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लॉकर में लूट के लिए बैंक नहीं करेंगे भरपाई

आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि जिस लॉकर को घर से ज्यादा सुरक्षित मानकर अपना सामान रखते रहे हैं, उसे यदि किसी प्रकार की क्षति पहुंचती है तो संबंधित बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।

By Sachin kEdited By: Published: Tue, 28 Oct 2014 05:43 AM (IST)Updated: Tue, 28 Oct 2014 05:44 AM (IST)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि जिस लॉकर को घर से ज्यादा सुरक्षित मानकर अपना सामान रखते रहे हैं, उसे यदि किसी प्रकार की क्षति पहुंचती है तो संबंधित बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के नियमों के मुताबिक लॉकर में रखे गए सामान के खोने या चोरी होने के मामले में बैंक की कोई देयता नहीं बनती है। तर्क यह दिया जाता है कि बैंक को इसकी जानकारी नहीं होती कि किस ग्राहक ने लॉकर में क्या रखा है। ऐसी दशा में ग्राहक को किस आधार पर हर्जाना दिया जाए। आमतौर पर बैंक अपने लॉकर का बीमा करा कर रखते हैं। यह बीमा चोरी, आगजनी, बाढ़, आतंकी हमला, दीमक से क्षति वगैरह के संदर्भ में कराया जाता है। उपरोक्त परिस्थितियों में बैंकों को बीमा कंपनियों से हर्जाना भी मिलता है। मगर हर्जाने की रकम को लॉकर के ग्राहकों के साथ शेयर करने के लिए बैंक बाध्य नहीं हैं।

यूको बैंक के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर विजय कुमार ढींगरा ने लॉकर संबंधी नियमों के बाबत बताया कि लॉकर की क्षतिपूर्ति देने के लिए बैंक बाध्य भले न हों, लेकिन व्यवहार में वे कुछ क्षतिपूर्ति दे सकते हैं। यदि बैंक क्षतिपूर्ति देने से इन्कार करते हैं तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत की शरण में जा सकते हैं।

लॉकर की दो चाभियां होती हैं। एक चाभी ग्राहक के पास होती है और दूसरी बैंक के पास। लॉकर को खोलने के लिए दोनों चाभी एक साथ लगानी होती है। चूंकि चाभी दोनों के पास रहती है। इसलिए बैंक हर्जाने से पल्ला झाड़ लेता है। आरबीआइ का नियम भी बैंकों के बचाव में खड़ा है।

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