Budget 2025: रोजगार के लिए Manufacturing सेक्टर को मजबूत करना जरूरी, सरकार करने जा रही ये उपाय
Union Budget 2025 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को पेश किए गए बजट में रोजगार बढ़ाने के विभिन्न उपायों पर जोर दिया। उन्होंने खिलौना व्यवसाय में भारत को वैश्विक हब बनाने की बात कही। रोजगार के लिए मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की मजबूती जरूरी है। इसे ध्यान में रखते हुए मैन्यूफैक्चरिंग को साधकर रोजगार और खपत बढ़ाने की कोशिश की गई है।

राजीव कुमार, नई दिल्ली। रोजगार बढ़ाना है तो मैन्यूफैक्चरिंग को साधना ही होगा। बजट में फिर से इसकी झलक दिखी है। सरकार ने बजट में मुख्य रूप से लेदर, नान लेदर फुटवियर, खिलौना, टेक्निकल टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे आइटम को शामिल किया है। अर्थव्यवस्था विकास की धीमी होती गति के बीच खपत बढ़ाने के लिए रोजगार बढ़ाना सबसे जरूरी है और छोटे सेक्टर को प्रोत्साहित कर तत्काल रूप से नए रोजगार निकल सकते हैं।
अमेरिका में शुल्क की दर बढ़ाकर चीन की वस्तुओं की बिक्री को हतोत्साहित करने की नीति के ऐलान के बाद लेदर उत्पाद व खिलौने के सेक्टर में अमेरिका में निर्यात की बड़ी संभावना दिख रही है। चीन अमेरिका में 33 अरब डॉलर के खिलौने व अन्य गेम का निर्यात करता है जबकि पिछले वित्त वर्ष में भारत का कुल खिलौना निर्यात सिर्फ 15 करोड़ डालर का रहा।
अमेरिकी बाजार में 12 अरब डॉलर के फुटवियर निर्यात करता है चीन
वैसे ही चीन अमेरिका के बाजार में सालाना 12 अरब डॉलर के फुटवियर का निर्यात करता है जबकि भारत का लेदर व लेदर आइटम का कुल निर्यात पांच अरब डॉलर के पास है। बजट में फुटवियर व लेदर सेक्टर के लिए फोकस प्रोडक्ट स्कीम लाने की घोषणा की गई है जिसके तहत इन आइटम की डिजाइनिंग, कंपोनेनेट्स मशीनरी जैसी चीजों पर वित्तीय सहायता दी जाएगी।
भारत को खिलौना उत्पादन का वैश्विक हब बनाएंगे
भारत को खिलौना उत्पादन का वैश्विक हब बनाने के लिए भी बजट में स्कीम लाने का ऐलान किया गया है। सरकार का अनुमान है कि फुटवियर की स्कीम से 22 लाख लोगों को रोजगार मिलेंगे 1.1 लाख करोड़ का निर्यात बढ़ेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम व टेक्निकल टेक्सटाइल से जुड़े कच्चे माल के शुल्क में बजट में बदलाव किया गया है।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशंस (फियो) के चेयरमैन अश्विनी कुमार ने बताया कि अभी अमेरिका में इन आइटम के निर्यात को बढ़ाने का तत्काल अवसर दिख रहा है और हमने वित्त मंत्री से इन सेक्टर के लिए इंसेंटिव की मांग की थी। निश्चित रूप से इससे हमारे निर्यात में बढ़ोतरी होगी।
नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग मिशन की स्थापना की जाएगी
जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए सरकार ने नेशनल मैन्यूफैक्चरिंग मिशन की स्थापना की भी घोषणा की है। इसके तहत मैन्यूफैक्चरिंग को आसान बनाने व लागत कम करने, गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार करने, तकनीकी उपलब्ध कराने जैसी चीजों पर फोकस किया जाएगा।
वैश्विक सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बनने की राह
निर्यात को ग्रोथ इंजन का प्रमुख पिलर मानते हुए बजट में एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन स्थापित करने की भी घोषणा की गई है। इसके तहत निर्यातकों को कर्ज मुहैया कराने के साथ विदेश में निर्माण करने जैसी सुविधा बहाल करने में मदद दी जाएगी। वहीं, वाणिज्य मंत्रालय उन सेक्टर क भी पहचान कर रहा है जिनमें भारत वैश्विक सप्लाई चेन का प्रमुख हिस्सा बन सकता है।
जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़ानी होगी
वस्तु का निर्यात बढ़ने से रोजगार बढ़ेंगे। हालांकि मैन्यूफैक्चरिंग के प्रोत्साहन के लिए पिछले नौ सालों से मेक इन इंडिया के तहत प्रयास जारी है, लेकिन जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी अब 15 प्रतिशत की सीमा को पार नहीं कर पाई है। पिछले चार सालों में 14 सेक्टर के लिए प्रोडक्शन ¨लिंक्ड इंसेंटिव की भी घोषणा की गई, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स व फार्मा सेक्टर में ही इसका असर दिख रहा है।
सालाना 80 लाख रोजगार पैदार करने की जरूरत
असल में विभिन्न प्रकार के औद्योगिक नियमों के पालन के बंधन की वजह से मैन्यूफैक्चरिंग की लागत भी बढ़ती है और यह जटिल दिखता है। इसलिए नए उद्यमी मैन्यूफैक्चरिंग में हाथ आजमाने से हिचकते हैं। एक दिन पहले ही आए आर्थिक सर्वेक्षण में सालाना तौर पर लगभग 80 लाख रोजगार पैदा करने की आवश्यकता बताई गई है। बजट में की गई घोषणा उस दिशा में एक कदम है लेकिन आने वाले समय में इसका विस्तार जरूरी होगा।
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