते थे। मेहता ने कहा, “हम पूरी कोशिश करेंगे और 1,000 करोड़ रुपये के सालाना कारोबार पर लौटने की कोशिश करेंगे।”
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