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    सोना क्यों तोड़ रहा रिकॉर्ड, 46 साल की सबसे बड़ी तेजी का 1979 से क्या है कनेक्शन? 2026 में कहां तक पहुंचेगी कीमत

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 09:57 PM (IST)

    Gold Price Record: साल 2025 सोने के लिए ऐतिहासिक साबित हो रहा है। इस साल सोने की कीमतों में 70 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ...और पढ़ें

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    सोना क्यों तोड़ रहा रिकॉर्ड, 46 साल की सबसे बड़ी तेजी का 1979 से क्या है कनेक्शन; 2026 में कहां तक पहुंचेगी कीमत?

    Gold Price Record: साल 2025 सोने के लिए ऐतिहासिक साबित होता दिख रहा है। सोने की कीमतों में इस साल अब तक 70 फीसदी से ज्यादा की तेजी आ चुकी है और यह 1979 के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन की ओर बढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में साल की शुरुआत में सोना करीब 2,640 डॉलर प्रति औंस (भारतीय रुपए में 83,680 रुपए प्रति 10 ग्राम) था, जो अब $4,500 प्रति औंस के पार पहुंच चुका है।

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    बाजार के जानकारों का मानना है कि यह तेजी अभी थमी नहीं है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों का कहना है कि 2026 के अंत तक सोने की कीमत 5,000 डॉलर प्रति औंस (भारतीय रुपए में 1,58,485 रुपए प्रति 10 ग्राम) से ऊपर जा सकती है।

    न्यूयॉर्क में सोने के वायदा कारोबार में इस साल करीब 71% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह बीते 46 वर्षों की सबसे बड़ी सालाना छलांग है। इससे पहले इतनी तेज उछाल 1979 में देखने को मिली थी। उस समय अमेरिका में जिमी कार्टर राष्ट्रपति थे, मध्य पूर्व में तनाव चरम पर था, महंगाई बहुत ऊंची थी और अमेरिका ऊर्जा संकट से जूझ रहा था।

    एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा हालात भी कुछ हद तक वैसे ही हैं। आज वैश्विक व्यापार टैरिफ की मार झेल रहा है, रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है, ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ रहा है और अमेरिका वेनेज़ुएला से जुड़े तेल टैंकरों को जब्त कर रहा है। इन तमाम घटनाओं ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है।

    यह भी पढ़ें- गोल्ड ने रचा इतिहास, अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहली बार ₹1.42 लाख के पार; क्यों चढ़ीं कीमतें, अभी कितने और बढ़ेंगे दाम?

    क्यों लगातार उछल रहा है सोना?

    अनिश्चितता के दौर में निवेशक आमतौर पर सोने को सुरक्षित निवेश मानते हैं। जानकारों के मुताबिक, सोना ऐसा एसेट है जो संकट, महंगाई या करेंसी में गिरावट के समय अपनी कीमत बनाए रखने की क्षमता रखता है। यही वजह है कि जब ग्लोबल इकॉनमी डगमगाती है, तो निवेशक शेयर और जोखिम वाले एसेट्स से पैसा निकालकर सोने में लगाते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि मौजूदा हालात में सोना सिर्फ निवेश नहीं, बल्कि स्ट्रैटजिक डाइवर्सिफायर बन चुका है। इससे पोर्टफोलियो में स्थिरता आती है और जोखिम कम होता है।

    ब्याज दर और डॉलर का असर

    सोने की तेजी के पीछे अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति भी बड़ी वजह है। जब ब्याज दरें घटने की उम्मीद बनती है, तो बॉन्ड यील्ड कम होती है और सोना ज्यादा आकर्षक हो जाता है। बाजार को उम्मीद है कि 2026 में फेड ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, जिससे सोने को और सपोर्ट मिलेगा। इसके साथ ही अमेरिकी डॉलर का कमजोर होना भी सोने की कीमतों को ऊपर ले जा रहा है। डॉलर कमजोर होने पर अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए सोना सस्ता पड़ता है, जिससे डिमांड बढ़ती है।

    चीन और सेंट्रल बैंकों की बड़ी खरीद

    वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन सालों में दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने हर साल 1,000 टन से ज्यादा सोना खरीदा है, जबकि पहले यह औसत 400-500 टन सालाना था। इसमें चीन सबसे आगे है। चीन का केंद्रीय बैंक अमेरिकी डॉलर और ट्रेजरी बॉन्ड पर निर्भरता घटाना चाहता है। यह रुख खास तौर पर 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद साफ दिखा, जब पश्चिमी देशों ने डॉलर में रखी रूसी संपत्तियां फ्रीज कर दी थीं। इसके बाद चीन और रूस जैसे देशों ने डॉलर से दूरी बनाने के लिए सोने की खरीद बढ़ा दी।

    विशेषज्ञों का मानना है कि यही वजह है कि सोने की मांग आने वाले कई साल तक मजबूत बनी रह सकती है।

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