Budget 2025: मिडिल क्लास की 'बारह', युवा, किसान और महिलाओं को बजट में क्या-क्या मिला?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2025-26 के जरिए मध्य वर्ग की सुध ली और 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स दायरे से बाहर रखने की एक ऐसी बड़ी घोषणा की जो इकोनॉमी की नैया भी पार लगा सकती है लोगों के एक बड़े वर्ग को राहत भी दे सकती है और सरकार को राजनीतिक रूप से फायदा भी पहुंचा सकती है।
जयप्रकाश रंजन, जागरण, नई दिल्ली। वैश्विक अनिश्चितता के गहराते बादल और सुस्त होती ग्रोथ रेट की आशंकाओं के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2025-26 के जरिए मध्य वर्ग की सुध ली और 12 लाख रुपये तक की सालाना आय को टैक्स दायरे से बाहर रखने की एक ऐसी बड़ी घोषणा की, जो इकोनॉमी की नैया भी पार लगा सकती है, लोगों के एक बड़े वर्ग को राहत भी दे सकती है और सरकार को राजनीतिक रूप से फायदा भी पहुंचा सकती है।
वित्त मंत्री ने पांच वर्षों का रोडमैप भी दिया
वित्त मंत्री ने विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए अगले पांच वर्षों का रोडमैप भी दिया है और राजकोषीय संतुलन साधने में अपनी सरकार की मजबूत इच्छाशक्ति दिखाते हुए अगले छह वर्षों के दौरान राजकोषीय घाटे को मौजूदा 4.8 फीसद से घटा कर तीन फीसद के करीब लाने के इरादे जाहिर किये हैं।
सुधारों की राह पर बीमा क्षेत्र को विदेशी निवेश के लिए पूरी तरह से खोलने के अलावा अन्य किसी बड़े आर्थिक सुधारों का जज्बा दिखाने से परहेज किया गया है। हालांकि दीर्घकालिक मूलभूत सुधारों की ज्यादा परवाह दिखती है और पहली बार राज्यों के स्तर पर लाइसेंस राज खत्म करने की मंशा भी दिखाई गई है।
वोट बैंक को साध रही सरकार
पीएम नरेन्द्र मोदी व वित्त मंत्री सीतारमण ने पूर्व में कई बार मध्यम वर्ग आय कर दाताओं की बात कही है। इस बार कदम भी उठाया गया। आय कर छूट की सीमा सात लाख रुपये सालाना से बढ़ा कर सीधे 12 लाख रुपये करने को सरकार की तरफ से अपने “मध्य वर्ग'' वोट बैंक को साधने के तौर पर देखा जा रहा है।
वित्त मंत्री ने सीतारमण ने कहा है कि इससे आम करदाता के पास 1.1 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध होगी जिससे घरेलू मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी। वैसे इस घोषणा का अगले हफ्ते दिल्ली में होने वाले विधान-सभा चुनाव में भी असर दिख सकता है। बिहार के लिए चार बड़ी घोषणाएं भी सरकार की राजनीति मिशन की तरफ इशारा करते हैं। बिहार में इसी साल चुनाव होने वाले हैं।
छोटे उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए नई घोषणाएं की गई
इसके अलावा निर्यात व मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए की गई कई घोषणाएं रोजगार के मुद्दे पर विपक्षी दलों की तरफ से उठाए जा रहे सवालों को जवाब देने की कोशिश है। देश की छोटी व मझोली औद्योगिक इकाइयों को बढ़ावा देने की जो घोषणाएं की गई हैं वो भी रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में मददगार साबित होंगी। चमड़ा, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, खिलौना जैसे ज्यादा रोजगार देने वाले उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए नई घोषणाएं की गई हैं।
सुधारों को लेकर वित्त मंत्री सीतारमण बहुत जल्दबाजी में नहीं है। पिछले बजट में भी उनका रूख कुछ ऐसा ही था। बीमा सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा मौजूदा 76 फीसद से बढ़ा कर 100 फीसद करना, पुरानी नीतियों को ही आगे बढ़ाना वाला है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कही थी ये बात
एक दिन पहले पेश आर्थिक सर्वेक्षण में और शनिवार को वित्त मंत्री सीतारमण के प्रेस कांफ्रेंस में भी यह संकेत दिया गया कि मौजूदा हालात में घरेलू मांग को बढ़ा कर देश की आर्थिक रफ्तार को बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता है। यही वजह है कि दूसरे देशों के साथ होने वाले निवेश समझौतों को लेकर भी सरकार सचेत है और इस बजट में “फर्स्ट डेवलप इंडिया'' का नारा दिया गया है जो बहुत हद तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के “मेक अमेरिका ग्रेट एगेन'' जैसा प्रतीत होता है। वित्त मंत्री ने दूसरे देशों के साथ होने वाले निवेश समझौतों को संशोधित करने की बात भी कही है।
आम बजट के जरिए सरकार ने यह भी दिखाया है कि मौजूदा अनिश्चितता के दौर में उन सुधारों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए जो दीर्घकालिक तौर पर असर डालते हैं। ऐसे में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए जमीनी तौर पर कुछ कदम उठाये गए हैं। पहली बार आम बजट के जरिए राज्यों में लाइसेंस राज और प्रमाणीकरण की आड़ में आम जनता व उद्योग जगत की मुसीबत को दूर करने की कोशिश भी है। इन सुधारों पर सुझाव देने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन की घोषणा की गई है जिसके सुझावों पर राज्यों के बीच निवेश आकर्षित करने की नई होड़ की शुरुआत हो सकती है।
वित्त मंत्री ने अपने बजट अभिभाषण की शुरुआत में यह स्वीकार किया कि भू-राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से वैश्विक आर्थिक विकास की संभावनाएं कम हो गई हैं लेकिन भारत सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है।
सरकार का राजकोषीय संतुलन की राह पर पूरी तरह से मुस्तैद
बजटीय प्रावधानों को अगले पांच वर्षों के दौरान संतुलित विकास के नुस्खे के तौर पर पेश करते हुए सीतारमण ने पूरे देश को गरीबी से मुक्ति, सभी को अच्छी स्कूली शिक्षा, बेहतरीन व सस्ती स्वास्थय सेवाएं , सौ फीसद कुशल श्रम और महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाने की बात कही है। हालांकि इन लक्ष्यों को हासिल कैसे करेंगे, इसको लेकर वह बहुत स्पष्ट नहीं है। संभवत: आने वाले दिनों में इस बारे में सरकार की नीतियां ज्यादा स्पष्ट होंगी।
विकास दर के घटने की संभावनाएं के बीच इकोनमी के लिए सबसे बड़ा शुभ संकेत यह है कि सरकार का राजकोषीय संतुलन की राह पर पूरी तरह से मुस्तैद है। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का स्तर 4.8 फीसद है जबकि अगले वर्ष इसके घट कर 4.4 फीसद आने का अनुमान वित्त मंत्री ने पेश किया है।
अगले छह वर्षों के राजकोषीय संतुलन का रोडमैप दिया
वर्ष 2025-26 में सरकार की कुल प्राप्तियां व कुलव्यय क्रमश: 34.96 लाख करोड़ रुपये और 50.96 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। जबकि शुद्ध कर प्राप्तियों के 28.37 लाख करोड़ रुपये रहने की बात कही गई है। वित्त मंत्री ने सरकार के लिए अगले छह वर्षों के राजकोषीय संतुलन का रोडमैप दिया है। लक्ष्य वर्ष 2030-31 तक तीन फीसद तक लाने का है।
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