ये है भारत का सबसे बड़ा बिल्डर, अयोध्या राम मंदिर से लेकर मोटेरा स्टेडियम तक सब इसकी देन
क्या आप अयोध्या के भव्य राम मंदिर से लेकर दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी तक के पीछे जिस बड़े फेमस भारतीय बिल्डर (Who is Indias no 1 builder) का नाम आता उसका नाम जानते हैं। आज हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं। जिसकी बनाई गई बिल्डिंग नया कीर्तिमान रच देती हैं। तो चलिए इसके बारे में जानते हैं...

भारत के सबसे बड़ी बिल्डर कंपनी (Who is Indias no 1 builder) का नाम क्या है?
नई दिल्ली। अयोध्या के भव्य राम मंदिर से लेकर दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी, नरेंद्र मोदी स्टेडियम और मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक, मोटेरा क्रिकेट स्टेडियम, मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर और देश का सबसे लंबा पुल धुबरी-फूल बाड़ी ब्रिज इन सभी ऐतिहासिक प्रोजेक्ट्स के पीछे एक ही भारतीय बिल्डर नाम आता है। इस बिल्डर, कंपनी (Who is Indias no 1 builder) का नाम लार्सन एंड टुब्रो (L&T) है।
विदेशी नाम के बावजूद यह पूरी तरह भारतीय कंपनी दशकों से देश के सबसे बड़े और संवेदनशील प्रोजेक्ट्स की भरोसेमंद पार्टनर बनी हुई है। सवाल उठता है कि आखिर एलएनटी की शुरुआत कैसे हुई और यह कंपनी आज इतनी मजबूत कैसे बनी?
डेनमार्क से भारत तक की शुरुआत
कहानी शुरू होती है 1938 में, जब डेनमार्क के दो इंजीनियर्सहेनिंगहल्क लार्सन और सॉरनक्रिस्टियन टुब्रोभारत आए। दोनों ने मुंबई में एक छोटे से कमरे से व्यापार शुरू किया और यूरोपियन मशीनरी बेचने लगे। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के चलते इंपोर्ट बंद हो गए और कंपनी को नया रास्ता तलाशना पड़ा। इसी दौरान एलएनटी ने जहाजों की रिपेयरिंग का काम शुरू किया और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई।
टाटा के भरोसे से मिली पहली बड़ी सफलता
1940 में कंपनी को टाटा ग्रुप से सोडा ऐश प्लांट इंस्टालेशन का काम मिला। एलएनटी ने यह प्रोजेक्ट समय पर पूरा कर टाटा का भरोसा जीता और भारतीय उद्योग जगत में मजबूत एंट्री कर ली।
1950 में बनी पब्लिक कंपनी
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के बढ़ते अवसरों को देखते हुए दिसंबर 1950 में एलएनटी को पब्लिक कंपनी बनाया गया। इसके बाद रेलवे, म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन और बड़े औद्योगिक घरानों से लगातार प्रोजेक्ट्स मिलने लगे।
देश के स्ट्रैटेजिकसेक्टर्स में बड़ी भूमिका
1960-70 के दशक में एलएनटी की क्षमता को सबसे बड़ा माना गया जबडॉ. होमी भाभा ने न्यूक्लियररिएक्टरकंपोनेंट्स बनाने की जिम्मेदारी सौंपी। इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई ने स्पेसप्रोजेक्ट्स के लिए एलएनटी को पार्टनर बनाया। आगे चलकर कंपनी ने DRDO के साथ मिसाइलसिस्टम और सबमरीनप्रोजेक्ट्स पर काम शुरू किया। आज भी ये सेक्टर्स कंपनी की रणनीतिक पहचान हैं।
कंपनी को बचाने की संघर्षपूर्ण कहानी
2001 में कंपनी पर अधिग्रहण का खतरा मंडराया, जब ग्रासिम इंडस्ट्रीज ने एलएनटी में हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश की। उस समय के चेयरमैन ए.एम. नाइक ने कर्मचारियों और सेबी के सहयोग से एलएनटी को बचाया। समझौते के तहत एलएनटी ने अपना सीमेंटडिवीजन ग्रासिम को बेच दिया, जो आज अल्ट्राटेक के नाम से जाना जाता है।
सामाजिक जिम्मेदारी में भी अग्रणी
2002 के गुजरात भूकंप के बाद एलएनटी ने बिना शुल्क लिए 10,000 प्राथमिक स्कूलों का निर्माण सिर्फ 80 दिनों में पूरा किया। कंपनी ने आपदा राहत, स्किलडेवलपमेंट और शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।
एल&टी आज 50 से अधिक देशों में सक्रिय है। लगभग 5.49 लाख करोड़ी मार्केट कैप वाली यह कंपनी देश के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी समूहों में शामिल है।
L&T के चेयरमैन कौन हैं?
एस एनसुब्रह्मण्यन लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। वे एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स, एलटीआईमाइंडट्री, एलएंडटीटेक्नोलॉजीसर्विसेज और एलएंडटीमेट्रो रेल (हैदराबाद) लिमिटेड के चेयरमैन हैं।
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