Gold Silver Price Hike: क्यों महंगा हो रहा सोना-चांदी? सरकार ने किया साफ; कहा- 'कीमत तय करने में हमारा रोल...'
Gold Silver Price Hike: भू-राजनीतिक तनाव के कारण सोने और चांदी की कीमतों में वृद्धि हुई है। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि सरकार कीमतें तय नही ...और पढ़ें
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Gold Silver Price Hike: क्यों महंगा हो रहा सोना-चांदी? सरकार ने किया साफ; कहा- 'कीमत तय करने में हमारा रोल...'
नई दिल्ली| दुनिया भर में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव का सीधा असर सोने और चांदी की कीमतों (gold silver price hike) पर दिख रहा है। सुरक्षित निवेश के तौर पर मांग बढ़ने से इन दोनों कीमती धातुओं के दाम ऊपर गए हैं। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी (pankaj chaudhary) ने यह जानकारी दी।
उन्होंने साफ कहा कि देश में सोने और चांदी की कीमतें सरकार तय नहीं करती। घरेलू बाजार में इनके दाम मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय कीमतों, डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर और लागू टैरिफ पर निर्भर करते हैं। मंत्री ने माना कि चालू वित्त वर्ष में सोने और चांदी की कीमतों में बढ़त का रुझान रहा है, लेकिन इसका असर हर राज्य और हर वर्ग पर एक जैसा नहीं होता।
सोने-चांदी की कीमतें बढ़ने से क्या होता है?
पंकज चौधरी ने कहा कि सोने या चांदी की कीमत बढ़ने से घरेलू संपत्तियों के मूल्य पर सकारात्मक असर पड़ता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन धातुओं की कीमतें पूरी तरह बाजार के नियमों से तय होती हैं और मूल्य निर्धारण में सरकार का कोई योगदान नहीं होता।
आंकड़ों की बात करें तो चालू वित्त वर्ष में सितंबर तक भारत ने 26.51 अरब डॉलर का सोना और 3.21 अरब डॉलर की चांदी आयात की है। वहीं, वित्त वर्ष 2024-25 में सोने का कुल आयात बिल 58 अरब डॉलर और चांदी का 4.82 अरब डॉलर रहा था।
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RBI के पास 879 मीट्रिक टन से ज्यादा सोना
मंत्री ने यह भी बताया कि 31 मार्च 2025 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास 879.58 मीट्रिक टन सोना मौजूद था। उनके मुताबिक, यह सोना रुपये की मजबूती और देश की कुल बाहरी आर्थिक स्थिरता पर भरोसा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
सरकार फिजिकल सोने की मांग कम करने और घरों में पड़े बेकार सोने को अर्थव्यवस्था में लाने के लिए कई योजनाएं चला रही है। इनमें गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम शामिल हैं। सरकार का मानना है कि इन उपायों से आयात पर निर्भरता घटेगी और निवेशकों को भी बेहतर विकल्प मिलेंगे।

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