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    Energy Storage वाले प्लांट से नहीं होगी मुफ्त बिजली की राजनीति! सरकार बना रही खास प्लान

    Updated: Mon, 25 Nov 2024 12:03 PM (IST)

    केंद्र सरकार ऊर्जा स्टोरेज (Energy Storage) वाले संयंत्रों को मुफ्त बिजली की राजनीति से अलग रखने की कोशिश कर रही है। इसका मतलब है कि अगर किसी राज्य में एनर्जी स्टोरेज क्षमता स्थापित की जाती है और उससे जरूरत पड़ने पर बिजली की आपूर्ति की जाती है तो उसकी पूरी कीमत उपभोक्ता से वसूलने का प्लान है। केंद्र चाहता है कि मुफ्त बिजली देने की राजनीति पर अंकुश लगे।

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    सरकार ऊर्जा स्टोरेज के लिए कई विकल्पों को प्रोत्साहित करने पर विचार कर रही है।

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। देश की राजनीति में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने वाले पैमाने के और ऊपर जाने के आसार हैं। कई राज्यों में मुफ्त बिजली देने का सिलसिला चल रहा है। लेकिन इस बीच केंद्र सरकार की एक मंशा साफ नजर आ रही है कि ऊर्जा स्टोरेज (Energy Storage) वाले संयंत्रों को मुफ्त बिजली की राजनीति से अलग रखा जाए।

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    मतलब यह कि अगर किसी राज्य में ऊर्जा स्टोरेज क्षमता स्थापित की जाती है और उससे जरूरत पड़ने पर बिजली की आपूर्ति की जाती है तो उसकी पूरी कीमत उपभोक्ता से वसूली जाए। राज्यों पर इस बात का अंकुश लगे कि वह ऊर्जा स्टोरेज क्षमता वाले संयंत्रों से जो बिजली ले रहे हैं उसे किसी भी वर्ग को मुफ्त में ना दें।

    बिजली स्टोरेज क्षमता बढ़ाने की योजना

    पिछले दिनों केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में राज्यों के बिजली मंत्रियों व बिजली मंत्रालय के आला अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी, जिसमें इस बात का प्रस्ताव केंद्र सरकार की तरफ से किया गया है। सरकार की योजना वर्ष 2029-30 तक देश में 60-70 हजार मेगावाट क्षमता का बिजली स्टोरेज क्षमता लगाने की है। अभी देश में यह क्षमता बहुत ही कम है।

    बिजली मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2070 तक नेट जीरो देश बनने के लिए रिन्यूएबल एनर्जी की जरूरत होगी। इसकी निर्बाध आपूर्ति तभी संभव है, जब देश में ऊर्जा स्टोरेज क्षमता भी हो। क्योंकि सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों से दिन के 24 घंटे बिजली नहीं पैदा की जा सकती।

    राज्यों को नहीं मिलेगी मुफ्त बिजली?

    सरकार ऊर्जा स्टोरेज के लिए कई विकल्पों को प्रोत्साहित करने पर विचार कर रही है। इसमें बैट्री स्टोरेज सबसे अहम है लेकिन इसके बाद पम्प्ड हाइड्रो स्टोरेज, कंप्रेस्ड एयर इनर्जी स्टोरेज, थर्मल इनर्जी स्टोरेज जैसे प्रौद्योगिकी आधारित व्यवस्थाएं भी हैं। मौजूदा नीति के मुताबिक कोई भी ऊर्जा प्लांट किसी राज्य में लगाया जाता है तो उससे उत्पादित बिजली का एक निश्चित हिस्सा उक्त राज्य को मुफ्त में मिलता है।

    लेकिन केंद्रीय बिजली मंत्रालय का मानना है कि बैट्री स्टोरेज संयंत्रों के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। राज्य इससे बिजली लेगा, तो उसे इसकी कीमत देनी ही पड़ेगी। इसके अलावा भी सरकार ऊर्जा स्टोरेज सेक्टर को वित्तीय प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है ताकि देश में निजी व सरकारी क्षेत्र की कंपनियों की मदद से ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा को सुरक्षित रखने की भंडारण क्षमता लगाई जाए।

    बैट्री स्टोरेज के लिए मिलेगा प्रोत्साहन?

    वर्ष 2025-26 के आम बजट में बैट्री स्टोरेज क्षमता स्थापित करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाने की संभावना है। यह प्रोत्साहन कर छूट के तौर पर होगी। इस बारे में भारी उद्योग मंत्रालय, नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच विमर्श अंतिम चरण में है।

    वित्तीय प्रोत्साहन पर हो रही चर्चा के कारण ही वर्ष 2024 के दौरान तकरीबन 10 हजार मेगावाट क्षमता की बैट्री स्टोरेज सिस्टम लगाने की निविदा जारी करने की योजना को अभी टाल दिया गया है। इसकी घोषणा अगले वर्ष वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा होने का बाद की जाएगी।

    बीईएसएस लगाने का काम जारी

    अभी देश के कई राज्यों में बैट्री एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) लगाने का काम जारी है। जैसे सन सोर्स एनर्जी की तरफ से लक्षद्वीप में, टाटा पावर की तरफ से लेह और छत्तीसगढ़ में लगाया जा रहा है। हाल ही में जेएसडब्लू रीन्यू की तरफ से भी 500 मेगावाट क्षमता की बीईएसस लगाने की घोषणा की गई है।

    केंद्रीय बिजली आयोग (सीईसी) की राष्ट्रीय बिजली योजना-2023 के मुताबिक वर्ष 2030-31 तक देश में बीईएसएस की क्षमता 2.36 लाख मेगावाट होनी चाहिए। इस सेक्टर के लिए केंद्र सरकरा ने वर्ष 2021 में प्रोडक्शन लिंक्ड योजना भी लांच की थी। ऊर्जा स्टोरेज का दूसरा बड़ा स्रोत पम्पड हाइड्रो स्टोरेज सिस्टम हो सकते हैं।

    इसके तहत पनबिजली बिजली परियोजनाओं में ऊंची जगहों पर पानी को इस तरह से एकत्रित किया जाता है कि सिर्फ जरूरत होने पर पानी को छोड़ कर बिजली बनाई जाए। बहरहाल, स्टोरेज सिस्टम चाहे कोई भी हो केंद्र की मंशा यह है कि इससे जो भी बिजली ली जाए उसकी अदाएगी राज्यों की तरफ से बगैर किसी देरी के हो।

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