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उत्पादों की गुणवत्ता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' में जीरो डिफेक्ट्स पर खास जोर रहेगा। यानी उत्पादों की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस दिशा में कारगर पहल शुरू भी कर दी है। उत्पादों की गुणवत्ता की परख के मानक प्रावधानों को सख्त किया जाएगा। य

By Anand RajEdited By: Published: Tue, 28 Oct 2014 08:07 AM (IST)Updated: Tue, 28 Oct 2014 08:12 AM (IST)

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मेक इन इंडिया' में जीरो डिफेक्ट्स पर खास जोर रहेगा। यानी उत्पादों की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस दिशा में कारगर पहल शुरू भी कर दी है। उत्पादों की गुणवत्ता की परख के मानक प्रावधानों को सख्त किया जाएगा। ये प्रावधान घरेलू के साथ-साथ आयातित उत्पादों पर समान रूप से लागू होगा।

इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम 1986 में संशोधन किया जाएगा। इस आशय का संशोधित विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गुणवत्ता मानकों के सख्ती से लागू करने से घरेलू बाजार में उम्दा क्वालिटी के उत्पाद तैयार होंगे। इसके अलावा आयात पर निर्भरता घटेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारतीय उत्पादों की मांग में इजाफा होगा।

प्रस्तावित संशोधन के साथ भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) के दायरे में घरेलू उत्पादों की संख्या 107 से बढ़कर लगभग 2,000 हो जाएगी। लेकिन इन उत्पादों को गुणवत्ता की कसौटी पर खरा उतरना होगा। प्रस्तावित संशोधित अधिनियम में ऐसे सख्त प्रावधान होंगे, जिनकी अवहेलना करने पर सजा के साथ जुर्माना का भी प्रावधान किया गया है। गुणवत्ता से समझौता करने वालों की नकेल कसने के लिए ही एक साल की सजा और पांच लाख रुपये का जुर्माना ठोंका जा सकता है।

चीन जैसे देशों से आयात होने वाले घटिया सामान पर पाबंदी लगाने में भी ये प्रावधान कारगर साबित होंगे। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) लेबल के दायरे में आयातित उत्पादों को भी रखा जाएगा, ताकि उनकी गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं हो सके। बीआइएस मानक देश के उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता की निगरानी करने वाली राष्ट्रीय संस्था है। उत्पादों पर लगने वाले आइएसआइ मार्क यही संस्था जारी करती है। फिलहाल इस संस्था की भूमिका बहुत ही सीमित है। गुणवत्ता की कसौटी के सहारे इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।

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