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    Lakshmi Mittal News: क्या है ब्रिटेन का 'सुपर रिच टैक्स', जिससे तंग आकर 'स्टील किंग' को छोड़ना पड़ा देश? समझें

    Updated: Mon, 24 Nov 2025 06:31 PM (IST)

    What is uk super rich tax: ब्रिटेन में अरबपतियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। भारतवंशी लक्ष्मी निवास मित्तल (Lakshmi Niwas Mittal) ने ब्रिटेन छोड़ दिया है, जिसकी वजह ब्रिटेन का नया 'सुपर रिच टैक्स' है। मित्तल टैक्स कारणों से स्विट्जरलैंड में रहते हैं, लेकिन अब दुबई शिफ्ट हो सकते हैं। यह टैक्स धनी लोगों पर असर डालता है, खासकर जिनकी संपत्ति 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा है। इसमें नॉन-डोम स्टेटस टैक्स, विरासत कर और कैपिटल गेन टैक्स शामिल हैं, जिससे अरबपतियों का टैक्स बोझ बढ़ गया है।

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    Lakshmi Mittal News: क्या है ब्रिटेन का 'सुपर रिच टैक्स', जिससे तंग आकर 'स्टील किंग' को छोड़ना पड़ा देश? समझें

    नई दिल्ली| ब्रिटेन में रहने वाले अरबपतियों पर अब मुश्किलें बढ़ गई हैं। भारतवंशी 'स्टील किंग' लक्ष्मी निवास मित्तल (Lakshmi Niwas Mittal) भी उन्हीं में से एक हैं और उन्होंने ब्रिटेन छोड़ दिया है। वजह सिर्फ एक है- ब्रिटेन का नया 'सुपर रिच टैक्स', जिसकी वजह से बड़े-बड़े उद्योगपति परेशान हैं। तीन दशक यानी करीब 30 साल से ब्रिटेन में रहने वाले मित्तल फिलहाल टैक्स कारणों से स्विट्जरलैंड में रहते हैं। लेकिन कुछ रिपोर्ट्स में दावा है कि वो अब दुबई शिफ्ट हो सकते हैं। अब सवाल यह है कि आखिर ब्रिटेन का सुपर रिच टैक्स है क्या (What is super rich tax)? जिसकी वजह से उद्योगपति नाराज हैं और देश छोड़ने तक पर मजबूर हैं। चलिए समझते हैं।

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    क्या है सुपर रिच टैक्स? (What is super rich tax)

    ब्रिटेन का सुपर रिच टैक्स कोई एक टैक्स नहीं, बल्कि कई टैक्सों का समूह है। प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर (Britain Prime Minister Keir Starmer) और चांसलर रैचेल रीव्स ने इसे 2024 के बजट में लागू किया था। इसका सीधा असर UK के बेहद अमीर लोगों पर पड़ता है। खासतौर पर उन पर जिनकी संपत्ति लगभग 1 बिलियन डॉलर ( करीब 8916 करोड़ रुपए) से ज्यादा है। इसका उद्देश्य सरकार की कमजोर पब्लिक फाइनेंस और बढ़ते खर्च को संभालना है।

    यह भी पढ़ें- लक्ष्मी मित्तल ने छोड़ा यूके, अब यहां बनाएंगे ठिकाना; ब्रिटेन में ज्यादा टैक्स से अमीर लोग परेशान

    कौन-कौन से टैक्स शामिल हैं सुपर रिच टैक्स में? (Which taxes are included in the super rich tax?)

    1. नॉन-डोम स्टेटस टैक्स (Non-Dom Status Tax)

    पहले विदेशों में कमाई गई आय पर टैक्स नहीं लगता था। लेकिन अप्रैल 2025 से यह छूट खत्म कर दी गई। अब यूके (United Kingdom) में 4 साल से ज्यादा रहने वाले धनी लोगों पर 45% तक टैक्स लग सकता है।

    2. विरासत कर (Inheritance Tax- IHT)

    वर्तमान में विरासत कर (IHT) मौत के बाद छोड़ी गई संपत्ति पर 40% की दर से लगाया जाता है, लेकिन अभी तक इसमें ट्रस्ट में रखी संपत्ति और विदेशी एसेट्स को छूट मिली हुई थी। नए प्रस्ताव के तहत अब ट्रस्ट और विदेश में रखी संपत्ति को भी इस कर के दायरे में लाया जाएगा, जिससे टैक्स का बोझ और बढ़ जाएगा। और इसी टैक्स ने अरबपतियों की चिंता बढ़ा दी है।

    3. कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax)

    अभी 25% है, लेकिन चर्चा है कि इसे 20% से बढ़ाकर 28% किया जा सकता है। यानी शेयर बेचने या प्रॉपर्टी बेचने पर यह पहले से ज्यादा टैक्स वसूला जा सकता है।

    एक्सपर्ट्स का मानना है कि इन तीनों टैक्स ने मिलकर अरबपतियों का टैक्स बोझ कई गुना तक बढ़ा दिया है।

    'स्टील किंग' ने क्यों छोड़ा ब्रिटेन?

    लक्ष्मी मित्तल की नेटवर्थ करीब 15.4 बिलियन पाउंड यानी लगभग 1.80 लाख करोड़ रुपए (Lakshmi Mittal Net Worth) है। वह इस साल संडे टाइम्स रिच लिस्ट में यूके के 8वें सबसे अमीर शख्स रहे। लेकिन ब्रिटेन का नया सुपर रिच टैक्स उनके लिए बड़ी परेशानी बन गया है। नॉन-डोम स्टेटस खत्म होने से अब विदेशी आय पर भारी टैक्स देना पड़ेगा। वहीं इनहेरिटेंस टैक्स में ट्रस्ट और विदेशी संपत्तियों को भी शामिल कर दिया गया है। ऊपर से कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ने की चर्चा ने चिंता और बढ़ा दी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार अगले बजट में टैक्स को और सख्त कर सकती है। इसी वजह से लक्ष्मी मित्तल ने यूके छोड़ दिया है और कहा जा रहा है कि वे दुबई शिफ्ट हो सकते हैं।

    ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर

    कई विदेशी उद्यमी और अरबपति यूके में रहकर टैक्स छूट का लाभ लेते थे। लेकिन टैक्स स्ट्रक्चर सख्त होने के बाद अब एक तरह का बड़े पैमाने पर टैक्स माइग्रेशन शुरू हो गया है। अमीर लोग ऐसे देशों की तरफ जा रहे हैं जहां टैक्स कम है और कारोबारी माहौल ज्यादा आसान है। विशेषज्ञों का मानना है कि चांसलर रीव्स अगले बजट में टैक्स को और सख्त कर सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो और भी अरबपति यूके छोड़ सकते हैं। इसका असर निवेश, रोजगार और ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर दिख सकता है।

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