कौन है बिजनेसमैन कपिल वधावन, जिसे कोर्ट ने करार दिया दिवालिया, गबन कर गया इस सरकारी बैंक के 4500 करोड़
Who is Kapil Wadhawan दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्प के पूर्व चेयरमैन कपिल वधावन को एनसीएलटी ने दिवालिया घोषित किया है। 4546 करोड़ की वसूली को लेकर कपिल वधावन एनसीएलटी को रिपेमेंट प्लान देने में नाकामयाब रहे। इसके बाद नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने यह आदेश पारित किया। कपिल और धीरज वधावन ने DHFL के जरिए 39000 करोड़ के बैंक घोटाले को अंजाम दिया था।
नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्प के पूर्व चेयरमैन कपिल वधावन ( Kapil Wadhawan Bankrupt) को दिवालिया घोषित कर दिया है। NCLT ने यह फैसला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मामले में सुनाया है। दरअसल, इस सरकारी बैंक ने कपिल वधावन और उनकी डूब चुकी फर्म DHFL से 4546 करोड़ रुपये की वसूली के लिए याचिका डाली थी। इस मामले में कपिल वधावन, एनसीएलटी को रिपेमेंट प्लान देने में नाकामयाब रहे। इसके बाद 14 अगस्त को ट्रिब्यूनल ने एक आदेश पारित कर DHFL के पूर्व चेयरमैन कपिल वधावन को दिवालिया करार दे दिया।
NCLT ने अपने आदेश में क्या कहा
नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में, कपिल वधावन को निर्देश दिया कि वह दिवालियापन ट्रस्टी संजय कुमार मिश्रा को अपनी आर्थिक स्थिति का विवरण दे, जिन्हें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रस्तावित और न्यायाधिकरण द्वारा नियुक्त किया गया था। एनसीएलटी ने यह भी कहा कि फाइनेंशियल स्टेट्स की डिटेल आदेश की डिटेल एक तय समय सीमा के अंदर दी जाए।
एनसीएलटी ने कहा, "व्यक्तिगत गारंटर को संहिता की धारा 105 के तहत एक पुनर्भुगतान योजना तैयार करनी थी, जिसमें व्यक्तिगत गारंटर के कर्जदारों के लिए उसके लोन और रिस्ट्रक्चरिंग का प्रस्ताव शामिल हो। इस मामले में व्यक्तिगत गारंटर से रिपेमेंट प्लान हासिल करने के कई प्रयास किए गए। लेकिन, कोई पुनर्भुगतान योजना प्राप्त नहीं हुई, इसलिए कर्जदारों ने 20.09.2024 को हुई अपनी बैठक में सर्वसम्मति से दिवालियापन प्रक्रिया को बंद करने और इस न्यायाधिकरण के समक्ष दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति व्यक्त की।"
क्या है पूरा मामला
यह मामला यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा कपिल वधावन के खिलाफ दायर किया गया था, जिन्होंने 22 जून, 2019 को एक ज्वाइंट गारंटी डीड पर साइन किए थे, जिसमें मुख्य उधारकर्ता, डीएचएफएल के दायित्वों की गारंटी दी गई थी। यूनियन बैंक, जिसमें उसकी संयुक्त इकाइयाँ, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक शामिल हैं, जिन्होंने 2010 से कई कंसोर्टियम एग्रीमेंट के माध्यम से डीएचएफएल को लोन सुविधाएँ प्रदान की थीं।
बता दें कि कपिल वधावन और धीरज वधावन, दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के पूर्व प्रमोटर्स हैं, जिन्होंने 39000 करोड़ के बैंक घोटाले को अंजाम दिया था। हाल ही में सेबी ने इन दोनों घोटालेबाज भाइयों पर 27-27 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, साथ ही सिक्योरिटी मार्केट में काम करने पर 5 साल का बैन लगा दिया।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।