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    Cooking oil price hike: खाने के तेल बिगाड़ेंगे किचन का स्वाद, हो सकते हैं महंगे; हैरान कर देगी वजह!

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 08:44 PM (IST)

    Edible oil prices India 2025: खाने के तेल की कीमतों में वृद्धि से किचन का बजट बिगड़ने की आशंका है। विभिन्न कारणों से खाद्य तेलों के दाम बढ़ सकते हैं, ...और पढ़ें

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    Cooking oil price hike: खाने के तेल बिगाड़ेंगे किचन का स्वाद, हो सकते हैं महंगे; हैरान कर देगी वजह!

    Edible oil prices India 2025: खाने का तेल जल्द ही आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। क्योंकि, डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर होता रुपया किचन का बजट बिगाड़ने वाला है। भारत अपनी जरूरत का करीब 60% खाद्य तेल बाहर (India imports 60% edible oil) से खरीदता है, ऐसे में रुपए की गिरावट सीधा असर तेल की कीमतों पर पड़ने वाला है।

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    पिछले छह महीनों में रुपए में करीब 6% की गिरावट दर्ज की गई है और यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। रुपए की कमजोरी का मतलब है कि आयात महंगा हो जाता है, यानी बाहर से आने वाला हर सामान, खासकर खाद्य तेल, ज्यादा कीमत पर मिलेगा।

    रिफाइंड और कच्चे तेल में तेजी

    पिछले साल भारत ने करीब 160 लाख टन खाद्य तेल आयात किया था, जिसकी कीमत लगभग 1.60 लाख करोड़ रुपए रही। अब जब इंटरनेशनल मार्केट में भी तेलों के दाम बढ़ रहे हैं, तो घरेलू बाजार में महंगाई लगभग तय मानी जा रही है। फिलहाल रिफाइंड और कच्चे तेल दोनों की कीमतों में तेजी बनी हुई है।

    यह भी पढ़ें- India US Trade डील में रुकावट से रुपये में बड़ी गिरावट, डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड 90.56 के निचले स्तर पर पहुंचा

    बढ़ सकती हैं सरसों और सोयाबीन ऑयल की कीमतें

    एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर रुपया ऐसे ही कमजोर होता रहा, तो आने वाले हफ्तों में सरसों, सोयाबीन (mustard oil price rise), पाम और सूरजमुखी तेल की कीमतें (rupee fall impact on kitchen budget) और बढ़ सकती हैं। इसका असर सिर्फ किचन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कुल महंगाई पर भी दबाव बढ़ेगा।

    डॉलर के मुकाबले 90.56 तक लुढ़का रुपया

    शुक्रवार, 12 दिसंबर को ट्रेडिंग की शुरुआत में रुपया डॉलर के मुकाबले 90.56 तक (Indian rupee vs dollar) लुढ़क गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कल डिफेंस और इंटरेस्ट पेमेंट के लिए बड़ी मात्रा में डॉलर खरीदे गए थे। आज तेल कंपनियों की डिमांड के चलते दबाव बढ़ा। हालांकि न्यूयॉर्क सत्र में मोदी-ट्रंप वार्ता (Modi Trump talk rupee impact) के बाद रुपया थोड़ा मजबूत होकर 90.15 प्रति डॉलर तक पहुंचा, लेकिन बाजार में अस्थिरता अभी भी बनी हुई है।

    पॉजिटिव संकेत न मिलने से भारतीय ट्रेडर्स निराश

    डीलर्स की मानें तो ट्रेड डील पर कोई पॉजिटिव संकेत न मिलने से भारतीय ट्रेडर्स निराश हैं। कम लिक्विडिटी और छोटे ट्रेडर्स की एक्टिविटी भी रुपए पर दबाव बढ़ा रही है। उनका कहना है कि सुबह बाजार में RBI ही नहीं, बल्कि प्राइवेट प्लेयर्स की ओर से भी डॉलर बेचे गए, जिसकी वजह से थोड़ी राहत दिखी।

    हालांकि, साफ शब्दों में कहें तो किचन के लिए बुरा वक्त आने की आशंका है। रुपए की कमजोरी और इंटरनेशनल महंगाई, दोनों मिलकर खाने का तेल महंगा (edible oil price hike) कर सकते हैं।

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