Stock Market Crash: क्यों क्रैश हुआ शेयर बाजार, क्या ये तीन कारण हैं जिम्मेदार?
स्टॉक मार्केट में सप्ताह के पहले ही कारोबारी दिन यानी सोमवार को भारी गिरावट आई। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों 1-1 फीसदी से अधिक की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे हैं। मार्केट में चौतरफा बिकवाली हो रही है। बहुत-से निवेशक पैनिक सेलिंग कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि इस बिकवाली की वजह क्या है और शेयर मार्केट क्रैश क्यों हुआ।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में सोमवार (13 जनवरी) को बड़ी गिरावट आई। सेंसेक्स और निफ्टी 1 फीसदी से ज्यादा गिर गए। सभी सेक्टर के शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिल रही है। मिड कैप और स्मॉल कैप के ज्यादातर स्टॉक 4 से 5 फीसदी गिरावट के साथ ट्रेड कर रहे हैं। आइए जानते हैं कि शेयर मार्केट के क्रैश होने की क्या वजह है।
अमेरिका के मजबूत रोजगार डेटा ने बिगाड़ा माहौल
अमेरिका में रोजगार का डेटा काफी मजबूत आया है। अमेरिका में दिसंबर में 2.56 लाख नौकरियां जुड़ीं, जो 1.65 लाख की अपेक्षा से कहीं ज्यादा हैं। इससे अमेरिका में बेरोजगारी दर घटकर 4.1% रह गई। इससे मजबूत अमेरिकी अर्थव्यवस्था का पता चलता है, लेकिन इससे फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में कटौती की उम्मीदें कम हो गई हैं।
इसका सीधा मतलब है कि भारत जैसे इमर्जिंग बाजारों से पैसा निकलकर अमेरिकी बाजार में जाना जारी रहेगा। यही वजह है कि दुनियाभर के शेयर बाजार में नकारात्मक माहौल बन गया।
डॉलर के मुकाबले रुपये का लगातार कमजोर होना
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। यह सोमवार को शुरुआती कारोबार में 27 पैसे कमजोर होकर 86.31 रुपये पर आ गया है। रुपये के कमजोर होने का मतलब है कि निर्यात की लागत बढ़ जाएगी। इससे जरूरी चीजों के दाम बढ़ जाएंगे। महंगाई बढ़ने से रिजर्व बैंक भी ब्याज दरों में कटौती का फैसला लंबे समय के लिए टाल सकता है।
दूसरी ओर, अमेरिका में बॉन्ड यील्ड लगातार बेहतर हो रही है। इससे विदेशी निवेशक भारत जैसे बाजारों से पैसे निकाल कर अमेरिका जैसे बाजारों में लगा रहे हैं। जब तक विदेशी निवेशकों की बिकवाली नहीं रुकती, तब तक भारतीय बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी ही रहेगा।
कंपनियों के निराशाजनक तिमाही नतीजे
भारतीय कंपनियां वित्त वर्ष 2024-25 की दिसंबर तिमाही के लिए वित्तीय नतीजे जारी कर रही हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि दिसंबर तिमाही में भी कंपनियों के वित्तीय नतीजे कमजोर बने रहेंगे। इसका मतलब है कि भारतीय बाजार का वैल्यूएशन भी अधिक बना रहेगा।
यही वजह है कि निवेशक बाजार से पैसे निकालकर रहे हैं। खासकर, रिटेल इन्वेस्टर्स ने पैनिक सेलिंग शुरू कर दी है। इससे बाजार रिकवर नहीं कर पा रहा है और उसमें लगातार गिरावट ही आ रही है। यहां तक कि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) की खरीदारी भी विदेशी निवेशकों और रिटेलर्स की बिकवाली से हो रहे नुकसान की भरपाई नहीं कर पा रही है।
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