बाढ़ में डूबी धान, गन्ना और कपास की फसलें, जानिए किस राज्य में किस फसल को कितने नुकसान की आशंका
Agriculture News देशभर में 2 सितंबर तक सामान्य से 7 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है लेकिन कुछ राज्यों में मानसून ने कहर बरपाया है। पंजाब में पिछले महीने सामान्य से 74 प्रतिशत तो तेलंगाना में 62 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। फसलों को सबसे अधिक नुकसान (crop damage) भी पंजाब में हुआ है। यहां हम बता रहे हैं कि किस राज्य में किस फसल को कितना नुकसान पहुंचा है।

Flood damage to crops: लगातार बारिश और बाढ़ ने देश के कई हिस्सों में फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया है। सबसे अधिक नुकसान पंजाब और राजस्थान के किसानों को झेलना पड़ा है। दूसरे राज्यों में भी फसलों को क्षति पहुंची है, लेकिन वह कुछ इलाकों तक सीमित है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगले कुछ हफ्ते कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में बारिश का पैटर्न महत्वपूर्ण साबित होगा। मौसम विभाग ने उत्तर और मध्य भारत में इस महीने सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान जताया है। यह समय धान, कपास, सोयाबीन, मक्का और प्याज जैसी फसलों के लिए पौधों के बढ़ने का समय होता है। इसलिए यह महीना फसल की पैदावार के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है।
पंजाब में औसत से 74 प्रतिशत अधिक बारिश
भारत में 76 प्रतिशत बारिश दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है। यह देश की कृषि और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 2 सितंबर तक बारिश कुल मिलाकर दीर्घकालिक औसत से 7 प्रतिशत अधिक रही है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और तेलंगाना जैसे राज्यों में अधिक बारिश हुई है। अगस्त में पंजाब में दीर्घकालिक औसत से 74 प्रतिशत, हरियाणा में 33 प्रतिशत, राजस्थान में 18 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 46 प्रतिशत, कर्नाटक में 29 प्रतिशत, तेलंगाना में 62 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में दो प्रतिशत अधिक बारिश हुई।
इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून का आगमन जल्दी हुआ था। 24 मई को ही मानसून की बारिश शुरू हो गई थी। तयशुदा समय से एक दिन पहले, 29 जून तक पूरे देश में मानसून छा गया। बारिश पहले शुरू हुई तो किसानों ने भी धान, मक्का, कपास और दलहन के साथ प्याज, टमाटर और केला जैसी बागवानी फसलों की खेती समय से पहले शुरू कर दी।
सबसे अधिक नुकसान पंजाब को
रिपोर्ट के अनुसार बारिश से सबसे अधिक नुकसान पंजाब को हुआ है। वहां अगस्त में सामान्य से 74 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। राज्य को चार दशक की सबसे भयंकर बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है। यहां 42.4 लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि में से 70000 हेक्टेयर बाढ़ की चपेट में है। अनेक जिलों में धान, गन्ना और कपास की फसलें डूब गई हैं।
किस फसल को कितना नुकसान
क्रिसिल की रिपोर्ट में प्रमुख फसलों के लिए कई जोखिम बताए गए हैं। धान में पत्ते निकलने की अवस्था में पानी जमा होने से पत्ते पीले पड़ सकते हैं, पौधों का बढ़ना रुक सकता है और पैदावार 5 से 10 प्रतिशत घट सकती है। गन्ने की फसल डूबने से रेड रॉट बीमारी का जोखिम बढ़ गया है। इससे गन्ने के साथ-साथ चीनी की पैदावार 5 से 10 प्रतिशत घटने की आशंका है। गन्ने के रस की क्वालिटी भी प्रभावित होगी।
