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    Gold Investment: ज्वैलरी पर एक-दो नहीं बल्कि लगते हैं इतने तरह के मेकिंग चार्जेज, ये कितना महंगा कर देते हैं सोना?

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 04:44 PM (IST)

    क्या आप जानते हैं कि जब आप सोना खरीदते (Gold Investment) हैं तो असली दाम सिर्फ सोने का नहीं चुकाते बल्कि उस पर कई तरह के मेकिंग चार्जेज भी लगते हैं? और यही चार्जेज गहनों को महंगा बना देते हैं जो चार तरह के होते हैं। मेकिंग चार्जेजअसल में कारीगर की मेहनत और डिजाइनिंग का खर्च होते हैं। तो आइए जानते हैं कि इनसे बचें कैसे?

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    गोल्ड पर एक, दो या तीन नहीं बल्कि लगते हैं इतने मेकिंग चार्जेज।

    नई दिल्ली| सोना हर भारतीय परिवार के लिए सिर्फ निवेश (Gold Investment) नहीं बल्कि परंपरा है। शादी-ब्याह से लेकर त्योहार तक, सोने के बिना गहनों की बात अधूरी लगती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब आप सोना खरीदते हैं तो असली दाम सिर्फ सोने का नहीं चुकाते, बल्कि उस पर कई तरह के मेकिंग चार्जेज भी लगते हैं?

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    और यही चार्जेज गहनों को महंगा बना देते हैं, जो एक या दो नहीं बल्कि चार तरह के होते हैं। मेकिंग चार्जेज असल में कारीगर की मेहनत और डिजाइनिंग का खर्च होते हैं। फर्क बस इतना है कि इन्हें हर ज्वैलर अलग तरीके से जोड़ता है। अगर आप इन्हें सही से समझ लें, तो सोना खरीदते वक्त काफी बचत कर सकते हैं।

    ज्वैलरी पर लगने वाले मेकिंग चार्जेज

    1. फिक्स्ड मेकिंग चार्जेज

    कुछ ज्वैलर्स हर गहने पर तय रकम जोड़ते हैं। उदाहरण कि लिए, अगर किसी दुकान पर फिक्स्ड चार्ज 2000 रुपए है तो छोटे कान की बाली हो या भारी नेकलेस, दोनों पर यही रकम जुड़ जाएगी। इसका फायदा यह है कि ग्राहक को साफ-साफ पता होता है कि कितना अतिरिक्त देना है। और इसका नुसकान है कि छोटे गहनों में ये ठीक है, लेकिन बड़े गहनों में सोने की कीमत ज्यादा होने पर यह तरीका ग्राहक को फायदेमंद लग सकता है, जबकि दुकानदार को घाटा भी हो सकता है।

    यह भी पढ़ें- Gold Investment: सोने के बिस्किट, सिक्के या फिर ज्वैलरी, निवेश के लिए क्या है सबसे सही?

    2. प्रतिशत के हिसाब से चार्जेज

    यह सबसे आम तरीका है। इसमें सोने की कीमत का 8% से 25% तक मेकिंग चार्जेज जोड़ दिए जाते हैं। जैसे अगर हार में सोने की कीमत 1 लाख रुपए है और चार्जेज 10% हैं, तो आपको 10,000 हजार रुपए एक्स्ट्रा देने होंगे। हालाकि, इसमें जितना महंगा गहना, उतना ज्यादा मेकिंग चार्ज लगता है। हालांकि, भारी और डिजाइनर गहनों में ये चार्ज बहुत महंगे पड़ जाते हैं।

    3. प्रति ग्राम के हिसाब से चार्जेज

    कई दुकानों पर प्रति ग्राम का रेट फिक्स रहता है। जैसे 5000 रुपए प्रति ग्राम और अगर गहना 10 ग्राम का है, तो मेकिंग चार्ज ₹50,000 हो जाएगा। यह वजनदार गहनों पर ज्यादा असर डालता है। नुकसान की बात करें तो साधारण डिजाइन वाले गहनों में भी लागत काफी बढ़ जाती है।

    4. डिजाइन आधारित चार्जेज

    यह तरीका खासकर ब्रांडेड ज्वैलरी शॉप्स पर अपनाया जाता है। साधारण डिजाइन पर कम चार्ज, लेकिन जटिल और हैंडमेड डिजाइन पर काफी ज्यादा चार्ज। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि साधारण चेन पर 8% चार्ज लगेगा, जबकि जटिल हीरे-जड़े हार पर 20-25% तक का चार्ज लग सकता है।

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    इन चार्जेज से कैसे बचें?

    अलग-अलग ज्वैलर्स से तुलना करें। त्योहार या शादी सीजन में ज्यादा चार्जेज लग सकते हैं, इसलिए सही समय पर खरीदें। साधारण डिजाइन वाले गहनों पर चार्जेज कम होते हैं। बड़ी ब्रांडेड दुकानों की बजाय लोकल ट्रस्टेड ज्वैलर्स के यहां से खरीदने का प्लान करें और मेकिंग चार्जेज पर अच्छे से नेगोशिएट करें।

    बता दें कि सोना खरीदते वक्त सिर्फ रेट ऑफ गोल्ड पर ध्यान देना काफी नहीं है। असली खेल मेकिंग चार्जेज का होता है। अगर इन्हें समझदारी से हैंडल करें, तो लाखों की खरीद में हजारों की बचत आसानी से की जा सकती है।

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