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    शेयर मार्केट में मंदी का दौर, लेकिन लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए क्यों नहीं है डरने की बात?

    भारतीय शेयर बाजार अभी सुस्ती के दौर से गुजर रहा है। इससे निवेशक काफी नेगेटिव हो रहे हैं। लेकिन एक्सपर्ट का मानना है कि यह निराश होने का नहीं बल्कि निवेश के लिए अच्छे मौके तलाशने का वक्त है। इस तरह की गिरावट 4 से 5 साल में एक बार ही आती है और इसमें लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को अच्छे शेयरों को सस्ते में खरीदने का मौका मिल सकता है।

    By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Mon, 18 Nov 2024 10:39 AM (IST)
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    साइक्लिकल स्लोडाउन हर 4-5 साल में आते हैं।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट का दौर चल रहा है। दोनों प्रमुख सूचकांक यानी सेंसेक्स और निफ्टी अपने ऑल टाइम हाई लेवल से करीब 10 फीसदी गिर चुके हैं। इस करेक्शन की कई वजहें हैं। फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FIIs) लगातार बिकवाली कर रहे हैं। ज्यादातर कंपनियों के तिमाही नतीजे काफी आ रहे हैं। वैश्विक अस्थिरता भी बढ़ी है।

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    शेयर मार्केट में हालिया गिरावट से निवेशकों का भरोसा भी डगमगाया है। लेकिन, एक्सपर्ट का मानना है कि लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए डरने की कोई बात नहीं है। बस कोई नया दांव लगाने से पहले मार्केट में स्थिरता आने का इंतजार करना चाहिए। आइए जानते हैं कि भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट की क्या वजह है और निवेशकों को फिलहाल क्या करना चाहिए।

    क्या भारतीय अर्थव्यवस्था खराब कर रही है?

    भारतीय अर्थव्यवस्था में कोरोनाकाल की मंदी के बाद जोरदार तेजी देखने को मिली। पिछले कुछ तिमाहियों को भी देखें, तो जीडीपी ग्रोथ 7 से 8 फीसदी के बीच रही है। ऐसे में एक्सपर्ट का मानना है कि इस तरह की तेजी के बाद स्लोडाउन आना आम बात है। भारतीय अर्थव्यवस्था साइक्लिकल स्लोडाउन से निकल रही है। इसमें स्ट्रक्चरल स्लोडाउन जैसी बात नहीं है। खपत धीरे-धीरे पटरी पर आ जाएगी और इकोनॉमी फिर से बढ़ने लगेगी।

    निवेशकों को इन्वेस्टमेंट का मौका कब मिलेगा?

    एक्सपर्ट का मानना है कि साइक्लिकल स्लोडाउन हर 4-5 साल में आते हैं। इस दौरान इकोनॉमी थोड़ी सुस्त पड़ती है और शेयर बाजार में गिरावट भी आती है। इससे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को निवेश का अच्छा मौका मिल जाता है। कंपनियों के वित्तीय नतीजे और खपत में जैसे ही सुधार होगा, FII का पैसा फिर से बाजार में आने लगेगा, तो मार्केट दोबारा उड़ान भरने लगेगा। ऐसे में निवेशकों को चाहिए कि वे अगले पांच साल के लिए मौका तलाश करें। उन्हें मौजूदा गिरावट से डरना नहीं चाहिए।

    निवेशकों को अभी क्या करना चाहिए?

    निवेशकों को अभी बहुत ज्यादा नेगेटिव होने से बचना चाहिए। हालांकि, उन्हें बहुत ज्यादा उत्साहित भी नहीं होना चाहिए। निवेशक उन चुनिंदा कंपनियों पर फोकस कर सकते हैं, जिन्होंने आर्थिक सुस्ती के बावजूद काफी दमदार तिमाही नतीजे दिए हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि अभी नियर टर्म में मार्केट में गिरावट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन गिरावट के जोखिम से ज्यादा संभावना मार्केट के ऊपर जाने की है।

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