कपास की फसल अभी फूल बनने की प्रक्रिया में है। इसके खेतों में पानी भरने से फूलों की संख्या कम हो सकती है। साथ ही पिंक बॉलवर्म का हमला भी हो सकता है। इससे न सिर्फ कपास की पैदावार 15 से 20 प्रतिशत घट सकती है बल्कि फाइबर की क्वालिटी भी प्रभावित होगी।
राज्य में बाढ़ ने बागवानी फसलों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। अमृतसर, लुधियाना, मोगा, कपूरथला, गुरदासपुर और पठानकोट जिलों में बंदगोभी की शुरुआती फसल 10 से 15 प्रतिशत प्रभावित हुई है। टमाटर की ट्रांसप्लांट में देर हुई है। अमरूद और नाशपाती के बगीचों में फंगस की बीमारी पकड़ने और कीटों के हमले की आशंका है, जिससे पैदावार और क्वालिटी दोनों प्रभावित होगी।
राजस्थान में कई फसलों को क्षति
राजस्थान में अजमेर, टोंक, कोटा, बूंदी, जयपुर और दौसा जिलों में भारी बारिश से बाजरा, ज्वार, सोयाबीन, मूंगफली, मूंग और उड़द की फसलों को नुकसान पहुंचा है। बाजरा अभी फूल लगने के चरण में है। खेतों में पानी जमा होने और तेज हवा से उत्पादन कम हो सकता है। ज्वार, सोयाबीन और मूंगफली की फसलों के पानी में डूबने से जड़ों के सड़ने, पौधों का विकास कम होने और उत्पादन घटने की आशंका है। पौधों को नुकसान पहुंचने और पर्याप्त फूल न लगने के कारण दलहन की फसलों को भी नुकसान हो रहा है।
हालांकि यहां मक्का, धान और कपास की फसलों पर अभी तक ज्यादा असर नहीं पड़ा है। लेकिन सीकर जिले के किसानों ने आशंका जताई है कि अगर मध्य सितंबर तक ज्यादा बारिश होती रही तो पानी जमा होने से प्याज का आकार छोटा रह सकता है।
उत्तर प्रदेश में मूंग और उड़द को काफी क्षति
उत्तर प्रदेश में यमुना और गंगा तथा उनकी सहायक नदियों के आसपास के इलाकों में फसलें प्रभावित हुई हैं। लखीमपुर, गोंडा, बहराइच और प्रयागराज में धान को सीमित नुकसान पहुंचा है। सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में कद्दू और गाजीपुर, वाराणसी तथा मिर्जापुर में मिर्च की फसलों को क्षति पहुंची है। बुंदेलखंड इलाके में पहले बारिश आ जाने की वजह से मूंगफली और सोयाबीन की बुवाई कम हुई। यहां मूंग और उड़द की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है।
हरियाणा और अन्य राज्यों में नुकसान
पंजाब की सीमा से लगे हरियाणा के सिरसा, फतेहाबाद और जींद जिलों में भी नुकसान हुआ है। इन इलाकों में धान में समय से पहले फूल लग रहे हैं जिससे उत्पादन घटना की आशंका है। टमाटर की फसल को भी थोड़ा नुकसान पहुंचा है। खेतों में पानी जमा होने की वजह से अगस्त में गाजर के बीज नहीं डाले जा सके।
आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना से भी फसलों के प्रभावित होने की खबरें हैं। यहां नुकसान सीमित है। कुल मिलाकर धान, मक्का और कपास का ज्यादातर क्षेत्र अप्रभावित है। हालांकि फूलों को नुकसान पहुंचने से मूंग और उड़द जैसी दालों की पैदावार घटने की आशंका है।
फसलों को नुकसान से महंगाई की चिंता
क्रिसिल का आकलन है कि अत्यधिक बारिश महंगाई बढ़ा सकती है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य पदार्थों का हिस्सा 47 प्रतिशत है। ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार अपना 47 प्रतिशत और शहरों में 40 प्रतिशत खाने पर खर्च करते हैं। उत्पादन में और अधिक नुकसान होने पर सप्लाई पर दबाव बढ़ेगा, जिससे खाद्य महंगाई के जोखिम में वृद्धि होगी।
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