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    Budget 2025: अब आपको कितना देना है इनकम टैक्स, TDS को लेकर क्या है नियम? पढ़ें पूरी डिटेल

    Updated: Sat, 01 Feb 2025 11:30 PM (IST)

    वित्त मंत्रालय के मुताबिक टैक्स छूट सीमा को सात लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने से टैक्स देने वाले एक करोड़ लोग टैक्स से मुक्त हो जाएंगे। नई व्यवस्था के तहत टैक्स के स्लैब भी बदलाव किया गया है जिससे सालाना 24.75 लाख तक कमाने वालों को फिलहाल के मुकाबले 1.10 लाख रुपए की बचत होगी। सरकार ने टीडीएस-टीसीएस में बदलाव कर भी राहत दी है।

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    टीडीएस-टीसीएस के नियमों में भी बदलाव (फोटो: जागरण)

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था के खेवनहार मध्यम वर्ग को सरकार ने इनकम टैक्स में छूट देकर अर्थव्यवस्था को भी बूस्टर देने की कोशिश की है। नई घोषणा के मुताबिक आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में वेतनभोगियों को सालाना 12.75 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।

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    अन्य लोगों को 12 लाख तक सालाना आय पर टैक्स नहीं लगेगा। यह सुविधा इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत दी गई है। नई व्यवस्था के तहत टैक्स के स्लैब भी बदलाव किया गया है जिससे सालाना 24.75 लाख तक कमाने वालों को फिलहाल के मुकाबले 1.10 लाख रुपए की बचत होगी।

    8 करोड़ ने भरा आईटीआर

    वित्त मंत्रालय के मुताबिक टैक्स छूट सीमा को सात लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने से टैक्स देने वाले एक करोड़ लोग टैक्स से मुक्त हो जाएंगे। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक आठ करोड़ से अधिक लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल किए थे, लेकिन इनमें से 4.9 करोड़ लोगों ने अपनी आय जीरो टैक्स वाली दिखाई थी।

    यानी कि सिर्फ 3-3.15 करोड़ लोग ही देश में टैक्स देते हैं। टैक्स मुक्त आय की सीमा बढ़ाने एवं टैक्स स्लैब में बदलाव से सरकार को सालाना एक लाख करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा, लेकिन इसके बावजूद टैक्स कलेक्शन की बढ़ोतरी जारी रहेगी।

    पुरानी टैक्स व्यवस्था होगी खत्म

    • आगामी वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष कर की बढ़ोतरी दर 14.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। पुरानी टैक्स व्यवस्था को सरकार धीरे-धीरे खत्म करना चाहती है, इसलिए वहां कोई बदलाव नहीं किया गया है। 75 प्रतिशत से अधिक टैक्सपेयर्स टैक्स की नई व्यवस्था को स्वीकार चुके हैं।
    • टैक्स में छूट का इस बड़े फैसले को धीमी होती अर्थव्यवस्था में खपत को बढ़ाने से जोड़ कर देखा जा रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक मध्यम वर्ग को एक लाख करोड़ की जो राहत दी गई है वह खपत या फिर बचत के रूप में अर्थव्यवस्था में वापस आ जाएगी। सीतारमण के मुताबिक वर्ष 2014 में सालाना 12 लाख कमाने वाले दो लाख रुपए का टैक्स देते थे।
    • अब इतनी कमाई करने वाले कोई टैक्स नहीं देंगे। कंज्यूमर गुड्स. छोटी कार व अन्य उपभोग की वस्तुओं की बिक्री बढ़ने से मांग निकलेंगी जो अर्थव्यवस्था की पहिया को गति देगी। छोटी कार व कंज्यूमर गुड्स की मांग में चालू वित्त वर्ष में खास बढ़ोतरी नहीं दिख रही है जिससे मैन्यूफैक्चरिंग प्रभावित हो रहा है।

    टीडीएस-टीसीएस में भी बदलाव

    इनकम टैक्स के साथ सरकार ने टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (टीडीएस) व टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) नियमों में बदलाव कर भी राहत दी है। टेक्निकल या प्रोफेशन फीस, कमीशन, ब्रोकरेज, किराए, विदेश भेजी गई रकम पर टीडीएस व टीसीएस कटौती की सीमा को बढ़ा दी गई है।

    लोन लेकर विदेश में बच्चों की पढ़ाई के लिए भेजी गई रकम पर अब टीसीएस नहीं कटेगा। अन्य मद में 10 लाख तक विदेश भेजने वाली रकम पर भी टीसीएस नहीं कटेगा। चार्टर्ड एकाउंटेंट एम.के गुप्ता ने बताया कि अभी जिन माता-पिता की आय टैक्स के लायक नहीं है, और वे लोन लेकर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए विदेश भेजते हैं तो उन्हें भी टीसीएस लग जाता था।

    बढ़ा दी गई सीमा

    वरिष्ठ नागरिकों की 50000 रुपए से अधिक की बचत ब्याज राशि पर टीडीएस लग जाता था जिसकी सीमा अब एक लाख कर दी गई है। हालांकि बाद में क्लेम करने पर यह राशि वापस मिल जाती है, लेकिन इसमें राहत मिलने से अब लोगों के हाथ अधिक पैसे आएंगे जिससे भी खपत बढ़ाने में मदद मिलेगी।

    टैक्स एक्सपर्ट हिमांशु कुमार ने बताया कि बजट में किराए पर टीडीएस सीमा को 2.40 लाख से बढ़ाकर छह लाख करने से छोटे मकान मालिक को बड़ी राहत मिलेगी। इस नियम से कर अनुपालन आसान होगा और छोटे मकान मालिक की खपत योग्य आय भी बढ़ेगी।

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