Budget Session: सड़क परिवहन में क्षमता निर्माण, रखरखाव और सुरक्षा को प्राथमिकता मिलने के आसार
मार्ग दुर्घटनाओं में कैशलेस ट्रीटमेंट के लिए बड़ी योजना पर काम हो रहा है। हो सकता है कि इसके लिए बजट में कुछ विशेष ऐलान किया जाए। इसके साथ ही लॉजिस्टिक पार्क की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। अभी इनकी संख्या 36 है।
नई दिल्ली, मनीष तिवारी। बुनियादी ढांचे के विस्तार की मोदी सरकार की दीर्घकालिक नीति में मुख्य भूमिका निभाने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को आगामी बजट में 25 प्रतिशत अधिक आवंटन मिल सकता है। बजट में कैपिसिटी बिल्डिंग यानी क्षमता में विस्तार पर सबसे अधिक जोर रहने के आसार हैं। इसके साथ ही आवंटन में विशेष ध्यान शोध और नई तकनीकों को बढ़ावा देने पर भी दिया जा सकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जिस तरह बार-बार दुर्घटनाएं और मृत्यु की संख्या में अगले साल के अंत तक पचास प्रतिशत की कमी लाने की प्रतिबद्धता जताई है, उसे देखते हुए सड़कों के नेटवर्क के विस्तार के साथ-साथ सड़क सुरक्षा भी इस बार बजट आवंटन के केंद्र में रहने के आसार हैं।
अक्सर पिछड़ जाता है सड़कों की मरम्मत का काम
मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, कुल आवंटन दो लाख करोड़ रुपये से बढ़कर ढाई लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। इसका मतलब 25 प्रतिशत बढोतरी है। यह पिछले साल के मुकाबले कम है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में साठ प्रतिशत से अधिक बढ़ोतरी की गई थी और इसका बड़ा हिस्सा एनएचएआई के खाते में गया था। एनएचएआई को लगभग दोगुनी राशि मिली थी और लगभग 1.3 लाख करोड़ रुपये उसके हिस्से में गए थे। उम्मीद की जा रही है कि इस बार सड़कों की मरम्मत और रखरखाव में मंत्रालय को और खर्च करने का मौका मिलेगा, क्योंकि इस मद में आवंटन कम होता रहा है और इसके चलते सड़कों की मरम्मत का काम अक्सर पिछड़ जाता है। यहां तक कि परिवहन से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने पिछले सत्र में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में यह कहा था कि मरम्मत और रखरखाव में खर्च बढ़ाए जाने की जरूरत है। यह अभी कुल बजट का केवल चार प्रतिशत (छह हजार से आठ हजार करोड़ रुपये) है। संभावना है कि यह दस प्रतिशत के स्तर तक जा सकती है।
अधिकारी के मुताबिक, मार्ग दुर्घटनाओं में कैशलेस ट्रीटमेंट के लिए बड़ी योजना पर काम किया जा रहा है। हो सकता है कि इसके लिए बजट में कुछ विशेष ऐलान किया जाए। इसके साथ ही लॉजिस्टिक पार्क की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। अभी इनकी संख्या 36 है। इन्हें और बढ़ाया जा सकता है, खासकर उन राज्यों का जो अभी नेटवर्क में नहीं हैं।
खर्च में नहीं होनी चाहिए कोई कोताही
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ अनुराग कुलश्रेष्ठ के अनुसार, हाईवे के विस्तार के साथ रोड सेफ्टी सबसे अधिक जरूरी है। इसमें खर्च में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। इसके लिए राज्यों को अधिकतम सहायता करनी होगी। मंत्रालय ने सात हजार करोड़ रुपये से अधिक शहरों में एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का काम पिछड़ता जा रहा है, जबकि यह सुचारु परिवहन के साथ सुरक्षित सफर के लिए भी जरूरी है। स्मार्ट सिटी मिशन से इस सिस्टम को जोड़ने की जरूरत है।
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